Former CMHO Dr. VS Vajpayee died due to overweight and diabetes | पूर्व सीएमएचओ डॉ. वीएस वाजपेयी की मौत ज्यादा वजन और डायबिटीज बना कारण

Former CMHO Dr. VS Vajpayee died due to overweight and diabetes | पूर्व सीएमएचओ डॉ. वीएस वाजपेयी की मौत ज्यादा वजन और डायबिटीज बना कारण


छतरपुर2 मिनट पहले

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डॉ. वीएस वाजपेयी

  • डाॅ. वाजपेयी के फेंफड़ों में तेजी से फैल गया था कोरोना का संक्रमण

छतरपुर के पूर्व सीएमएचओ की भोपाल के चिरायु अस्पताल में शुक्रवार की सुबह इलाज के दौरान मौत हो गई। गुरुवार की सुबह सांस लेने में परेशानी होने पर वे छतरपुर से चिरायु अस्पताल भोपाल के लिए रवाना हुए थे, लेकिन बीच में ही हालात बिगड़ने पर उन्हें बीएमसी सागर में भर्ती कराना पड़ा। बीएमसी में हुई जांच में वे कोरोना संक्रमित पाए गए। देर शाम हालत बिगड़ने पर उन्हें सागर मेडिकल कॉलेज से चिरायु अस्पताल भोपाल रैफर कर दिया गया। शुक्रवार की सुबह नौगांव के वृद्ध की हालत बिगड़ने पर आइसोलेशन वार्ड से सागर मेडिकल काॅलेज रैफर कर दिया गया।

शहर में महाराजा कॉलेज के पास के 60 वर्षीय पूर्व सीएमएचओ डॉ. विद्या सागर वाजपेयी को गुरुवार की सुबह सांस लेने में परेशानी होने पर वे अपने निजी वाहन से भोपाल के लिए रवाना हुए थे। रास्ते में सागर में रुक कर कराई गई जांच में वे कोरोना संक्रमित पाए गए। देर शाम हालत बिगड़ने पर वहां के डॉक्टरों ने उन्हें भोपाल के चिरायु अस्पताल रैफर कर दिया। वहां पर कुछ घंटे तक वैंटिलेटर पर रहने के बाद सुबह 7 बजे इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।

फेंफड़ों में फेल गया था संक्रमण
डॉ. वाजपेयी की शुरुआती जांचें गुरुवार को बीएमसी सागर में की गई थी। गुरुवार की शाम को आई रिपोर्ट में वे पॉजिटिव पाए गए। ऐक्सरे रिपोर्ट में फेंफड़ों में अधिक इन्फेक्शन पाया गया। उनका वजन ज्यादा होने के साथ वे डायबिटीज से पीड़ित थे।

साथ ही वे कोरोना संक्रमण के दौरान अपने निजी क्लीनिक पर लगातार मरीजों को इलाज दे रहे थे। सीएमएचओ डॉ. विजय पथौरिया ने बताया कि गुरुवार को सागर में जांच के दौरान कोरोना संक्रमित पाए गए डॉ. वाजपेयी की शुक्रवार की सुबह इलाज के दौरान भोपाल के चिरायु अस्पताल में मौत हो गई। उनका अंतिम संस्कार कोविड नियमों के तहत भोपाल में ही प्रशासन द्वारा करा दिया गया है।

1987 में डॉ. वाजपेयी की मुड़ेरी गांव में हुई थी पहली पोस्टिंग
डाॅ. वाजपेयी के साथी स्वास्थ्य विभाग में सीनियर एकाउंटेंट लोचन सिंह ने बताया कि डॉ. विद्या सागर वाजपेयी के पिता महाराजा कॉलेज में पदस्थ थे। परिवार में शुरु से ही शिक्षा का माहौल था। इस कारण उन्होंने लक्ष्य बनाकर मेडिकल की पढ़ाई पूरी की। उनकी पहली पोस्टिंग 1987 में लवकुशनगर के मुड़ेरी अस्पताल में हुई। 15 दिन बाद उन्हें राजनगर क्षेत्र के धवाड़ अस्पताल भेज दिया गया। इसके बाद वे राजनगर अस्पताल में पदस्थ रहे।

सेवाएं देते हुए वे राजनगर और ईशानगर बीएमओ के पद पर पदस्थ रहे। 2005 में उनकी पोस्टिंग जिला अस्पताल में मेडिकल स्पेशलिस्ट के रूप में हुई। इस दौरान उन्होंने जिला क्षय रोग अधिकारी और जिला कुष्ट रोग अधिकारी की जिम्मेदारी निभाई। 26 सितंबर 2018 में डॉ. वाजपेयी को छतरपुर सीएमएचओ बनाया गया। 27 जुलाई 2019 को प्रदेश शासन ने उनका स्थानांतरण पन्ना कर दिया। 30 जुलाई को यहां से पन्ना के लिए रिलीव होने के बाद उन्होंने ज्वाइन किया, तब से ड्यूटी पर नहीं गए। उनके परिवार में दो बेटे और एक बहू डॉक्टर हैं। उनकी पत्नी महाराजा कॉलेज में प्रोफेसर के पद पर हैं, जबकि तीसरा बेटा अभी पढ़ाई कर रहा है।

नौगांव का वृद्ध मेडिकल कॉलेज रैफर किया गया
तीन दिन पहले नौगांव का 71 वर्षीय वृद्ध जांच रिपोर्ट में कोरोना संक्रमित पाया गया। जिला अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती वृद्ध को गुरुवार की देर रात सांस लेने में परेशानी होने पर शुक्रवार की सुबह सागर मेडिकल कॉलेज रैफर कर दिया गया। इस 71 वर्षीय वृद्ध को जिला स्वास्थ्य विभाग ने 108 वाहन की सहायता से इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया। अभी तक जिला अस्पताल स्थित आइसोलेशन वार्ड से 43 कोरोना संक्रमित मरीज को सागर मेडिकल कॉलेज रैफर किया जा चुका है।

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