एक जिला एक उत्पाद: उद्यमी बोले- क्लस्टर बना तो रोस्टेड पोहा और अन्य उत्पाद भी बनाए जा सकेंगे

एक जिला एक उत्पाद: उद्यमी बोले- क्लस्टर बना तो रोस्टेड पोहा और अन्य उत्पाद भी बनाए जा सकेंगे


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  • Entrepreneurs Said If A Cluster Is Formed Then Roasted Poha And Other Products Will Also Be Made.

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उज्जैन21 घंटे पहले

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फैक्टरी में पोहा बनने की प्रक्रिया देखते कलेक्टर सिंह।

  • सीएम के सामने आधे घंटे का प्रजेंटेशन देकर बताएंगे उज्जैन के पोहे की क्या खासियत

क्लस्टर बनता है तो पोहे के अन्य उत्पाद भी तैयार हो सकेंगे। सामान्य पोहा के साथ रोस्टेड पोहे का बाजार भी तैयार हो गया है। उद्यमियों को यदि बड़ी जमीन मिले तो वे अपने उद्योग में आधुनिक मशीनों का उपयोग भी कर सकते हैं। उज्जैनी पोहा का जीआई टैग करा कर ब्रांड में तब्दिल किया जा सकता है।

यह कहना है पोहा उद्यमियों का। शुक्रवार को कलेक्टर आशीष सिंह मक्सीरोड उद्योगपुरी पहुंचे। लघु उद्योग भारती कार्यालय में उन्होंने उद्यमियों के साथ पोहा उद्योग को लेकर बेसिक जानकारी ली। उन्होंने एक पोहा उद्योग में जाकर निर्माण प्रक्रिया को समझा। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा एक जिला एक उत्पाद अभियान के तहत उज्जैन में पोहा उद्योग का क्लस्टर बनाने की घोषणा किए जाने से उद्यमी उत्साहित हैं। जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक एआर सोनी ने बताया उद्योग विभाग को 36 नए पोहा उद्योग खोलने के लिए आवेदन मिले हैं।

उद्यमी दीपक सनमुखानी ने कलेक्टर को बताया कि उज्जैन में 40 उद्योग चल रहे हैं जहां रोज 200 टन पोहा-परमल का उत्पादन होता है। हरेक उद्योग में औसत 30 श्रमिकों को रोजगार मिलता है। इसमें उद्योग के कर्मचारी और परिवहन व अन्य काम करने वाले भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि धान गुजरात से आती है, जो अभी 18 रुपए किलो मिल रही है और उज्जैन का पोहा 28 से 32 रुपए किलो के दाम पर बिक रहा है। थोक व्यापारियों के माध्यम से पोहा देशभर में पहुंचता है। व्यापारी अपना मार्का लगा कर बेचते हैं। इसलिए उज्जैन के पोहे की पहचान नहीं बन पा रही।

दो सौ से ज्यादा इंडस्ट्री लगने की संभावना
बातचीत के दौरान कलेक्टर ने भविष्य की संभावनाओं को लेकर भी उद्यमियों से सवाल किए। उद्यमियों ने बताया कि उज्जैन के पोहे की इतनी डिमांड है कि उसे पूरा करने के लिए दो सौ इंडस्ट्री भी लग सकती है। उद्यमियों ने कहा कि केवल पोहा ही नहीं उससे जुड़े अन्य उत्पाद भी तैयार किए जा सकते हैं। इसमें रोस्टेड पोहा भी शामिल है। इसकी डिमांड भी काफी बढ़ गई है। लेकिन हमारे पास व्यवस्था नहीं है कि अन्य उत्पादन भी कर सकें। सरकार की पहल पर नए उद्यमियों ने आवेदन दिए हैं।

जो उद्योग चल रहे हैं वे भी विस्तार करना चाहते हैं। कलेक्टर ने उद्यमियों से जमीन की जरूरत, ईंधन, पानी आदि की जरूरत को लेकर भी जानकारी ली। जमीन को लेकर कलेक्टर ने कहा कि जमीन हम तलाश रहे हैं। बैठक में लघु उद्योग भारती के उल्लास वैद्य, नीलेश चंदन, अतीत अग्रवाल, चरणजीतसिंह कालरा, गिरीश माहेश्वरी, ईश्वर पटेल, अभिषेक जैन, अमित हेड़ा सहित अन्य उद्यमी मौजूद थे।

उद्यमी बोले- शहर के पास जमीन मिले

  • शहर के पास ज्यादा जमीन उपलब्ध कराएं।
  • सिंगल विंडो पद्धति से शासन की सुविधाएं दी जाए।
  • कर्मचारियों को प्रशिक्षण की व्यवस्था करें।
  • जीआई टैग से ब्रांड बनाएं।
  • वेयरहाउस की सुविधा उपलब्ध कराएं।
  • मॉल और रिटेल दुकानदार उज्जैन ब्रांड को अपनाएं।
  • ईंधन, पानी और मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था हो।



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