अनदेखी: गांवों में नहीं मिल रहीं स्वास्थ्य सेवाएं, भवन बनाने पर करोड़ों रुपए खर्च, इलाज के लिए डॉक्टर नहीं

अनदेखी: गांवों में नहीं मिल रहीं स्वास्थ्य सेवाएं, भवन बनाने पर करोड़ों रुपए खर्च, इलाज के लिए डॉक्टर नहीं


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बुरहानपुर/धुलकोट2 मिनट पहले

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  • खकनार बीएमओ के पास अतिरिक्त चार्ज, शाहपुर बीएमओ जिला अस्पताल में भी कर रहे ड्यूटी

7.50 लाख से ज्यादा आबादी का जिला। यहां ग्रामीण क्षेत्र में चार लाख से ज्यादा आबादी बसती है। लेकिन इन्हें आज तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। करोड़ों रुपए खर्च कर स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल भवन तो बना दिए, लेकिन यहां न पर्याप्त डॉक्टर हैं न स्टाफ।

सारोला के स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डॉ. तारीक मीर के पास खकनार के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का अतिरिक्त प्रभार है। शाहपुर बीएमओ जिला अस्पताल में भी ड्यूटी करते हैं। धुलकोट में तो एमडी डॉक्टर ही नहीं है। यहां आयुर्वेदिक डॉक्टर से एलोपेथी का उपचार कराया जा रहा है।

एक लाख की आबादी से जुड़े खकनार के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के बीएमओ को छह महीने पहले निलंबित करने के बाद से यहां किसी की नियुक्ति नहीं की गई है। डॉक्टर की कमी होने के बाद भी निलंबित बीएमओ के प्रकरण में न जांच हुई और न उन्हें बहाल किया गया। खकनार में पूरे समय कोई डॉक्टर नहीं रहता। जिला अस्पताल या किसी अन्य स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर यहां सप्ताह में एक-दो दिन ड्यूटी करते हैं।

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खकनार : दोपहर 12 बजे तक एक भी डॉक्टर नहीं

खकनार के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में शनिवार दोपहर 12 बजे ओपीडी में एक भी डॉक्टर नहीं था। यहां बैठी नर्स सामान्य मरीजों काे देख रही थीं। पूछने पर बताया आज डॉ. पुनीवाला आने वाले थे, लेकिन वे अवकाश पर हैं। इसलिए ओपीडी में कोई डॉक्टर नहीं है। पड़ोस में आयुष डॉक्टर का भी कक्ष है, लेकिन यहां भी कुर्सी खाली थी। यहां भी डॉक्टर नहीं आए थे।स्वास्थ्य केंद्र में सन्नाटा पसरा था। पहली मंजिल पर वार्ड में भी कम मरीज थे। पास ही में मरीजों को ले जाने वाले स्ट्रेचर पर खून से सने कपड़े, ग्लब्ज, इंजेक्शन और दूसरा उपयोग किया हुआ सामान रखा था। इसे साफ नहीं किया गया।

धुलकोट : आयुष डॉक्टर सप्ताह में 3 दिन आते हैं

25 गांवों की 50 हजार से ज्यादा आबादी यहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर निर्भर है। लेकिन यहां एमबीबीएस डॉक्टर नहीं हैं। आयुर्वेदिक डॉक्टर के भरोसे उपचार चल रहा है। यहां मरीजों का प्राथमिक उपचार होता है, गंभीर मरीजों को सीधे जिला अस्पताल भेज दिया जाता है। आयुष चिकित्सक भी सप्ताह में तीन दिन यहां आते हैं। इस कारण क्षेत्र में निजी डॉक्टर्स की पूछ-परख ज्यादा है। ये डॉक्टर जगह-जगह छोटे-छोटे क्लीनिक खोलकर सामान्य बीमारियों का इलाज कर रहे हैं। इनकी डिग्री के बारे में किसी को जानकारी नहीं है। स्वास्थ्य विभाग ने भी कभी इनकी जांच नहीं की।

शाहपुर : जब भी जरूरत होती है, बीएमओ डॉ. मुमताज अंसारी को बुला लेते हैं जिला अस्पताल

शाहपुर में बीएमओ डॉ. मुमताज अंसारी हैं। वे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों को देखते हैं लेकिन जिला अस्पताल में जब भी उनकी जरूरत होती है, उन्हें बुला लिया जाता है। मूल रूप से वे सर्जन हैं। जिला अस्पताल में किसी भी सर्जन के अवकाश पर जाने पर वे जिला अस्पताल में ड्यूटी करते हैं। ऐसे में शाहपुर के स्वास्थ्य केंद्र में मरीज परेशान होते हैं और उन्हें समय पर इलाज भी नहीं मिलता है।

जिले में डॉक्टरों की कमी है

जिले में चिकित्सकों की कमी है। इनकी नियुक्त सीधे स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से होती है। कमी के कारण प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्राें में चिकित्सक स्थायी रूप से नियुक्त नहीं हैं। शासन को इस बारे में निरंतर जानकारी दे रहे हैं। -डाॅ. एमपी गर्ग, प्रभारी सीएमएचओ, बुरहानपुर



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