Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
भिंड7 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
कपड़ों में आग लगने पर पानी नहीं डालना चाहिए बल्कि शरीर को कंबल से ढंककर आग को बुझाना चाहिए। ऐसी आपदा के वक्त घबराना नहीं चाहिए बल्कि उन तरीकों पर अमल करना चाहिए जो आग से बचाव के लिए जरूरी होते हैं। इस प्रकार से थोड़ी सी सावधानी बरत कर हम जान माल का नुकसान से बचा सकते हैं। यह जानकारी जिला स्तरीय आपदा प्रबंधन कार्यशाला में शामिल प्रतिभागियों को बताई गई। इसके साथ ही बाढ़ एवं भूकंप के दौरान बचाव के तरीकों से अवगत कराया गया।
डायवर्सन रोड स्थित चौ. पब्लिक सेंट्रल स्कूल में आयोजित कार्यशाला में आपदा प्रबंधन एडीजी अखेतो सेमा ने कहा कि आपदा प्रबंधन में सिविल डिफेंस वालंटियर्स की महती भूमिका होती है। इसलिए आग, बाढ़, भूकंप जैसी आपदा के वक्त कौन- कौन से कदम उठाए जाने चाहिए इसकी जानकारी होना चाहिए।
इस मौके पर ग्वालियर डिवीजन कमांडेंट संगीता शाक्य, दतिया होम गार्ड कमांडेंट आरडी सिंह, भिंड के कमांडेंट अजय सिंह कश्यप, प्लाटून कमांडर पूजा परिहार, जिला वार्डन प्रो. इकबाल अली, सहायक जिला वार्डन प्रो. रामानंद शर्मा के अलावा जिले भर के प्रतिभागी उपस्थित थे।
आग से बचाव के लिए यह रखें सावधानी
आग लगने के कई कारण होते हैं। खाना बनाते समय गैस सिलेंडर या पाइप रिसने या जलती सिगरेट को इधर उधर फेंक देने से आग लग सकती है। आतिशबाजी करते समय भी आग लगने का अंदेशा रहता है। यदि गैस सिलेंडर आग पकड़ ले तो सबसे पहले बोरा को पानी में भिगोकर या बालू से ढक देना चाहिए। ऐसा करने से आग बुझ जाएगी।
बिजली उपकरणों में लगी आग में कभी पानी नहीं डाला जाता। प्लास्टिक के सामान में लगी आग में फोम की भी जरूरत पड़ती है। नदी में बाढ़ आने पर घर के बिजली उपकरण बंद देना चाहिए। कीट नाशक दवाओं को पानी से दूर कर देना चाहिए। नदी उफान पर आने पर ऊंचे स्थान पर चढ़ जाना चाहिए। पानी के तेज बहाव से बचने के लिए रबर ट्यूब लकड़ी के मोटे लट्ठों का उपयोग करना चाहिए। इसके साथ ही बाढ़ राहत के लिए उपयोग में आने वाली सामग्री नाव, टार्च, ट्यूब, टायर, रस्सी, बॉटल आदि के उपयोग के संबंध में बताया गया।
भूकंप आए तो खुद को सुरक्षित करना जरूरी
भूकंप के वक्त अगर घर में हैं तो फर्श पर बैठ जाएं। घर में किसी मजबूत टेबल या फर्नीचर के नीचे बैठकर हाथ से सिर और चेहरे को ढकें। भूकंप के झटके आने तक घर के अंदर ही रहें। झटके रुकने के बाद ही बाहर निकलें।