म्यूजिकल इवनिंग: पंजाबी गीतों में नजर आई पंजाब की मस्ती और मिट्‌टी की साैंधी-सौंधी खुशबू

म्यूजिकल इवनिंग: पंजाबी गीतों में नजर आई पंजाब की मस्ती और मिट्‌टी की साैंधी-सौंधी खुशबू


Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप

भोपाल23 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

गमक के अंतर्गत जनजातीय संग्रहालय में प्रस्तुति देते कलाकार।

  • गमक में ईशासिंह का ‘पंजाबी लोकगायन’ और आशीष श्रीवास्तव और साथी कलाकारों का बुंदेलखंडी मार्शल आर्ट ‘अखाड़ा’

‘गमक’ श्रृंखला अंतर्गत मंगलवार को मुंबई की ईशा सिंह ने ‘पंजाबी लोक गायन’ और आशीष श्रीवास्तव और साथी कलाकारों ने सागर के बुंदेलखंडी मार्शल आर्ट ‘अखाड़ा’ की प्रस्तुति दी। यह नजारा था जनजातीय संग्रहालय का।

प्रस्तुति की शुरुआत ईशा सिंह के पंजाबी लोक गायन से हुई। जिसमें, ‘खेड़ियां दे नाल’, ‘चरखे दी कूख’, ‘अखियां च तू बसदा’, ‘बाजरे दा सिट्टा’, ‘बूहे बारियां’, ‘लोंग ग्बाच्या’ और ’काला डोरया’ आदि पंजाबी लोकगीत प्रस्तुत किए गए।

गौरतलब है कि ईशा सिंह को संगीत विरासत में मिला है। इन्होंने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा अपने पिता गुरनाम सिंह से प्राप्त की। शास्त्रीय संगीत की शिक्षा दिल्ली घराने की ख्यात शास्त्रीय गायिका डॉ. मल्लिका बनर्जी से प्राप्त की। इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से बीए ऑनर्स और पंजाब विश्वविद्यालय, पटियाला से शास्त्रीय संगीत में स्नातकोत्तर की डिग्री ली। इसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित शास्त्रीय संगीत प्रतियोगिता की विजेता बनी। साथ ही इन्हें साहित्य कला परिसद दिल्ली से स्कॉलरशिप भी मिली।

दूसरी प्रस्तुति बुंदेलखंडी मार्शल आर्ट्स ‘अखाड़ा’ की हुई। अखाड़ा अनादि काल से खेले जाने वाली लोक कला है, जिसमें लाठियों को कई प्रकार से घुमाया जाता है और लाठियों से बचाओ और बार करना दिखाया जाता है। इसमें ढाल, तलवार, भाला, फरसा, बल्लम आदि शास्त्रों को चलाने और उनसे बचने की कला दिखाई जाती है। अखाड़े में लेझिम बजा कर शौर्य प्रदर्शन एवं नृत्य किया जाता है।

आशीष श्रीवास्तव लगभग पच्चीस सालों से लोक कलाओं में निरंतर सहभागिता निभा रहे हैं। इन्होंने बारह वर्ष की आयु से वीरदल जयहिंद अखाड़े के माध्यम से देश के कई प्रतिष्ठित मंचों पर प्रसंशनीय प्रस्तुतियां दी हैं और रंगमंच में भी सक्रिय सदस्यता निभाते आ रहे हैं|



Source link