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ग्वालियर9 मिनट पहले
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यह हैं धर्मेन्द्र शर्मा, दबंगों ने प्लॉट पर कब्जा किया और प्रशासन, शासन ने नहीं सुनी तो रविवार को सीएम के सामने आत्मदाह का प्रयास किया था
- दो साल से एडीएम से लेकर सीएम तक भटक चुका है पीड़ित
- शाम को समय कम होने से नहीं हो सकी रजिस्ट्री
बीजेपी को वोट देता हूं, मैंने सरकार चुनी है और उसके बाद भी दो साल से एडीएम, कलेक्टर व सीएम तक गुहार लगा चुका हूं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। ऐसे में अपने मुखिया के सामने आत्मदाह के प्रयास के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था। रविवार को फूलबाग पर सीएम के सामने आत्मदाह का प्रयास करने वाले धर्मेन्द्र शर्मा ने कुछ इस तरह अपना दर्द बयां किया है। हालांकि रविवार को उसके इस कदम के बाद सोमवार सुबह ही मुरैना एडीएम कार्यालय से उसके घर फोन पहुंच गया। वहां एडीएम, एसडीएम व तहसीलदार के सामने 6 घंटे सुनवाई के बाद उसके प्लॉट का मुद्दा सुलझ गया है। सिर्फ रजिस्ट्री होना शेष है।
यह है पूरा मामला
मुरैना के अंबाह सिरमौर का पुरा निवासी धर्मेन्द्र पुत्र मेवाराम शर्मा पेशे से ट्रक चालक हैं। अभी वह आदित्यपुरम ग्वालियर में ही रहते हैं। वर्ष 2008 में उन्होंने 2.5 लाख रुपए में 2232 स्क्वेयर फीट का प्लॉट मुरैना में अपने गांव के पास अंबाह रोड पर खरीदा था। उस समय सिर्फ रजिस्ट्री नहीं करा पाया था, जिससे प्लॉट खरीदा था उसका नाम धर्मेन्द्र शर्मा उर्फ पप्पू है। वह वहां का दबंग माना जाता है। इसके बाद उसने रजिस्ट्री ही नहीं की। धर्मेन्द्र जब भी रजिस्ट्री के लिए कहता तो पप्पू उसे भगा देता। प्लॉट पर भी उसका कब्जा था। बीते दो साल से धर्मेन्द्र एसडीएम, एडीएम, कलेक्टर मुरैना से मदद की गुहार लगा रहा था, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं था। इसके बाद बीते दो साल में उसने सीएम हेल्पलाइन व सीएम के बंगले पर पहुंचकर भी पांच दफा आवेदन लगाया है, लेकिन तब भी उसकी सुनवाई नहीं हुई थी। तब जाकर रविवार को सीएम शिवराज के ग्वालियर फूलबाग कार्यक्रम में पहुंचकर उसने आत्मदाह के प्रयास का कदम उठाया। किसी तरह उसे बचा लिया गया।
सुबह ही पहुंचा एडीएम कार्यालय से फोन
पीड़ित ने दैनिक भास्कर से बात करते हुए बताया कि वह आत्मदाह के प्रयास करने पर विवश था। रविवार रात 12 बजे तक पड़ाव थाना में उसे रखने के बाद पुलिस ने छोड़ा। साथ ही लिखवाया भी कि वह कभी आत्मदाह का प्रयास नहीं करेगा। सोमवार सुबह ही एडीएम मुरैना उमेश प्रकाश शुक्ला के कार्यालय से फोन पहुंच गया। जब वह एडीएम कार्यालय पहुंचे तो वहां दूसरे पक्ष को भी बुलवा लिया गया था। एडीएम उमेश प्रकाश, एसडीएम आरएस बाकला, तहसीलदार अजय शर्मा के सामने पूरे मामले की सुनवाई हुई। इस पर दूसरे पक्ष ने रजिस्ट्री करने और कब्जा देने पर सहमति दे दी है।