Replica of Siddh Nath Temple built on condition of Kauravas and Pandavas in Manav museum | मानव संग्रहालय में कौरवों और पांडवो की शर्त पर बने सिद्धनाथ मंदिर की प्रतिकृति बनकर तैयार

Replica of Siddh Nath Temple built on condition of Kauravas and Pandavas in Manav museum | मानव संग्रहालय में कौरवों और पांडवो की शर्त पर बने सिद्धनाथ मंदिर की प्रतिकृति बनकर तैयार


भोपाल29 मिनट पहले

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मानव संग्रहालय के मुक्ताकाश में नेमावर के प्राचीन सिद्धनाथ महादेव के मंदिर का प्रतिरूप तैयार किया गया है।

  • यह मंदिर की प्रतिकृति को प्लास्टर ऑफ पेरिस से तैयार किया गया, लेकिन देखने में पत्थर की नक्काशी में बना हो

मानव संग्रहालय के मुक्ताकाश में नेमावर के प्राचीन सिद्धनाथ महादेव के मंदिर का प्रतिरूप तैयार किया गया है। इस मंदिर की रिप्लिका बामोर टेंपल सर्वे ऑफ इंडिया से सेवानिवृत्त स्वर्गीय रघुराज किशोर और हस्तशिल्प विकास निगम से सेवानिवृत्त स्वर्गीय बालकृष्ण उपाध्याय ने तैयार किया था।

इस मंदिर को प्लास्टर ऑफ पेरिस से तैयार किया गया है जिसे देखने पर लगता है कि यह प्रतिरूप पत्थर की शिलाओं से तैयार किया है। गर्भगृह मे शिवलिंग भी बनाया हुआ है। इसे बनाने में लगभग डेढ़ लाख रुपए का खर्च आया था। अब दोनों ही कलाकार इस दुनिया में नही है।

10वीं और 11 वीं सदी में राजाओं ने जीर्णोद्धार किया
हरदा से 20 किलोमीटर दूर नेमावर नर्मदा नदी के तट पर स्थित ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिर सिद्धेश्वर को नेमावर मंदिर के नाम से जाना जाता है। 10वीं और 11 वीं सदी में चंदेलों और परमार राजाओं ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया था। वहीं इस प्रतिकृति मंदिर के स्तंभों और दीवारों पर शिव, यमराज, भैरव, गणेश इंद्राणी और चामुंडा की कई सुंदर मूर्तियां उत्कीर्ण है। जिसे बनानें में कलाकारों को करीब 8 महीनों का समय लगा है।

इस प्रादर्श को संग्रहालय के आवासीय मुक्ताकाश प्रदर्शनी में तैयार किया गया है। सिद्धेश्वर मंदिर जैसी हूबहू कलाकृति तैयार करना अपने आप में चुनौती थी। मूर्तियों को कलाकृति बनाने में बहुत बारीकी से काम किया है। जिसे हूबहू प्राचीन व ऐतिहासिक रूप में दर्शाया गया है।

मंदिर की ऐसी है कथा
कौरवों और पांडवों के बीच एक रात में मंदिर बनाने की शर्त लगी थी। इस मंदिर निर्माण की कथा महाभारत काल के समय की है। बताया जाता है कौरवों की संख्या अधिक होने से उन्होंने एक ही रात में तत्कालीन सिद्धनाथ मंदिर का निर्माण कर दिया। जबकि पांडवों की संख्या कम होने के कारण उनका मंदिर अधूरा ही बन पाया जो आज भी मुख्य मंदिर के पास ही मणिगिरी पर्वत पर वैसी ही अवस्था में स्थित है।

कौरवों ने मंदिर निर्माण कर पांडवों को अभिमान वश होकर ताने मारे जिससे भीम ने क्रोध में मंदिर को घुमा कर मंदिर का मुख्य द्वार पूर्व से पश्चिम दिशा में कर दिया जो आज भी है। कई विद्वानों की मानें तो मंदिर पर बनाई गई मूर्तियां विश्व की अद्भुत कलाकृतियां हैं।

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