इंदौर-महू के बीच रोज सैकड़ों यात्री सफर करते हैं.
Indore. इंदौर महू के बीच 10 रुपये ट्रेन (Train) किराया है.उसमें 15 रुपये रिजर्वेशन चार्ज है और आईआरसीटीसी (Irctc) का चार्ज 11 रुपये है. इस तरह ये टिकट 36 रुपए का पड़ रहा है.
कोरोना संकट के बाद ट्रेनों के पहिए अब रफ्तार पकड़ रहे हैं. रेलवे ने पहले स्पेशल ट्रेनों की शुरुआत की और अब उसके बाद कम दूरी की लोकल और पैसेंजर ट्रेन भी शुरू कर दी गयी हैं.लेकिन लोकल ट्रेनों की गति के साथ किराये ने भी रफ्तार पकड़ ली है. भारतीय रेलवे ने लोगों को राहत देने की बजाय उनकी जेब पर भार डाल दिया है.कोरोना महामारी के बाद पटरी पर उतरी लोकल-पैसेंजर ट्रेनों से लोगों को आस थी कि उनका सफर आसान हो जाएगा. वे कम किराये में अपने गंतव्य तक पहुंच जाएंगे.साथ ही बसों में बढ़ रही भीड़ से भी निजात मिल जाएगी.लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
GM से शिकायत
इंदौर-महू के बीच लोकल ट्रेन का टिकट 10 रुपए का था लेकिन अब ये टिकट 36 रुपए में मिल रहा है जो बस से काफी महंगा है.इसकी शिकायत पश्चिम रेलवे के जीएम से की गई है और तत्काल किराया कम करने की मांग की गई है.इंदौर – महू के बीच सबसे ज्यादा कॉलेज के छात्र छात्राएं सफर करते हैं. इसके बाद नौकरी और व्यवसाय करने वाले अपडाउन करते हैं. लेकिन ज्यादा किराया होने से इसका असर उनकी आर्थिक स्थिति पर पड़ रहा है.यात्री परेशान
यात्रियों का कहना है रेल किराये में वृद्धि दोहरी मार है. कोरोना काल में वैसे ही लोग आर्थिक रूप से पस्त पड़े हुए हैं. रेल सुविधा बंद रहने के कारण करीब 11 माह से कई लोगों का रोजगार बंद था.अब जब रेल शुरू की गई तो किराया तीन गुना से ज्यादा कर दिया गया है. ये आम यात्रियों के साथ सरासर अन्याय है.
रेलवे ने बतायी वजह
इंदौर महू के बीच की दूरी 25 किलोमीटर है. लेकिन इतनी कम दूरी का ज्यादा किराया लेने के पीछे रेलवे अपने तर्क दे रहा है.पश्चिम रेलवे के सीनियर पीआरओ जितेन्द्र कुमार जयंत का कहना है कोविड के कारण सभी ट्रेनों को स्पेशल ट्रेन के रूप में ही चलाया जा रहा है. सिर्फ रिजर्वेशन वाले यात्री ही सफर कर पाएंगे.इसीलिए लोकल ट्रेनों में भी रिजर्वेशन किया जा रहा है. यही वजह कि इंदौर महू के बीच 10 रुपये ट्रेन किराया है. उसमें 15 रुपये रिजर्वेशन चार्ज है और आईआरसीटीसी का चार्ज 11 रुपये है. इस तरह ये टिकट 36 रुपए का पड़ रहा है.
कम नहीं हो सकता किराया
रेलवे के जीएम आलोक कंसल के मुताबिक कोविड-19 संकट के कारण यात्री ट्रेनों के परिचालन में कटौती और इनमें क्षमता से कम लोगों के सफर करने के कारण पश्चिम रेलवे को सालाना करीब 5,000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान झेलना पड़ा है. अभी भी पश्चिम रेलवे की जो यात्री ट्रेनें चल रही हैं,उनमें से कुछ ट्रेनों में तो कुल सीट क्षमता के केवल 10 प्रतिशत लोग ही सफर कर रहे हैं.इसलिए रेलवे को भारी घाटा हो रहा है.इसकी भरपाई करना मुश्किल है.ऊपर से लोग कम किराये की मांग कर रहे हैं जो संभव नहीं है.