अन्नदाता के नाम पर ठगी: JCB से बांधा मेढ़, कागज में दर्शाया तालाब, 4.40 लाख हड़पे, जांच टीम पहुंची तो फर्जी किसान का करा दिया बयान

अन्नदाता के नाम पर ठगी: JCB से बांधा मेढ़, कागज में दर्शाया तालाब, 4.40 लाख हड़पे, जांच टीम पहुंची तो फर्जी किसान का करा दिया बयान


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जबलपुर21 मिनट पहले

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फिर से जांच करने पहुंचे मनरेगा कार्यक्रम अधिकारी उमेश तिवारी

  • जनपद पंचायत शहपुरा के उमरिया ग्राम पंचायत का मामला
  • जांच के नाम पर भी हुआ गड़बड़झाला

तालाब में गेहूं फसल लहलहा रही है। सुनने में अटपटा जरूर लगेगा, लेकिन सरपंच और सचिव ने ये कारनामा कर दिखाया। मामला शहपुरा पंचायत के उमरिया ग्राम पंचायत का है। यहां दो किसानों के खेत में तालाब खुद गए, जबकि किसान के खेत में JCB चलाकर मेढ़ बांधा गया था।

भुगतान में भी खेल कर दिया। कागजों में पूरा काम मनरेगा मजदूरों से कराना दर्शा दिया। पंचायत ऐप से मामले का खुलासा होने पर शिकायत हुई तो जांच भी फर्जी करा दी गई। जांच टीम के सामने फर्जी किसान को पेश कर बयान दिलवा दिया गया। लाखों के इस बंदरबांट का प्रकरण अब तूल पकड़ता जा रहा है।

किसान प्रीतम गेहूं के खेत में खड़े हैं, यहीं पर तालाब दर्शाया गया था

किसान प्रीतम गेहूं के खेत में खड़े हैं, यहीं पर तालाब दर्शाया गया था

केस-एक
ग्राम पंचायत उमरिया के कटीला गांव में सरपंच ने खेत में तालाब का कार्य कराया था। गांव के प्रीतम सिंह के खेत में 3.10 लाख की लागत से तालाब की खुदाई कराई गई। 63 हजार रुपए सामग्री पर और 2.46 लाख रुपए मजदूरी का आवंटित हुआ था। सहायक यंत्री ने जांच के बाद रिपोर्ट लगाई कि सामग्री पर यहां कुछ नहीं खर्च हुआ। महज 2.36 खर्च कर तालाब खुद गया।

किसान विमल सिंह अपने खेत में खड़े हैं

किसान विमल सिंह अपने खेत में खड़े हैं

केस-दो
इसी तरह गांव के विमल सिंह के खेत में भी तालाब खुदाई के लिए 3.10 लाख रुपए जारी हुए। पर उनके यहां मजदूरों ने कमाल कर दिया। सहायक यंत्री ने कार्य पूर्णता की जो रिपोर्ट पेश की, उसके मुताबिक महज 2.04 लाख रुपए मनरेगा मजदूरी में ही पूरा तालाब खुद गया। यहां भी सामग्री कुछ नहीं लगा। यहां तक कि दोनों तालाब खुदाई में मस्टर रोल में मजदूरों का नाम भी चढ़ाया गया है।
पंचायत एप से हुआ खुलासा
पंचायत एप के माध्यम से पता चला कि प्रीतम सिंह व विमल के खेत में मेढ़ बंधान नहीं तालाब खुदाई कराई गई है। जबकि प्रीतम के खेत में गेहूं की फसल लहलहा रही है। वहीं विमल के खेत की अभी जुताई हुई है। उमरिया गांव निवासी एवं RTI एक्टिविस्ट मुकेश विश्वकर्मा ने किसानों को इसकी जानकारी दी। तब उन्हें इस गड़बड़झाले की जानकारी हुई।

ये फर्जी जांच, जिसमें क्लीन चिट दे दी गई थी

ये फर्जी जांच, जिसमें क्लीन चिट दे दी गई थी

जांच में भी गड़बड़झाला
RTI एक्टिविस्ट और किसानों की ओर से शहपुरा पंचायत में अधिकारियों से मामले की शिकायत की। इसके बाद एक जांच गठित की गई। जांच टीम ने भी सरपंच और सहायक सचिव को क्लीन चिट दे दी। रिपोर्ट में बताया कि दोनों किसानों के तालाब खुदाई में शामिल मस्टररोल के मुताबिक मजदूरों का बयान लिया गया।
सभी को भुगतान हो चुका है। वहीं किसान प्रीतम सिंह ने भी बयान में बताया है कि उसके खेत में तालाब की खुदाई हुई है। मुकेश विश्वकर्मा ने झूठी शिकायत की है। जबकि किसान प्रीतम का दावा है कि कोई टीम उसका बयान लेने आई ही नहीं, ताे झूठा बयान किससे ले गई।

प्रीतम द्वारा दिया गया शपथ पत्र

प्रीतम द्वारा दिया गया शपथ पत्र

शपथ पत्र देकर की शिकायत तब मचा हड़कंप
फर्जी जांच और क्लीन चिट दिए जाने की जानकारी पर प्रीतम सिंह ने शपथ पत्र के माध्यम से शिकायत की। बताया कि उसके खेत में नौ घंटे लगाकर JCB से सिर्फ मेढ़ बंधान का काम कराया गया था। ऐसा ही दावा विमल सिंह का भी है। दोनों किसानों ने अपने नाम पर निकाले गए 4.40 लाख रुपए के बंदरबांट का आरोप लगाया है।
JCB द्वारा कराए गए दोनों काम में मुश्किल से 20 हजार रुपए का खर्च आया होगा। इसके बाद 23 दिसंबर को फिर अधिकारियों ने खेत में जाकर जांच की। अब सचिव पर जहां कार्रवाई की तलवार लटक रही है, वहीं सरपंच से रिकवरी हो सकती है। मामले में कार्य पूर्णता का प्रमाण पत्र देने वाले सहायक यंत्री भी फसेंगे।

शहपुरा जनपद पंचायत कार्यालय

शहपुरा जनपद पंचायत कार्यालय

खेत में नहीं मिला तालाब
जनपद पंचायत शहपुरा के अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी उमेश तिवारी ने बताया कि 23 दिसंबर को मैं दोनों किसानों के खेत में गया था। वहां तालाब नहीं मिला। एक खेत में गेहूं व मटर तो दूसरे किसान के खेत में कोई फसल नहीं मिली। तालाब के बारे में सरपंच व सहायक सचिव का दावा है कि बारिश में पट गया होगा। दोनों किसानों ने बयान में बताया कि पूर्व में कोई जांच टीम उनसे नहीं मिली और न ही बयान लिया। फिर उनके नाम का बयान किसने दे दिया। इससे भी बढ़कर हैरानी की बात ये कि प्रीतम अनपढ़ हैं, तो उनके नाम पर लिखित बयान किसका है।



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