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उज्जैन3 घंटे पहले
मनमहेश स्वरूप में भगवान महाकाल चांदी की पालकी में सवार होकर निकले।
- सावन में इस बार पांच सवारी निकली, 17 अगस्त को निकलने वाली शाही सवारी परंपरागत मार्ग से निकलेगी
- सवारी बड़ा गणेश, हरसिद्धि चौराहा, सिद्ध आश्रम के सामने से होते हुए सवारी शिप्रा स्थित रामघाट पहुंची
भादौ मास में सोमवार को उज्जैन स्थित भगवान महाकाल की पहली सवारी निकली। श्रावण-भादौ मास के क्रम में यह भगवान महाकाल की छठी सवारी है। इसके बाद 17 अगस्त को शाही सवारी निकाली जाएगी। ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर के सभा मंडप में परंपरा अनुसार कलेक्टर आशीष सिंह ने भगवान महाकाल के मनमहेश और चंदमौलेश्वर रूप का पूजन कर पालकी को नगर भ्रमण के लिए रवाना किया। इस दौरान बाबा के स्वागत में एक भव्य रंगोली बनाई गई थी।
हाथी पर सवार होकर चंद्रमौलेश्वर स्वरूप में बाबा ने भक्तों को दर्शन दिए।
महाकालेश्वर मंदिर से प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी सावन महीने के सभी सोमवार और भादौ महीने के दो सोमवार को बाबा महाकाल की सवारी निकाली जा रही है। ऐसी मान्यता है कि भगवान खुद पालकी में सवार होकर भक्तों का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकलते हैं। इसी कड़ी में सोमवार शाम 4 बजे लाव लश्कर के साथ बाबा महाकाल नगर भ्रमण निकले। भगवान महाकाल ने चांदी की पालकी में मनमहेश व हाथी पर चंद्रमौलेश्वर रूप में सवार होकर भक्तों को दर्शन दिए।

बाबा के स्वागत में एक भव्य रंगोली बनाई गई।
सवारी बड़ा गणेश, हरसिद्धि चौराहा, सिद्ध आश्रम के सामने से होते हुए सवारी मोक्षदायिनी शिप्रा के रामघाट पहुंची। यहां महाकाल पेढ़ी पर पुजारी भगवान महाकाल का शिप्रा जल से अभिषेक कर पूजा-अर्चना की। पूजन पश्चात सवारी हरसिद्धि की पाल होते हुए शक्तिपीठ हरसिद्धि मंदिर के सामने से पुनः महाकाल मंदिर पहुंचेगी। हालांकि इस बार भी सवारी में श्रद्धालुओं को प्रवेश नहीं मिल पाया। महाकाल मंदिर समिति ने भक्तों के लिए लाइव दर्शन की व्यवस्था की थी। अब अगले सोमवार 17 अगस्त को भगवान महाकाल की शाही और अंतिम सवारी परंपरागत मार्ग से निकाली जाएगी।