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- Bhopal Killer Udayan Das Who Murdered His Mother And Father And Live in Partner Akanksha Sharma, Sentenced To Life In West Bengal
भोपाल10 मिनट पहले
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पुलिस के साथ भोपाल के साकेत नगर स्थित अपने मकान से आकांक्षा का शव उदयन उठाकर घर से बाहर लाया था। -फाइल फोटो
- बचपन से ही अपने माता-पिता के खिलाफ गुस्सा भरा था
- साइकोपैथी पर्सनॉलिटी डिसऑर्डर का शिकार तक बताया गया
भोपाल में अपने लिव इन पार्टनर आकांक्षा और रायपुर में अपने माता-पिता की हत्या कर दफन करने वाला सीलियर किलर उदयन दास एक साथ कई जिंदगियां जीता था। इसके लिए उसने अपने माता-पिता और प्रेमिका आकांक्षा को सोशल मीडिया पर जीवित रखा था। वह उनके नाम के फेसबुक अकाउंट से खुद को ही- कैसे हो बेटा और जानू नाम से पोस्ट करता था। आकांक्षा की गुमशुदगी के बाद कोलकाता की बांकुरा पुलिस भोपाल आई थी, लेकिन उन्हें कुछ हाथ नहीं लगा था। बाद में भोपाल पुलिस की मदद से इस पूरे हत्याकांड का खुलासा हो सका था। बांकुरा पुलिस ने उदयन के खिलाफ 30 अप्रैल 2017 को केस डायरी समेत करीब 600 पेज की चार्जशीट अदालत में पेश की थी। 19 गवाहों के बयान और सभी साक्ष्यों के आधार पर उसे उम्र कैद की सजा मिली।

उदयन ने साकेत नगर के इसी मकान में आकांक्षा का शव दफनाया था। -फाइल फोटो
साइकोपैथी पर्सनॉलिटी डिसऑर्डर का शिकार बताया गया
उस दौरान क्लिनकल साइक्लोजिस्ट ने उदयन दास का केस बिल्कुल चार्ल्स शोभराज जैसा बताया था। चार्ल्स शोभराज को एशिया का सबसे बड़ा सीरियल किलर कहा जाता है। वह भी साइकोपैथी पर्सनॉलिटी डिसऑर्डर का शिकार रहा। उदयन ने एक-एक कर तीन हत्याएं ही नहीं की थी, बल्कि पुलिस से बचने और उनके नाम पर आने वाले पैसों को भी बड़ी चलाकी से निकाल लिया था। बताया जाता है कि उसके दिमाग में बचपन से ही माता-पिता के खिलाफ गुस्सा भर गया था।

उदयन के खुलासे के बाद पुलिस को इस चबूतरे को तोड़ने में 7 से 8 घंटे लगे थे। -फाइल फोटो
28 साल की आकांक्षा की तलाश में हो सका खुलासा
पश्चिम बंगाल के बांकुरा में रहने वाले देवेंद्र कुमार शर्मा की 28 साल की बेटी आकांक्षा उर्फ श्वेता की 2007 में उदयन नाम के लड़के से सोशल मीडिया पर दोस्ती हुई थी। जून 2016 में घर से नौकरी करने की बात कहकर आकांक्षा भोपाल आ गई। यहां वह उदयन के साथ साकेत नगर में रहने लगी। उसने परिवारवालों को बताया कि मैं अमेरिका में नौकरी कर रही हूं। जुलाई 2016 के बाद आकांक्षा के परिवारवालों से बात होनी बंद हो गई। भाई ने नंबर ट्रेस कराया तो लोकेशन भोपाल की निकली। परिवार के लोगों को शक था कि आकांक्षा उदयन के साथ रह रही है। दिसंबर 2016 में आकांक्षा की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज हुई। बांकुरा पुलिस भोपाल आई थी, लेकिन उन्हें कोई जानकारी नहीं मिली थी।

