- साइंस और टेक्नोलॉजी इतनी आगे बढ़ने के बाद भी आज अंतरिक्ष में डायपर का होता है उपयोग
- नासा को ऐसे वॉशरूम की जरूरत है जो चांद की सतह पर कम से कम एक सप्ताह तक काम करे
दैनिक भास्कर
Jun 29, 2020, 06:04 PM IST
अंतरिक्ष में टॉयलेट जाना लंबे समय से एक मुद्दा रहा है। अभी तक जितने भी यात्री अंतरिक्ष मिशनों में गए, उन्होंने डायपर का ही इस्तेमाल किया है। इसके लिए ये विशेष तरह के डायपर अपने साथ ले जाते रहे हैं। इस समस्या के समाधान के लिए नासा ने दुनियाभर के लोगों से आइडिया शेयर करने को कहा है कि आप बताएं, स्पेस में वॉशरूम किस तरह बनाया जा सकता है। नासा को ऐसे वॉशरूम की जरूरत है जो चांद की सतह पर कम से कम एक सप्ताह तक काम करे। नासा ने नए “लूनर लू’ इसका चैलेंज है, के लिए सोशल नेटवर्क हेरोक्स (HeroX) के साथ पार्टनरशिप भी की है।
चांद की सैर की तैयारी
साइंस और टेक्नोलॉजी इतनी आगे बढ़ चुकी है, इसके बावजूद आज भी अंतरिक्ष में जाने के लिए डायपर का उपयोग करना पड़ता है। अमेरिका वर्ष 2024 तक लोगों को चंद्रमा की सैर कराने की तैयारी कर रहा है। लेकिन, इससे पहले अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा के सामने एक बड़ी समस्या वॉशरूम के रूप में खड़ी है। नासा का बयान है कि- हमने वैश्विक समुदाय से कहा है कि पूरी तरह सक्षम, कम द्रव्यमान वाले शौचालयों के डिजाइन कॉन्सेप्ट हमें भेजें। डिजाइन ऐसा होना चाहिए जिनका उपयोग अंतरिक्ष और चंद्रमा दोनों पर हो सके।
इसलिए मांगी जनता की मदद
नासा जनता की मदद क्यों चाहता है? इस प्रश्न के जवाब में नासा टीम के इंटरबर्तोलो ने कहा- हम चाहते हैं कि इस चैलेंज के जरिये अगले दो महीनों में आने वाले तरह-तरह के डिजाइन हमारी आंखें खोल दें। अंतरिक्ष शौचालय के लिए हम बहुत गंभीर हैं। वैज्ञानिकों की दुनिया से बाहर बहुत सारी चीजें हैं जिनके बारे में हमें नहीं पता, लेकिन जनता बता सकती है।
पुरस्कार राशि
यदि स्पेस टॉयलेट का कॉन्सेप्ट कोई व्यक्ति प्रस्तुत करता है और उसका चयन किया जाता है तो उसे प्रथम स्थान के लिए 15 लाख रुपए दिए जाएंगे। दूसरे स्थान के लिए 7 लाख 55 हजार रुपए और तीसरे स्थान के लिए 3 लाख 77 हजार रुपए के साथ पुरस्कृत किया जा सकता है। आइडिया सबमिट करने की जानकारी यहां मिलेगी।
www.herox.com/LunarLoo?from=explore