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भोपाल2 मिनट पहले
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गांवों में संक्रमण बढ़ा तो वहीं इसे बनाकर मरीजों का इलाज किया जा सकता है।
- हमीदिया में 10 हजार वर्गफीट में बनेगा प्रदेश का दूसरा बैलून आईसीयू, जहां सिर्फ कोविड मरीजों का इलाज होगा
- 8 साल चलेगा; पहला बैलून आईसीयू जबलपुर में है, तीसरा सीहोर में भी बनेगा
कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर का ज्यादा खतरा गांवों में है, क्योंकि वहां न इलाज की बुनियादी सुविधा है और न ही टेस्टिंग की। वहां कम समय में आईसीयू बेड बनाना भी चुनौती भरा है। लेकिन इसी काम को कम समय में करने का एक और तरीका है। वो है- बैलून आईसीयू। इसे कम जमीन पर, कम लागत में और कम समय में आसानी से बनाया जा सकता है। इन्हें हेल्थ इमरजेंसी में बनाया जाता है और अभी भोपाल के हमीदिया अस्पताल में इसे बनाने का काम एक-दो दिन में शुरू हो जाएगा। यहां 20 बेड का बैलून आईसीयू बन रहा है, जो कि प्रदेश का दूसरा ऐसा आईसीयू होगा।

पहला आईसीयू जबलपुर के सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में बना है। चिकित्सा शिक्षा संचालनालय के अफसरों के मुताबिक भोपाल के बैलून आईसीयू में 85 लाख रु. खर्च होंगे और 10 हजार वर्गफीट जमीन लगेगी। तीन दिन में इसे तैयार कर इस हफ्ते शुरू कर सकते हैं। इसे बना रही कंपनी पिक्चरटाइम डीजी प्लेक्स के फाउंडर एवं सीईओ सुशील चौधरी ने बताया कि हमीदिया का बैलून आईसीयू 8 साल चलेगा। इसके बाद सीहोर में भी बनाने के आदेश राज्य सरकार ने दिए हैं।
मेन स्ट्रक्चर पीवीसी टॉपलीन का होगा, प्लायबुड और एल्युमीनियम फ्रेम पर खड़ा रहेगा
बैलून आईसीयू का मेन स्ट्रक्चर पीवीसी टॉपलीन का होता है। इसके बाद प्लायबुड और एल्युमीनियम फ्रेम की मदद से इसे खड़ा किया जाता है। इसमें आईसीयू बेड, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन प्वाइंट, एसी सब कुछ मिलेगा। भोपाल में इसे पांच दिन में पूरा कर लिया जाएगा। इनमें 40 बेड भी हाे सकते हैं। अफसरों के मुताबिक भोपाल से सटे ग्रामीण इलाकों में कोविड का आउटब्रेक होने पर मरीजों को बेड, ऑक्सीजन के लिए भटकना न पड़े, इसके लिए हमीदिया में फिलहाल 20 बेड ही लगाए जा रहे हैं। इसके लिए परिसर में फीवर क्लीनिक के पास जमीन देख ली है।