सभासद से राजनीति की शुरुआत करने वाले लालजी टंडन की गवर्नर बनने तक ऐसी रही पूरी सफर | bhopal – News in Hindi

सभासद से राजनीति की शुरुआत करने वाले लालजी टंडन की गवर्नर बनने तक ऐसी रही पूरी सफर | bhopal – News in Hindi


1990 के दशक में जब भाजपा और बसपा की मिली जुली सरकार बनी थी तब लालजी टंडन दोनों ही पार्टियों के बीच पुल का काम कर रहे थे. (फाइल फोटो)

इसका सबसे बड़ा कारण यह रहा कि लालजी टंडन (Lalji Tandon) ने मोहल्ले की राजनीति से अपने कैरियर की शुरुआत की थी. सभासद के तौर पर उन्होंने अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया था और गवर्नर के पद तक पहुंचे थे.

लखनऊ. लखनऊ (Lucknow) सुना हो गया है. खासकर चौक इलाके में तो सबसे ज्यादा मातम है, क्योंकि मध्य प्रदेश के गवर्नर लालजी टंडन (Lalji Tandon) नहीं रहे. बहुत कम नेताओं को ऐसा सौभाग्य मिलता है कि ऐसे मौके पर हर घर में उनके लिए मातम का माहौल बन जाए. लालजी टंडन ऐसे ही राजनीतिक थे. लेकिन ऐसा क्यों था?  वे गवर्नर (Governor) के पद पर थे. इससे पहले यूपी सरकार में कैबिनेट मंत्री, लखनऊ के सांसद, विधान परिषद से सदस्य और विधायक भी रह चुके थे. इन पदों पर रहने वाले देश में बहुतेरे नेता मिल जाएंगे लेकिन आम लोगों से जो जुड़ाव लालजी टंडन का दिखाई देता रहा है ऐसा विरले नेताओं के बारे में ही देखने को मिलता है.

इसका सबसे बड़ा कारण यह रहा कि लालजी टंडन ने मोहल्ले की राजनीति से अपने कैरियर की शुरुआत की थी. सभासद के तौर पर उन्होंने अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया था और गवर्नर के पद तक पहुंचे थे. भाजपा से विधान परिषद सदस्य भी रहे थे. वरिष्ठ नेता यशवंत सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री रहे राम प्रकाश गुप्ता ने राजनीति में उनका हाथ खिंचा था. सभासद का टिकट रामप्रकाश गुप्ता ने ही दिलवाया था. सभासद होने के कारण उन्हें गहराई से पता था कि लोगों की छोटी बड़ी समस्याएं किस तरीके की हैं. इतना ही नहीं उन्हें यह भी बखूबी मालूम था कि लोगों की समस्याओं का हल कैसे निकाला जा सकता है. किसी वजह से यदि हल नहीं निकल सकता है तो उनकी पीड़ा को कैसे कम किया जा सकता है. उन्हें ये भी बखूबी मालूम था. यही वजह है लखनऊ के हर घर में लालजी टंडन के प्रति बाकी नेताओं से बिल्कुल अलग एक दूसरा जुड़ाव रहा है. खासकर चौक इलाके के तो जर्रे- जर्रे में लालजी टंडन बसे रहेंगे.

जेपी आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था
भाजपा विधायक यशवंत सिंह ने बताया कि लालजी टंडन के बारे में यह बहुत कम लोग जानते हैं कि इंदिरा गांधी के जुल्मों सितम के खिलाफ शुरू किए गए जेपी आंदोलन में भी उन्होंने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था. बाद में वे अटल बिहारी वाजपेई के संपर्क में आए और उनके प्रतिनिधि के तौर पर काम करते रहे. वे कई बार विधान परिषद के सदस्य और विधानसभा के लिए भी चुनकर आए. लखनऊ से सांसद भी रहे. कैबिनेट मंत्री भी रहे. चौपाल लगाने का बहुत शौक था लालजी टंडन को. लोगों के साथ घंटों गप्प करना उनकी आदत में शुमार था.मायावती से राखी बंधवाने का प्रकरण भला कौन भूल सकता है

1990 के दशक में जब भाजपा और बसपा की मिली जुली सरकार बनी थी तब लालजी टंडन दोनों ही पार्टियों के बीच पुल का काम कर रहे थे. रक्षाबंधन के दिन लालजी टंडन का अचानक मायावती के घर पहुंचना अभी भी लोगों को याद है. मायावती के घर पहुंचकर लालजी टंडन ने उनसे राखी बंधवाई. दोनों के खिलखिलाते चेहरे की तस्वीरों ने पूरे देश में सुर्खियां बटोरी थी. हालांकि, इसे विशुद्ध राजनीतिक पैंतरे के रूप में देखा गया क्योंकि बाद के वर्षों में कभी भी ऐसी तस्वीरें देखने को नहीं मिली. भाजपा और मायावती के बीच दूरियां बढ़ती गईं. लालजी टंडन उसे कम करने में कामयाब नहीं हो सके. लालजी टंडन की राजनीतिक विरासत को उनके बेटे आशुतोष टंडन उर्फ गोपाल जी टंडन आगे बढ़ा रहे हैं. वे मौजूदा योगी सरकार में मंत्री भी हैं.





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