छत्तीसगढ़ी -खमसरहा झन होवय कहिके चिंता करथे किसान काबर के खेती जिनगी के आधार हरे

कमाबे तभे बने सकेले के बेरा पाबे पृथ्वी माता सबो के सेवा जतन करत आवत हे. पांचो तत्व के निर्माण…

छत्तीसगढ़ी व्यंग्य : हीरा गंवागे कचरा म, दारू भट्टठी के बाहिर पियो-जियो के रोज मेला

खबरीलाल ह लालबुझक्कड़ ल किहिस-‘बात-बात म बात निकलथे. कोरोनाकाल म दवा-दारू वाले मन बर अच्छा दिन सिद्ध होवत हे. दवा…