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सागरएक मिनट पहले
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- इंजीनियरों के पास तकनीकी कारणों से अटके हुए हैं काम
जिले भर में मजदूरों को रोजगार देने और जलस्तर बढ़ाने के उद्देश्य हर पंचायत में मनरेगा के तहत खेत तालाब बनाने की योजना थी। इसके तहत हर पंचायत में वसंत 10-10 खेत तालाब स्वीकृत कर मार्च और अप्रैल माह में सभी के काम शुरू करना था। जिले भर में 7340 खेत तालाब बनाने का लक्ष्य था। इसके अलावा पंचायतों और लोगों की जरूरत के आधार पर इन खेत तालाबों की संख्या और भी बढ़ाई जा सकती थी परंतु जनपद स्तर पर की गई मनमानी के कारण अभी तक सिर्फ 4562 खेत तालाब ही स्वीकृत किए जा सके हैं। इनमें से मौके पर 1764 में ही काम शुरू हुआ है। दरअसल, जिला पंचायत से निर्देश जारी होते ही ग्राम पंचायतों द्वारा ग्रामीणों से जरूरी दस्तावेज लेकर फाइलें तैयार करके जनपद पंचायतों में जमा करा दी गई थीं।
जिले भर में 8000 से अधिक फाइलें जमा हुई हैं। बावजूद इसके तकनीकी स्वीकृति देने में जनपद स्तर से लेटलतीफी की जा रही है। जबकि जिला पंचायत से जारी निर्देश में स्पष्ट कहा गया था कि जिस स्तर से भी लेटलतीफी होगी, उसी के आधार पर रोजगार सहायक और सचिव से लेकर सब इंजीनियर, सहायक यंत्री के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। संबंधितों का अप्रैल-मई माह का वेतन भी नहीं बनेगा।
बावजूद इसके किसी को इसकी फिक्र नहीं है। बहरहाल लेटलतीफी के बाद जनपद के अफसरों ने यह बहाना भी बना दिया है कि कई किसानों के खेतों में अभी तक फसल लगी हुई है तो कई किसानों का भूसा खेत में ही पड़ा है। जिसके चलते काम नहीं लग सके। इस बीच जिला पंचायत में पिछले दिनों हुई समीक्षा बैठक के बाद अब 15 अप्रैल तक सभी के तालाब स्वीकृत कर काम हर हाल में लगाने के निर्देश दिए हैं।
46 हजार लेबर कर रही काम, रोज हो रही समीक्षा
जिला पंचायत सीईओ डॉ. इच्छित गढ़पाले ने बताया मनरेगा के तहत वर्तमान में 46737 मजदूर कार्यरत हैं। इसे प्रतिदिन बढ़ाया जा रहा है। जिले भर में 22 हजार 958 निर्माण कार्य चल रहे हैं। मजदूरों की उपलब्धता के हिसाब से ही काम लगाए जा रहे हैं। अब खेत तालाब की स्वीकृति और काम शुरू होने के लक्ष्य की रोज समीक्षा हो रही है। 15 अप्रैल के बाद जहां भी स्वीकृति लंबित रहेगी, वहां के जिम्मेदार अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई होगी।