आकांक्षा का शव सीमेंट के घोल से भरकर दपनाया गया था। -फाइल फोटो
आकांक्षा का मुंह तकिया से दबाने के बाद सीमेंट भर दी
उदयन ने बताया था कि उसने पहले आकांक्षा का मुंह तकिए से दबाया था। फिर उसका गला घोंट दिया था। शव को ठिकाने लगाने के लिए लाश को एक बॉक्स में बंद किया। बक्से के अंदर सीमेंट भर दी थी। इसके बाद बक्से को एक चबूतरा बनाकर उसे भी सीमेंट से भरकर बंद कर दिया था। पुलिस को चबूतरा तोड़ने में ही 7 से 8 घंटे लग गए थे।

सोशल मीडिया पर उदयन खुद को हमेशा इसी तरह मंहगी गाड़ियों में दिखाता था। -फाइल फोटो
वह उदयन के राज जान गई थी
पुलिस के अनुसार आकांक्षा को उदयन के राज का पता चल गया था। इसलिए वह घर लौटना चाहती थी। उसने ट्रेन का टिकट भी बुक कराया था। उनके रिश्तों का करीब सात साल से चल रहा झूठ आकांक्षा को पता चल चुका था। इस बात पर दोनों के बीच बहस भी हुई थी। इसके बाद आकांक्षा ने 12 जुलाई को कोलकाता लौटने के लिए ट्रेन से टिकट भी बुक कर लिया था। उदयन ने उसे मना लिया था। 14 जुलाई 2016 की रात आकांक्षा और उदयन के बीच जमकर बहस हुई थी। आकांक्षा के सोने के बाद वह रात भर उसकी हत्या की प्लानिंग करता रहा। 15 जुलाई की सुबह उसने आकांक्षा की हत्या दी।

उदयन ने खुद ही पुलिस को रायपुर के अपने पुराने मकान में ले जाकर माता-पिता को दफनाने वाली जगह बताई। -फाइल फोटो
पिता की हत्या कर उनका शव भी घर में ही दफनाया
पुलिस को लगा था कि यह सिर्फ आकांक्षा की हत्या तक ही सीमित है, लेकिन जब उसके माता-पिता के बारे में पूछा गया, तो वह ठीक से जवाब नहीं दे पाया। ऐसे में पुलिस को संदेह हुआ और फिर पूछताछ में उसने जो खुलासा किया उससे पुलिस के हाथ पैर भी फूल गए। उसने अपनी मां इंद्राणी और पिता वीके दास की 2010 में हत्या कर उनके शव रायपुर वाले मकान के गार्डन में दफना दिए थे। उसने बताया था कि मां अमेरिका में रहती हैं, जबकि पापा की बीमारी से मौत हो चुकी है। उसने पहले मां और फिर पिता की हत्या की थी। रायपुर में उसने खुद ही निशान लगाकर माता-पिता के शव दफनाने वाली जगह पर निशान लगाकर बताया था।

भोपाल से रायपुर जाते समय पुलिसकर्मियों ने उदयन के साथ एक सेल्फी भी ली थी। यह बाद में चर्चा का विषय बन गई थी। -फाइल फोटो
12वीं तक पढ़ा, इंग्लिश बोलता है
उदयन रायपुर के एक स्कूल से मात्र 12वीं कक्षा तक पढ़ा लिखा। वह इंग्लिश में बात करता है। उदयन ने बताया था कि वह आईआईटी दिल्ली से पढ़ा हुआ है। लेकिन वह झूठ निकला। उसके माता-पिता की नौकरी और मकान से मिले पैसों के कारण वह अपने शौक पूरे करता था। उसे माता-पिता के दिल्ली के एक फ्लैट से 10,000 रुपए, रायपुर के फ्लैट से 7,000 रुपए और साकेत नगर स्थित मकान के भूतल का किराया 5,000 रुपए प्रतिमाह मिलता था। इसके अलावा पिता के संयुक्त खाते में 8.5 लाख रुपए की एफडी का ब्याज भी उसे मिलता था। उदयन के पिता वीके दास भेल में फोरमैन थे। उदयन की मां विध्यांचल भवन में एनालिस्ट की पोस्ट से रिटायर हुई थीं। मां की पेंशन लगभग 30 हजार रुपए आती है। अपनी पोस्ट में कभी वह पेरिस तो कभी मॉस्को में बताता था। कभी यूएन में नौकरी तो कभी यूएस में पीएचडी करने के लिए जाना बताता था।
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