विधानसभा स्पीकर की रेस में पिछड़े केदारनाथ शुक्ला अब अपनी नाराजगी बयां कर रहे हैं.
मध्य प्रदेश विधानसभा का अध्यक्ष पद न मिलने से विंध्य क्षेत्र के वरिष्ठ बीजेपी विधायक केदारनाथ शुक्ला नाराज हैं. उन्होंने अब संगठन से मंत्री पद देने की मांग की है. शुक्ला विधानसभा अध्यक्ष बनना चाहते थे लेकिन पार्टी ने इस पद के लिए गिरीश गौतम को तवज्जो दी और वो निर्विरोध चुन लिए गए. शुक्ला ने अपनी इस नई मांग से मुख्यमंत्री शिवराज की चिंता बढ़ा दी है.
विंध्य और बगावत
गिरीश गौतम को भले ही विधानसभा अध्यक्ष चुन लिया गया लेकिन विंध्य के नेता इससे संतुष्ट होते नहीं दिख रहे हैं. विधानसभा चुनाव में बीजेपी को इस पूरे क्षेत्र में बंपर सीटें मिली थीं. इसके बाद यह उम्मीद थी कि वहां से सरकार में भी नेताओं को प्रतिनिधित्व मिलेगा लेकिन सिंधिया समर्थकों की वजह से ऐसा नहीं हो पाया. विंध्य के नेता खून का घूंट पीकर रह गए. यह कयास लगाए गए थे कि विधानसभा का अध्यक्ष विंध्य से ही होगा. ऐसे में दावेदारों को भी अब तक आस थी लेकिन जैसे ही गिरीश गौतम का नाम अध्यक्ष के लिए तय हुआ बाकी वो नेता खफा हो गए, जो अध्यक्ष की रेस में शामिल थे. उनमें केदारनाथ शुक्ला भी शामिल हैं. राजेंद्र शुक्ल का भी अध्यक्ष के तौर पर चल रहा था.
कितना मुश्किल है मंत्रिमंडल विस्तारनाराज नेताओं को संतुष्ट करने का अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पास एक ही जरिया बचा है और वह मंत्रिमंडल विस्तार है लेकिन मौजूदा वक्त में मंत्रियों की संख्या को देखते हुए अब केवल 4 विधायकों को ही मंत्री बनाया जाना संभव है. दावेदारों की सूची इससे कहीं लंबी है. ऐसे में क्या मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल विस्तार करने का जोखिम ऐसे वक्त में उठाएंगे यह अपने आप में बड़ा सवाल है.