गर्मी के पहले जलसंकट की आहट: सूख गई नदियां व प्राचीन जलस्रोत, नल-जल योजनाओं से व्यर्थ बह रहा पानी

गर्मी के पहले जलसंकट की आहट: सूख गई नदियां व प्राचीन जलस्रोत, नल-जल योजनाओं से व्यर्थ बह रहा पानी


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जबलपुर3 मिनट पहले

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  • प्रतिदिन व्यर्थ बह रहा लाखों गैलन पानी, जिम्मेदार अधिकारी महज कर रहे खानापूर्ति

ग्रामीण क्षेत्रों में गर्मी शुरू होते ही पेयजल संकट गहराने लगा है। हालात यह हैं कि ग्रामीण क्षेत्र की जीवनदायिनी कही जाने वाली हिरन व सुहार नदी सूखने लगी हैं। परियट नदी प्रदूषण से दम तोड़ती नजर आ रही है। वहीं, कुप्रबंधन के कारण प्राचीन जलस्रोत जैसे कुआं, बावड़ी, पोखर भी नष्ट होने की कगार पर हैं। ग्रामों में जलापूर्ति के लिए शुरू की गई नल-जल योजनाओं से दिए गए कनेक्शन में टोंटियां तक नहीं है। इससे लाखों गैलन पानी प्रतिदिन बर्बाद हो रहा है। यदि पानी की बर्बादी का यही हाल रहा तो आने वाले समय में ग्रामीण क्षेत्रों में पानी बड़ी किल्लत होगी।

सिहोरा: टोंटियां नहीं होने से बर्बाद हो रहा पानी

सिहोरा नगर पालिका क्षेत्र की आबादी करीब 50 हजार है। यहां 6902 नल कनेक्शन दिए गए हैं। हिरन नदी पर बने फिल्टर प्वाइंट से नगर के 18 वार्डों में जलापूर्ति की जाती है। इसके अलावा 58 बोरों से नगर के वार्डों को पब्लिक पोस्ट के माध्यम से पेयजल प्रदान किया जाता है।

इन पब्लिक पोस्टों में टोंटियां नहीं लगी हैं। इससे प्रतिदिन हजारों लीटर पानी बर्बाद हो जाता है। वहीं हिरन नदी सूखने पर नगर में जलापूर्ति ठप हो जाती है। गर्मी के मौसम में लोग पेयजल के लिए तरस जाते हैं। इसके अलावा सिहोरा की 60 ग्राम पंचायतों में नल-जल योजना कनेक्शन है।
गोसलपुर: खदानों से बहा रहे पानी
गोसलपुर क्षेत्र में दर्जनों अयस्क की खदानें हैं। यहां से मोटर पंप लगाकर प्रतिदिन हजारों गैलन पानी रोज बहाया जा रहा है। जबकि जलशोधन करके इस पानी का अन्य उपयोग किया जा सकता है। वहीं, गोसलपुर की आबादी 15 हजार है। यहां नल-जल योजना की सप्लाई के लिए कुछ पंप हाउसों से डायरेक्ट जलापूर्ति की जाती है।

वहीं आधे गांव में 40 साल पुरानी पत्थरों से बनी पानी की टंकी से जलापूर्ति की जा रही है, जो रखरखाव के अभाव में अनेक स्थानों से लीक हो रही है। 922 नल कनेक्शन दिए गए हैं। इसमें करीब एक दर्जन स्थानों पर लीकेज है। इससे सैकड़ों लीटर पानी प्रतिदिन व्यर्थ बह जाता है।
पनागर: सड़क पर बह जाता है 1200 घरों का पानी- पनागर नगर की आबादी 27,932 है। यहां पांच हजार नल-जल योजना के कनेक्शन हैं। नपा सूत्रों की मानें तो जलापूर्ति के लिए बिछाई गई पाइपलाइन करीब 1000 स्थानों पर लीकेज है। इससे प्रतिदिन इतना पानी बह जाता है, जितने से करीब 1200 घरों में जलापूर्ति की जा सकती है।

पानी की बर्बादी पर नपा प्रशासन कुछ भी कहने से बच रहा है। नगर पालिका अंतर्गत चार बाबली हैं। चारों अतिक्रमण की चपेट में हैं। लगभग 90 कुआं हैं, लेकिन नगर पालिका एक की भी देखरेख नही कर पा रही है। अनेक तालाब भू-माफिया द्वारा नष्ट किए जा रहे हैं। मझौली: 62 नल-जल योजनाओं से आपूर्ति- मझौली ब्लॉक के ग्रामों में 62 नल-जल योजनाएं संचालित हैं।

