- Hindi News
- Local
- Mp
- 9 Investigation Officers In MP Cyber Cell, Only 3 In Bhopal; Pending 1900 Complaints To Each One, How Will The Cases Be Resolved In 15 Days Under Such Circumstances
Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
भोपाल17 घंटे पहलेलेखक: विशाल त्रिपाठी
- कॉपी लिंक
मप्र सायबर सेल के 5 संभाग में 13 इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर हैं, सभी के पास 1500-1900 शिकायतों की जांच का बोझ है।
- केंद्र ने जो सोशल मीडिया की नई गाइडलाइन जारी की है, उसके तहत 15 दिन में करना होगा केसों का निपटारा
- 8 महीने से लंबित है एसआई और सिपाही स्तर के 57 पदों पर भर्ती की अनुशंसा
सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट न हटाने पर एफआईआर दर्ज करने वाली राज्य सायबर सेल शिकायतों की लंबी फेहरिस्त के बोझ तले दबी है। मप्र सायबर सेल के 5 संभाग में 13 इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर हैं। सभी के पास 1500-1900 शिकायतों की जांच का बोझ है। इस बीच सोशल मीडिया को लेकर केंद्र ने नई गाइडलाइन जारी कर दी है, लेकिन मप्र सायबर सेल की दक्षता बढ़ाने पर राज्य सरकार का ध्यान अब तक नहीं गया है।
यही वजह है कि सायबर सेल में एसआई और सिपाही स्तर पर 57 पदों पर भर्ती की अनुशंसा 8 महीने से लंबित है। दरअसल, सोशल मीडिया पर लगाम लगाने के मकसद से केंद्र सरकार ने बीती 25 फरवरी को नई गाइडलाइन जारी की है। ये नियम 3 महीने में लागू कर दिए जाएंगे। एक भारतीय अधिकारी नियुक्त कर ऐसी शिकायतों का निपटारा 15 दिन के भीतर करना होगा। ऐसा नहीं करने पर 5 साल की सजा हो सकती है।
- 90-100 तक एफआईआर की जांच का जिम्मा है भोपाल के तीन विवेचना अधिकारियों पर
- 13 साल पहले भोपाल के सीआईडी थाने में दर्ज हुआ था पहला केस
जालसाजों की तकनीक से पीछे रहने की तीन बड़ी वजह
1. स्टाफ की बहुत कमी है
राज्य सायबर सेल फिलहाल 5 संभाग भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और उज्जैन में काम कर रहा है। इनमें कुल 9 विवेचना अधिकारी हैं। भोपाल संभाग में आने वाली शिकायतों की जांच के लिए 3 विवेचना अधिकारी हैं। हर एक के पास 90-100 अपराध और 1500-1900 शिकायतों की जांच है।
2. 55 पद हैं एसआई के
सायबर पुलिस के लिए एसआई स्तर के फिलहाल 55 पद स्वीकृत हैं। तकरीबन सभी पद प्रतिनियुक्ती से भरे गए हैं। इनमें से 50 फीसदी पद सायबर कैडर से भरे जाने की अनुशंसा की गई है। ऐसे ही सिपाही स्तर के लिए स्वीकृत 61 पदों को भी 50 फीसदी सायबर कैडर से भरे जाने की अनुशंसा है। यदि ऐसा हुआ तो सायबर एक विशेषज्ञ संस्था बन सकेगी।
3. सॉफ्टवेयर की जरूरत
मप्र सायबर सेल के पास ऐसे नए सॉफ्टवेयर हैं, जो डिलीटेड डाटा, मिररिंग, क्लोनिंग डिस्क फॉरेंसिक कर पाने में कारगर हैं। टीम के पास एक इंसीडेंट रिस्पॉन्स व्हीकल (आईआरवी) भी है, जो स्पॉट पर जाकर सायबर फॉरेंसिक का काम कर सकती है। अभी राज्य सायबर पुलिस को नेटवर्क फॉरेंसिक के लिए नए सॉफ्टवेयर की जरूरत है।
स्पेशल डीजी, एडीजी की भी पोस्ट खाली
राज्य सायबर मुख्यालय में स्पेशल डीजी और एडीजी के भी पद हैं, जो काफी समय से खाली हैं। फिलहाल यहां डीआईजी स्तर के अफसर ही इन दोनों चार्ज को भी संभाल रहे हैं। भोपाल, इंदौर और ग्वालियर में एसपी स्तर के अफसर हैं, जिन्हें अपने-अपने संभाग की जिम्मेदारी दी गई है। जबलपुर और उज्जैन में एसपी के पद खाली हैं। इनके अलावा राज्य सायबर सेल में 1 एएसपी, 2 डीएसपी और कुल 9 इंस्पेक्टर पदस्थ हैं।
दक्षता बढ़ाने पर भी विचार हो
- सभी सोशल मीडिया कंपनी विदेश बेस्ड हैं। उनके नोडल ऑफिसर भी पुलिस को सपोर्ट नहीं करते हैं। फील्ड वेरिफिकेशन नहीं होते हैं, इसलिए सायबर फ्रॉड भी बढ़ रहे हैं। केवाईसी न करने वालों को कठोर सजा का प्रावधान होना चाहिए। सायबर सेल की दक्षता को बढ़ाने पर भी विचार किया जाना चाहिए। – गुरकरन सिंह, एसपी सायबर भोपाल