Ayodhya’s Shri Ram, 600 years old from Orchha | अयोध्या के श्रीराम का ओरछा से 600 साल पुराना नाता

Ayodhya’s Shri Ram, 600 years old from Orchha | अयोध्या के श्रीराम का ओरछा से 600 साल पुराना नाता


ओरछा5 मिनट पहले

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अाेरछा। यहां राजा के रूप में विराजमान हैं राम।

  • 16वीं शताब्दी में बुंदेला शासक की महारानी अयोध्या से यहां लाई थी श्रीराम को

अयोध्या नगरी सज रही है। तमाम अड़चनों के बाद 5 अगस्त को भूमिपूजन के साथ यहां प्रभु राम का विशाल मंदिर बनना शुरू हो जाएगा। अयोध्या के रामलला के साथ ही ओरछा के रामराजा भी हमेशा चर्चा में रहते हैं। अयोध्या से मप्र के निवाड़ी जिले की ओरछा तहसील दूरी करीब साढ़े चार सौ किलोमीटर है, लेकिन इन दोनों ही जगहों के बीच गहरा नाता है। जिस तरह अयोध्या के रग-रग में राम हैं, उसी प्रकार ओरछा की धड़कन में भी राजा राम विराजे हैं। राम यहां धर्म से परे हैं। हिंदू हो या मुस्लिम, दोनों के ही रामराजा सरकार आराध्य हैं। अयोध्या और ओरछा का करीब 600 वर्ष पुराना नाता है। कहा जाता है कि 16वीं शताब्दी में ओरछा के बुंदेला शासक मधुकरशाह की महारानी कुंवरि गणेश अयोध्या से रामलला को ओरछा ले आईं थीं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार ओरछा के शासक मधुकरशाह कृष्ण भक्त थे, जबकि उनकी महारानी कुंवरि गणेश, राम उपासक। इसके चलते दोनों के बीच अक्सर विवाद भी होता था। एक बार मधुकर शाह ने रानी को वृंदावन जाने का प्रस्ताव द‍िया पर उन्होंने विनम्रतापूर्वक उसे अस्वीकार करते हुए अयोध्या जाने की जिद कर ली। तब राजा ने रानी पर व्यंग्य किया क‍ि अगर तुम्हारे राम सच में हैं, तो उन्हें अयोध्या से ओरछा लाकर दिखाओ।

इस पर महारानी कुंवरि गणेश अयोध्या रवाना हो गईं। वहां 21 दिन उन्होंने तप किया। इसके बाद भी उनके आराध्य प्रभु राम प्रकट नहीं हुए, तो उन्होंने सरयू नदी में छलांग लगा दी। कहा जाता है क‍ि महारानी की भक्ति देखकर भगवान राम नदी के जल में ही उनकी गोद में आ गए। तब महारानी ने राम से अयोध्या से ओरछा चलने का आग्रह किया, तो उन्होंने तीन शर्तें रख दीं।

पहली, मैं यहां से जाकर जिस जगह बैठ जाऊंगा, वहां से नहीं उठूंगा, दूसरी, ओरछा के राजा के रूप विराजित होने के बाद क‍िसी दूसरे की सत्ता नहीं रहेगी और तीसरी शर्त खुद को बाल रूप में पैदल एक विशेष पुष्य नक्षत्र में साधु संतों को साथ ले जाने की थी। महारानी ने ये तीनों शर्तें सहर्ष स्वीकार कर ली। इसके बाद ही रामराजा ओरछा आ गए। तब से भगवान राम यहां राजा के रूप में विराजमान हैं।

ओरछा में राम हिन्दुओं और मुसलमानों के आराध्य: ओरछा में राम हिन्दुओं के भी हैं और मुसलमानों के भी। ओरछा निवासी मुन्ना खान जो सिलाई का काम करते हैं। वह कहते हैं क‍ि रोज दरबार में सजदा करता हूं। हमारे तो सब यही हैं. राम हमारे आराध्य हैं। ओरछा के ही नईम बेग भी राम को उतना ही मानते हैं जितना रहीम को। वे कहते हैं कि आपसी भाईचारा ऐसा ही रहे, जैसा ओरछा के रामराजा दरबार में है। यही तो ओरछा के राम की गंगा जमुनी तहजीब है।

रामराजा को दिया जाता है गार्ड ऑफ ऑनर

ओरछा और अयोध्या का संबंध करीब 600 वर्ष पुराना है। संवत 1631 में चैत्र शुक्ल नवमीं को जब भगवान राम ओरछा आए, तो उन्होंने संत समाज को यह आश्वासन भी दिया था, क‍ि उनकी राजधानी दोनों नगरों में रहेगी। तब यह बुन्देलखंड की ‘अयोध्या’ बन गया। ओरछा के रामराजा मंदिर की एक और खासियत है कि एक राजा के रूप में विराजने की वजह से उन्हें चार बार की आरती में सशस्त्र सलामी दी जाती है।

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