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- 61 Deaths Occurred In Hospitals And Homes, 7 Bodies In Addition To Chauhani Cremated In Tilwara, Beds Unable To Be Found In Hospitals, Brokerage To Get Admitted.
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जबलपुर9 मिनट पहले
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लाशों के जलाने के लिए चौहानी में लकड़ियां समाप्त हो गई है। सिर्फ एक दिन की लकड़ी बची है।
- मेडिकल कॉलेज में 31 संक्रमितों की हुई मौत, दो संक्रमितों ने घर में ही तोड़ा दम, एक संक्रमित की लाश छोड़कर भाग गए परिजन
जिले में कोरोना संक्रमण से हाहाकार मचा हुआ है। लगातार मौतों पर पर्दा डाला जा रहा है। अस्पतालों में एक-एक बेड के लिए मारामारी मची हुई है। आलम ये है कि शहर की कुछ निजी अस्पतालों के बाहर कारों में मरीज को लेकर परिजन इस इंतजार में हैं कि किसी मरीज की मौत के बाद उन्हें बेड मिल जाएगा। यहां तक कि भर्ती कराने की दलाली भी शुरू हो गई है। गुरुवार को चौहानी के साथ तिलवारा में भी संक्रमितों का संस्कार शुरू हुआ। कुल 61 मौतें हुई हैं। एक का शव को छोड़कर परिजन चले गए।
जानकारी के अनुसार कोविड से मृत लोगों के अंतिम संस्कार में जगह की कमी को देखते हुए गुरुवार को जेसीबी लगाकर चौहानी शमशान घाट में जगह समतल कराई गई। इससे यहां 15 से 20 शवों के संस्कार के लिए जरूरी जगह का इंतजाम और हो गया। वहीं तिलवारा में भी कोविड संक्रमितों का अंतिम संस्कार शुरू कर देने से चौहानी से दबाव हटेगा। गुरुवार को सात संक्रमितों की लाश तिलवारा में जलाया गया।
इस तरह चौहानी शमशान घाट में लाशों की कतार लग गई।
61 लोगों की हुई मौत, कई जबलपुर जिले के
गुरुवार को मेडिकल सहित शहर के प्राइवेट अस्पतालों में कुल 59 लोगों की मौत हुई। वहीं गढ़ा व कांचघर में दो संक्रमितों की मौत घर में हो गई थी। 59 शवों में 31 की मौत मेडिकल कॉलेज में हुआ। इन शवों को नगर निगम की टीम द्वारा चौहानी व तिलवारा में किया गया। वहीं 19 संक्रमित और 2 सस्पेक्टेड शवों का अंतिम संस्कार चौहानी में मोक्ष संस्था की ओर से किया गया। सिवनी निवासी एक संक्रमित की मौत सुखसागर में होने के बाद परिजन शव छोड़कर चले गए। इसके अलावा तीन सेंट्रल किडनी में, तीन लाइफ मेडिसिटी में, और विक्टोरिया व आदित्य से एक-एक मौत हुई थी।
एक दिन की लकड़ी चौहानी में बची
कोरोना संक्रमितों को जलाने के लिए लकड़ी की भी भारी कमी पड़ गई है। चौहानी शमशान घाट में महज एक दिन की लकड़ी अौर बची है। कलेक्टर को मामले से अवगत करा दिया गया है। एक शव जलाने में ढाई से तीन क्विंटल लकड़ी की जरूरत पड़ती है। शुक्रवार तक लकड़ी का प्रबंधन नहीं हुआ तो शवों को जलाने का संकट खड़ हो जा जाएगा।
अस्पतालों में एक-एक बेड के लिए मारामारी
कोरोना की मौत से अधिक डरावनी तस्वीर अस्पतालों में दिख जाएगी। अब मेडिकल कॉलेज में भी बेड फुल हो चुका है। इसके अलावा विक्टोरिया, ज्ञानोदय, मनमोहन नगर, वीएफजे, जीसीएफ, रेलवे सेंट्रल अस्पताल में कोरोना संक्रमितों का इलाज चल रहा है। वहीं शहर के 30 प्राइवेट अस्पतालों में इलाज चल रहा है। मेडिकल में भी गुरुवार को सारे बेड फुल हो गए। वेंटीलेटर वाले शहर में कुल 764 बेड थे। सभी भरे हुए हैं। इसी तरह ऑक्सीजन सपोर्ट वाले 1602 बेडों में भी अधिकतर भर चुके हैं।
अस्पताल में भर्ती कराने के नाम पर दलाली शुरू
इधर, अस्पतालों में बेड की किल्लत शुरू हुई तो बेड दिलाने की दलाली भी शुरू हो गई। कटनी से संक्रमित होकर आए एक मरीज को भर्ती कराने के लिए बुधवार को पूरी रात परेशान हुए परिजनों से 15 हजार रुपए दलाल ने लेकर मेडिकल में बेड उपलब्ध करा दिया। मरीज के परिजन इस डर से इस दलाल की शिकायत करने की हिम्मत नहीं कर पा रहे हैं कि कहीं उनके मरीज के इलाज में न लापरवाही हो जाए।
हिटाची मशीन चौहानी में पत्थरों को समतल किया गया। अब यहां 15 से 20 और शवों का अंतिम संस्कार करने का स्थान हो मिल गया।
चौहानी शमशान में परिजन अपनों का अंतिम सस्कार देखते हुए।