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- Padamkund Road Closed By Barricading, Workers From Wards Will Store Statues, Will Also Be Able To Immerse Drums Filled With Narmada Water
खंडवा18 घंटे पहले
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- कोई भी श्रद्धालु व्यक्तिगत रूप से नहीं कर पाएगा विसर्जन, पहली बार नहीं होगा गणेश विसर्जन समारोह
प्रतिमा विसर्जन स्थल पदम कुंड मार्ग को बैरिकेडिंग कर बंद कर दिया है। केवल सरकारी वाहन ही प्रतिमाएं लेकर यहां तक पहुंच सकेंगे। पहली बार सार्वजनिक रूप से गणेश विसर्जन समारोह नहीं होगा। वार्डों में 18 ट्रॉलियां और 7 छोटे लोडिंग सहित कुल 25 वाहन प्रतिमाएं संग्रहित करने पहुंचेंगे। निगमकर्मी गलियों में सीटी बजाकर संबंधित क्षेत्र के लोगों को प्रतिमाएं विसर्जन करने के लिए आए वाहन की सूचना देंगे। लोग ट्रॉलियों में नर्मदा जल से भरे ड्रमों में भी प्रतिमा विसर्जन कर सकेंगे।
इस बार शाम होते ही अनंत चतुर्दशी का अनंत उल्लास, झिलमिलाती गणेश मंडलों की झांकियां, गुब्बारे-फिरकनी और खिलौने वालों की दुकानें, गरम मूंगफली, भंडारे में चाय-पोहे और भजिए की प्रसादी, सड़कों पर सारी रात झांकियों को निहारने वाले लोगों की भीड़ के दृश्य नहीं दिखाई देंगे। अनंत चतुर्दशी को लेकर लोगों में उत्साह तो है लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी जरुरी है। इसलिए प्रशासन ने व्यक्तिगत विसर्जन को पूरी तरह प्रतिबंधित कर जवाबदारी प्रशासनिक अधिकारी-कर्मचारियों को सौंप दी है।
सुबह 7 बजे छह रुटों पर निकलेंगे अधिकारी-कर्मचारियों के दल
विसर्जन के लिए घरों से गणेश प्रतिमाएं लेने के लिए निगम के दल सुबह 7 बजे सिविल लाइंस स्थित जोन कार्यालय से निकलेंगे। यह दल पहले से बनाए मार्गों पर वाहनों के साथ जाएंगे। इन दलों द्वारा रात 11 बजे तक पदमकुंड में संग्रहित की गई प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाएगा।
भगतसिंग चौक पर पहली बार नहीं की प्रतिमा स्थापना
भगतसिंह चौक क्षेत्र के तिलकराज वर्मा ने बताया हर साल गणेशजी की स्थापना सार्वजनिक रूप से की जाती थी। कोरोना संक्रमण के कारण यह पहला मौका है जब प्रतिमा की स्थापना नहीं की गई। मैं करीब 35 साल से प्रतिमा की स्थापना कर रहा था। इससे पहले समाज के बुजुर्गों द्वारा यह उत्सव मनाया जाता था।
चाबी वाले खिलौनों से हुई थी झांकी की शुरुआत, 52 साल बाद मंदिर में ही हुई स्थापना
सराफा क्षेत्र के 83 वर्षीय बुजुर्ग बसंतराव दयाराम सोनी ने बताया कि कोरोना संक्रमण के कारण उत्सव 52 साल पहले की तरह इस बार मना। सार्वजनिक स्थापना नहीं हुई। मंदिर में ही भगवान के पास मिट्टी की प्रतिमा स्थापित की गई। शुरुआत में इसी तरह गणेश उत्सव मनाते थे। कुछ समय बाद मंदिर के बाहर ईंट से अस्थायी ओटला बनाकर चाबी वाले खिलौनों की झांकी बनाई गई।
इन्हें देखने के लिए भी गांवों से लोग आने लगे। फिर चित्रों के कटआउट काटकर झांकी सजाकर पंडाल में रखा। कुछ समय बाद रस्सी से चलने वाले पुतले बनाए और पिछले कुछ सालों में मशीनों से चलने वाले ऑटोमेटिक पुतलों की झांकी बनने लगी। समय के साथ गणेश उत्सव में काफी बदलाव हुआ, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण इस बार उत्सव पहले की तरह नहीं मना।
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