वाहन खरीदने वालों का क्या होगा- 31 मार्च के बाद बिकी बीएस-4 गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट ने अपना 27 मार्च का आदेश वापस ले लिया है. मतलब साफ है कि अगर बिक्री 31 मार्च से पहले हुई तो ही रजिस्ट्रेशन होगा. अगर डीलर ने e vahan पोर्टल पर डाटा अपलोड नहीं किया तो बिक्री नहीं मानी जाएगी. ये ग्राहकों के लिए बड़ा झटका है.
#BS-IV वाहनों पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला ,31 मार्च के बाद बिके वाहन का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा , SC ने 27 मार्च वाला आदेश वापस लिया ।पूरी खबर बता रहे हैं @aseemmanchanda, @AEHarshada pic.twitter.com/K61JXfyVH6
— CNBC-AWAAZ (@CNBC_Awaaz) July 8, 2020
क्या है मामला- 27 मार्च को BS-IV वाहन बेचने के लिए कंपनियों को 10 दिन का अतिरिक्त वक्त दिया गया था. लॉकडाउन के चलते बिक्री करने के लिए 10 दिन का वक्त मिला था, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हमारे आदेश के साथ फ्रॉड किया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कंपनियों को 1,05,000 गाड़ियां बेचने की अनुमति दी थी. ,लेकिन ऑटो कंपनियों ने 10 दिन के अंदर 2,55,000 गाड़ियां बेच दी.
आइए जानें इससे जुड़ी सभी बड़ी बातें…
क्या होता है बीएस (What is BS Norms in India)-– बीएस का मतलब है भारत स्टेज. इसका संबंध उत्सर्जन मानकों से है. भारत स्टेज उत्सर्जन स्टैंडर्ड खासतौर पर उन 2-व्हीलर और 4-व्हीलर्स के लिए हैं, जिन्हें पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तय करता है.
अगर आसान शब्दों में कहें तो ये वाहन कम पॉल्यूशन करेंगे. आपको बता दें कि भारत सरकार ने साल 2000 से बीएस उत्सर्जन मानक की शुरुआत की थी. भारत स्टेज यानी भारत स्टैंडर्ड मानदंड यूरोपीय नियमों पर आधारित है
बीएस-6 के आने से क्या होगा (What does it mean BSVI means for India )
वाहन कंपनियां जो भी नए हल्के और भारी वाहन बनाएंगी, उनमें फिल्टर लगाना जरूरी हो जाएगा.
बीएस-6 के लिए विशेष प्रकार के डीजल पार्टिकुलेट फिल्टर की जरूरत होगी.
इसके लिए वाहन के बोनट के अंदर ज्यादा जगह की जरूरत होगी. नाइट्रोजन के ऑक्साइड्स को फिल्टर करने के लिए सेलेक्टिव कैटेलिटिक रिडक्शन (एसआरसी) तकनीक का इस्तेमाल अनिवार्य तौर पर करना होगा.
हवा में प्रदूषण कम करने में मदद मिलेगी. हवा में जहरीले तत्व कम हो सकेंगे जिससे सांस लेने में सुविधा होगी. बीएस 4 के मुकाबले बीएस 6 में प्रदूषण फैलाने वाले खतरनाक पदार्थ काफी कम होंगे.
नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर के मामले में बीएस 6 ग्रेड का डीजल काफी अच्छा होगा.
बीएस -4 और बीएस-3 फ्यूल में सल्फर की मात्रा 50 पीपीएम होती है.जो बीएस 6 मानकों में घटकर 10 पीपीएम रह जायेगा यानी की अभी के स्तर से 80 फीसदी कम है.(असीम मनचंदा, CNBC आवाज़)