शाजापुर16 मिनट पहले
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- कला चौपाल की महिलाओं ने 30 हजार राखियां बेची, 100 से ज्यादा महिलाएं जुड़ी हैं
तनाव से बचने के लिए बनाया हुआ वाट्सएप ग्रुप अब राखियों की सप्लाई कर रहा है, जो जिले के साथ दूसरे प्रदेश के महानगरों में भी जा रही है। अभी तक इस ग्रुप द्वारा 30 हजार राखियां बेची जा चुकी हैं तथा कुछ और आर्डर मिल चुके हैं। राखियों की सप्लाई लोकल तथा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म दोनों से कर रहे हैं। इस ग्रुप में शहर की 100 से ज्यादा महिलाएं जुड़ी हुई हैं। इन्होंने इसी वर्ष से राखी बनाने की शुरुआत की है। इसे पहले ऑनलाइन और उसके बाद लोकल मार्केट में बेची। इससे वे आर्थिक रूप से सशक्त हुई हैं। राखी की कीमत 40 से 80 रुपए तक है और अमेजन व फ्लिप कार्ट पर सेल की जा रही है। इसके अलावा लोकल राखी की दुकान पर भी इन राशियों को डिस्प्ले किया जा रहा है। इसके अलावा ग्रुप के सदस्यों ने उज्जैन, इंदौर, राजगढ़ के बाजारों में भी हाथों से बनी राखी सेल की है। इस महिलाओं के आर्ट को पहचान दिलाने वाले ग्रुप का नाम कला चौपाल रखा गया है। इसके तहत लॉकडाउन में महिलाओं ने अपने हाथों से बनाई हुई पेंटिंग, हस्तशिल्प से जुड़ी हुई कोई भी आइटम को ग्रुप में भेजी थी। बाद में कला चौपाल की फाउंडर रागिनी गौरव बारी ने महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए रक्षाबंधन पर राखी बनाने का निर्णय लिया तथा पहले स्थानीय फिर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर इसे सेल किया। शुरुआती दौर में सफलता मिल रही है। रागिनी बताती हैं कि हमारे ग्रुप की महिलाएं और लड़कियों द्वारा मोती, लाइटिंग, पंजाबी धागे तथा पारंपरिक राखियां बनाई जा रही हैं। कई आर्डर हमने पूरे कर दिए, जबकि अभी भी 2000 आर्डर बाकी है। विजय नगर कॉलोनी में रहने वाले मयंक शर्मा और मोनिका शर्मा की बेटी सिद्धि शर्मा ने अपने हाथों से राखी बनाई। इसके बाद उसे कॉलोनी में ही रहने वाले गरीब बच्चों तथा छापीहेड़ा गांव के गरीबों को बांट दी। सिद्धि शर्मा बताती हैं बेटी ने यह स्वप्रेरणा से किया है। इसमें उसने अपनी मम्मी के साथ मिलकर 100 राखियां बनाई।
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