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- PC Sharma To Shivraj Singh Chauhan Over National Recruitment Agency (NRA) Politics In Madhya Pradesh
भोपाल2 घंटे पहले
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- शिवराज पात्रता परीक्षा को चयन परीक्षा बताकर भ्रम न फैलाएं
- मेरिट को धकेलकर अपनों को नौकरी देने की यह बड़ी साजिश
मध्यप्रदेश में अब नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी (एनआरए) को लेकर पॉलीटिक्स शुरू हो गई है। पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने इसको लेकर सीधे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पर निशाना साधते हुए सवाल उठाए हैं। प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कहा कि केवल कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (सीईटी) कराया जाएगा। यह कोई चयन परीक्षा नहीं है, बल्कि केवल पात्रता परीक्षा है। ऐसी कई पात्रता परीक्षाओं के माध्यम से मध्यप्रदेश सरकार बेरोजगारों को 15 साल में ठग चुकी है। उन्हें नौकरियां नहीं मिलीं। यह व्यापमं से भी बड़ा बनने जा रहा है।
पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने पत्रकार वार्ता में एनआरए को बड़ा व्यापमं बताते हुए कहा कि अभी लगभग केंद्र सरकार के स्तर पर 20 रिक्रूटमेंट एजेंसी हैं। इनमें से केवल 3 एजेंसी एसएससी, रेल्वे रिक्रूटमेंट बोर्ड एवं आईबीएस द्वारा की जा रही परीक्षा को ही एनआरए द्वारा किया जाएगा। वह भी केवल ग्रुप बी एवं ग्रुप सी की नॉन गजेटेड पदों के लिए। ये एजेंसियां जो पहले से कर ही रही हैं, जबकि पात्रता परीक्षा पास करने के बाद भी इन एजेंसियों में पृथक से आवेदन भी देना पड़ेगा। तब इस एक और नई परीक्षा का क्या औचित्य है। स्पष्ट है बेरोजगारों को ठगने के लिए एक बड़ा व्यापमं बनाया जा रहा है।
मोदी की नकल कर रहे मुख्यमंत्री
शर्मा ने कहा कि मोदी जी की नकल को आतुर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बिना किसी जानकारी के फिर एक घोषणा कर दी है। प्रदेश में शासकीय नौकरियों के लिए युवाओं को अलग से कोई परीक्षा देने की आवश्यकता नहीं होगी। एनआरए द्वारा आयोजित परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर ही इन्हें प्रदेश की शासकीय नौकरियां मिलेंगी। इससे मेरिट वाले युवा पीछे धकेल दिए जाएंगे और अन्य पात्रता परीक्षाओं की तरह उम्मीद में ही युवा ओवर एज हो जाएंगे।
मुख्यमंत्री से शर्मा के सवाल
- क्या उन्हें जानकारी है कि एनआरए सिलेक्शन नहीं है शॉर्टलिस्टिंग के लिए है?
- क्या आपने एनआरए में प्रदेश की नौकरियों को शामिल करने की मंजूरी ली है?
- प्रदेश के युवाओं को भ्रमित करने वाली इस घोषणा के क्या मायने हैं?
- क्या आप व्यापमं और एमपीपीएससी जैसी संस्थान बंद कर रहे हैं?
खुद ही घोषणा करके फंस गए हैं
पीसी शर्मा ने आरोप लगाया कि यह बयान साफतौर पर पर एक कोरी मंचीय घोषणा है। उन्होंने युवाओं को लुभाने के लिए की है। अब वह यह घोषणा करके खुद फंस गए हैं। मध्यप्रदेश के बेरोजगारों को शासकीय नौकरी में मप्र के रोजगार कार्यालय में पंजीकरण अनिवार्य करके मध्यप्रदेश के बेरोजगारों को नौकरी देने का फैसला जुलाई 2019 में ही कमलनाथ सरकार कर चुकी है। जिन रोजगार कार्यालयों को शिवराज बंद कर चुके थे, उन्हें वापिस शुरू कर सशक्त बनाने का काम कमलनाथ ने किया। साथ ही निजी क्षेत्र में भी 70% नौकरियों का फैसला किया। 15 साल में 28 लाख लोगों को बेरोजगार बनाए रखने वाली शिवराज सरकार युवाओं को ठगने की नई तरकीब लगा रही है।
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