सचिन तेंदुलकर ने कहा कि सलाइवा बैन के लिए गेंदबाजों के पास विकल्प होना चाहिए.
भारत के तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह (Jasprit Bumrah) ने आईपीएल के दौरान कहा था कि यह टेस्ट क्रिकेट (Test Cricket) में एक बड़ा कारक हो सकता है, क्योंकि रिवर्स स्विंग एक प्रमुख भूमिका निभाता है. अब लीजेंडरी बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने भी यही बात फिर से दोहराई है.
- News18Hindi
- Last Updated:
December 14, 2020, 2:34 PM IST
सचिन तेंदुलकर ने एएनआई से कहा कि गेंदबाजों के लिए लार पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और लार के विकल्प की कमी का मतलब बल्लेबाजों के पक्ष में खेल को झुकाना हो सकता है. उन्होंने कहा कि यह बल्लेबाजों के लिए रनों को रोकने का काम करता था. उन्होंने कहा, ”सलाइवा बैन के साथ गेंदबाज अपंग हैं, अगर उन्हें सलाइवा का कोई विकल्प नहीं मिलता. आज हमारे पर सलाइवा का कोई विकल्प नहीं है. क्रिकेट हमेशा से ऐसा ही रहा है. पसीना और सलाइवा हमेशा इसमें था. मैं कहूंगा की पसीने से भी कहीं ज्यादा महत्वूपर्ण सलाइवा है. इसलिए 60 प्रतिशत तक अच्छा है. गेंदबाज पसीने से ज्यादा सलाइवा पर ही निर्भर करते हैं.”
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उन्होंने आगे कहा, ”अगर मुझे इसे संतुलित करना है, तो गेंदबाज लार पर 60 प्रतिशत और पसीने पर 40 प्रतिशत निर्भर होंगे. जब उनसे यह दूर किया जा रहा है तो मेरे लिए यह गेंदबाजों को बिना किसी संदेह के अपंग किया जा रहा है. इसका एक विकल्प होना चाहिए था, लेकिन विकल्प अभी भी नहीं है. इसलिए इसका अर्थ यह है कि एक बल्लेबाज से कहें कि आप ऑफसाइड पर रन नहीं बना सकते, आप केवल ओवरसाइड पर स्कोर कर सकते हैं. यह बिल्कुल इसी तरह है. सलाइवा का कोई विकल्प नहीं है और इसके बिना गेंदबाज अपंग है.”इस समय इस नियम के साथ भारतीय गेंदबाजों को निश्चित रूप से एडिलेड ओवल में गुरुवार से शुरू होने वाली चार मैचों की टेस्ट सीरीज में मजबूत ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजी क्रम पर हमले के लिए दूसरे तरीकों को देखना होगा. वनडे और टी20 सीरीज में भारतीय गेंदबाज प्रभावित करने में नाकाम रहे थे. हालांकि, टी नटराजन ने अपनी परफॉर्मेंस से दिल जीता. लेकिन सचिन तेंदुलकर को लगता है कि हर दिन एक सा नहीं होता. उनका कहना है कि हर फॉर्मेट अलग होता है. टेस्ट सीरीज से पहले व्हाइट बॉल की परफॉर्मेंस पर आंकना ठीक नहीं है.
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सचिन तेंदुलकर ने कहा, ”हर मैच में आपके साथ हर चीज सही नहीं होती. कई बाहर बल्लेबाजी काम नहीं करती, कई बार गेंदबाजी काम नहीं करती और कई बार फील्डिंग निराश करती है. यह खेल का हिस्सा है. आप हर वक्त सबकुछ सही हासिल नहीं कर सकते. व्हाइट बॉल फॉर्मेट में बल्ले और गेंद के बीच संतुलन नहीं होता. वह एक अलग फॉर्मेट और टेस्ट क्रिकेट अलग फॉर्मेट है.”
उन्होंने कहा, ”इन चीजों को अलग करना महत्वपूर्ण है. मैं व्यक्तिगत रूप से चाहूंगा कि गेंदबाज सिर्फ टेस्ट क्रिकेट पर ध्यान केंद्रित करें और अतीत में जो हुआ है, उसे भूल जाएं. ये अलग-अलग फॉर्मेट है, ऐसा नहीं सोचे कि हमने वनडे में अच्छी गेंदबाजी नहीं की. टेस्ट क्रिकेट अलग है और उसके लिए अलग अप्रोच की जरूरत है.”