इसमें अधिकांश ग्राम ऐसे हैं, जहां नल-जल योजना में टोंटियां तक नहीं लगी हैं। इससे प्रतिदिन लाखों गैलन पानी नल-जल योजनाओं से बह जाता है। मझौली से 5 किलोमीटर दूर स्थित पटोरी गांव में 100 से अधिक नल-जल योजना के कनेक्शन दिए गए हैं। यहां एक भी कनेक्शन ऐसा नहीं है, जिसमें टोंटी लगी हो। प्रतिदिन लाखों लीटर पानी गांव की नालियों में बह जाता है।

पाटन: नालियों में बह रहा पेयजल

पाटन नगर की आबादी 20 हजार है। जहां टयूबवेल एवं ओवरहेड टैंक से जलापूर्ति की जाती है। नगर में करीब 3500 कनेक्शन हैं। प्रति कनेक्शन 120 रुपए प्रतिमाह निर्धारित किया गया है। अधिकंश कनेक्शन में टोंटियां नहीं लगाई गई हैं। इससे हजारों लीटर पेयजल प्रतिदिन नालियों में बह जाता है।

आने वाले समय में नर्मदा पेयजल पाइपलाइन से जलापूर्ति की जाएगी। पानी खर्च होने के हिसाब से उपभोक्ताओं को भुगतान करना पड़ेगा। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में लगे हैंडपंप गर्मी शुरू होते ही हवा उगलने लगे हैं।

बरगी नगर: पानी को तरस रही आबादी- ग्राम पंचायत हरदुली बरगी नगर की आबादी करीब 10 हजार है। नल-जल योजना के तहत वर्ष 2015 में 25 लाख रुपए की लागत से ओवरहैड टैंक और पाइप लाइन बिछाई गई थी। योजना के तहत एक लाख रुपए की लागत से तीन बोर भी कराए गए, जो फेल हो गए। इससे आज भी ग्रामीण पानी के लिए तरस रहे हैं। यहां सिंचाई विभाग की पाइपलाइन से ग्रामीणों को पानी दिया जा रहा है।
कुंडम: कनेक्शन दिए, टोंटी लगाना भूल गए- कुंडम ग्राम में नल-जल समिति के द्वारा 1310 कनेक्शन दिए गए हैं। गांव में तीन बोर से तीन टंकियों से जलापूर्ति की जाती है। अधिकांश घरों में टोंटी ही नहीं लगाई गई है। इससे गांव में सैकड़ों लीटर पानी प्रतिदिन बर्बाद हो रहा है। ग्राम पंचायत में सोमवार को जलसंरक्षण के लिए संकल्प भी दिलाया गया।
बरेला: सार्वजनिक नलों से टोंटियां गायब- बरेला नगर की आबादी करीब 15 हजार है। यहां वाटर सप्लाई गौर नदी व 22 ट्यूबवेल से हो रही है। 2800 नल कनेक्शन दिए गए हैं। जलापूर्ति के लिए बिछाई गई पाइपलाइन कई स्थानों पर लीकेज है। इसके अलावा सार्वजनिक स्थानों पर नलों की टोंटियां गायब हैं। इससे हजारों लीटर पानी प्रतिदिन व्यर्थ बह रहा है।
अंतरराष्ट्रीय जल दिवस पर बताया जल का महत्व
अंतरराष्ट्रीय जल दिवस पर ग्राम मुरता में राज्यपाल अवॉर्ड से सम्मानित शिक्षिका सुधा उपाध्याय ने ग्रामीणों को जल का महत्व बताया। शासकीय प्राथमिक कन्या शाला सिहोरा में पदस्थ शिक्षिका ने कन्याओं का सर्वप्रथम पूजन-अर्चन किया और उन्हें जल से भरा घड़ा और मास्क वितरित कर जल का महत्व बताया।

वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं
नगर निगम सीमा में सरकारी दफ्तरों के अलावा मकानों में भी वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य किया गया है। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों की बात करें तो न शासकीय भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम है और न ही लोगों ने मकानों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया है। पानी की बर्बादी का यही आलम रहा तो आने वाले दिनों में ग्रामीण क्षेत्र के लोग भीषण पेयजल संकट से जूझते नजर आएंगे।
सिलौंड़ी: जलसंरक्षण पर सभा
सिलौंड़ी ग्राम पंचायत भवन में जल संरक्षण विषय पर विशेष ग्राम सभा का आयोजन किया गया। ग्राम सभा में ग्रामीणों को रूफ वाटर हार्वेस्टिंग, मनरेगा से नदी गहरीकरण, अमृत योजना आदि विषयों पर जानकारी दी गई। इस अवसर पर सरपंच जगन्नाथ दाहिया, सचिव दुर्गा श्रीवास, नोडल अधिकारी शिवनी विश्कर्मा, मीना महोबिया, राजकुमारी गुरु, आशा साहू, सावित्री नामदेव, सरस्वती
राय आदि उपस्थित रहीं।

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