IIT Madras develops a portable portable hospital for corona patient treatment, the hospital to be ready in 2 hours with the help of four persons | IIT मद्रास ने बनाया फोल्डेबल पोर्टेबल हॉस्पिटल, 2 घंटे में तैयार होने वाले इस अस्पताल में स्क्रीनिंग से लेकर आइसोलेशन तक की सुविधा उपलब्ध

IIT Madras develops a portable portable hospital for corona patient treatment, the hospital to be ready in 2 hours with the help of four persons | IIT मद्रास ने बनाया फोल्डेबल पोर्टेबल हॉस्पिटल, 2 घंटे में तैयार होने वाले इस अस्पताल में स्क्रीनिंग से लेकर आइसोलेशन तक की सुविधा उपलब्ध


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2 मिनट पहले

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  • इसमें डॉक्टर का कमरा, एक आइसोलेशन रूम, एक मेडिकल रूम / वार्ड और एक ट्विन-बेड आईसीयू शामिल
  • मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने संस्थान की ट्विटर पर तारीफ

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मद्रास ने इनक्यूबेटेड स्टार्टअप के साथ मिलकर एक पोर्टेबल हॉस्पिटल यूनिट तैयार किया है। इसे दो घंटे के अंदर चार लोगों की मदद से आसानी से कहीं भी लगा सकते हैं। फोल्डेबल पोर्टेबल अस्पताल को मेडिकैब का नाम दिया गया है,जिसमें डॉक्टर का कमरा, एक आइसोलेशन रूम, एक मेडिकल रूम / वार्ड और एक ट्विन-बेड आईसीयू शामिल है। संस्थान की इस पहल की मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने भी ट्वीट के जरिए तारीफ की।

स्क्रीनिंग से लेकर आइसोलेशन तक की सुविधा

इस पोर्टेबल हॉस्पिटल की मदद से स्थानीय समुदायों में कोविड- 19 के रोगियों का पता लगाना, स्क्रीनिंग करना, उन्हें अलग करना और उनका इलाज करना जैसी सुविधा मिलेगी। मॉडुलस हाउसिंग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, श्रीराम रविचंद्रन के मुताबिक, “केरल में इस पायलट प्रोजेक्ट से माइक्रो-अस्पतालों की अहमियत को साबित करने में मदद मिलेगी। मेडिकैब फौरन समाधान करने में कारगर है।”

ग्रामीण इलाकों में होगा मददगार

उन्होंने यह भी कहा कि, ” फौरन इमारतें बनाना मुश्किल है। साथ ही ग्रामीण आबादी भी कम है, ऐसे में यह छोटे अस्पताल COVID-19 मामलों से निपटने में बहुत मददगार साबित हो सकते हैं। वहीं, आईआईटी-एम ने बताया कि केरल में ये डिप्लॉयमेंट हैबिटेट फॉर ह्यूमैनिटीस टेरविल्लिगर सेंटर फॉर इनोवेशन इन शेल्टर के ग्रांट के साथ किया गया। स्टार्टअप के लिए श्री चित्रा इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंजेस एंड टेक्नोलॉजी (एससीटीआईएमएसटी) से कोलैबोरेशन किया गया। इससे प्रोजेक्ट को सर्टिफिकेशन और कस्टमाइजेशन के इनपुट लेने में मदद मिली

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