ऐसे में जब टीम इंडिया सीरीज में एक टेस्ट हारकर पिछड़ चुकी है, तब करुण नायर की उस साहसिक पारी का याद आना स्वाभाविक है. खुद करुण नायर उस पारी को याद कर आज भी रोमांचित हो जाते हैं. इंग्लैंड टीम 2016 में भारत दौरे पर पांच टेस्ट मैच खेलने आई थी. पहले दो टेस्ट मैच में करुण नायर को मौका नहीं मिला, लेकिन तीसरे टेस्ट में उन्हें टीम में शामिल कर लिया गया. लेकिन पहले तीसरे और चौथे टेस्ट मैच में करुण नायर के बल्ले से कोई करिश्मा नहीं हुआ. उनके बल्ले से 4 और 13 रनों की पारियां निकलीं.
चेन्नई में करुण नायर ने 384 गेंदों पर 303 रनों की पारी खेली थी. फाइल फोटो: पीटीआई
जाहिर है पांचवें टेस्ट में करुण नायर पर दबाव जबर्दस्त था. लेकिन इस मैच में इतिहास बदलने वाला था. इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 477 रन का विशाल स्कोर बनाया. इसका जवाब देने उतरी टीम इंडिया ने शुरुआत तो अच्छी की. पहले विकेट के लिए 152 रन जोड़ दिए. लेकिन इसके बाद तीन विकेट जल्दी गिर गए. 211 के स्कोर पर करुण नायर बल्लेबाजी करने उतरे. पांचवें नंबर पर बल्ला लेकर उतरे करुण नायर ने नाबाद 303 रनों की पारी खेली. और सहवाग के बाद दूसरे भारतीय बल्लेबाज बने, जिसने तिहरा शतक जड़ दिया. इस मैच को भारत ने पारी और 75 रनों से जीत लिया.
जब करुण ने नहीं बुलाया माता पिता को कुंबले ने बुला लिया
करुण नायर चेन्नई में अपने जीवन का तीसरा टेस्ट खेल रहे थे. करुण नायर याद करते हुए कहते हैं, मेरे पिता ने बेंगलुरु के अलावा कहीं भी मेरा मैच नहीं देखा. जब मैं चेन्नई में खेल रहा था तो अनिल (कुंबले)सर ने मुझसे कहा कि मुझे अपने पिता को बुलाना चाहिए. लेकिन मैं उन्हें नहीं बुला सका. इसके बाद अनिल सर ने खुद उन्हें बुला लिया. मेरे पिता मां के साथ मैच देखने पहुंचे.