उज्जैन12 मिनट पहले
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सामान्य व्यक्ति का एक्स-रे
- शुरुआत के दिनों में कोई लक्षण नहीं, 10 दिन बाद दिखने लगते हैं स्पष्ट लक्षण
(रामसिंह चौहान) कोरोना के गंभीर मरीजों के फेफड़ों में फाइब्रोसिस के मामले ज्यादा आने लगे हैं। संक्रमण से मुक्त हो चुके मरीजों में भी इस तरह की समस्या सामने आ रही है। इससे मरीजों के स्वस्थ होने के बाद भी सांस की तकलीफ हो रही है। मरीज की सांस लेने की क्षमता कम हो रही है। इससे ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है।
ठीक हो चुके मरीजों को दौड़ते समय या तेज चलने तथा चढ़ाव चढ़ने के दौरान सांस भरने जैसी समस्या रह सकती है। खासकर ऐसे मरीज जो 50 प्लस हों या अस्थमा, हार्ट, डायबिटीज या अन्य गंभीर बीमारी हों। मरीजों में फेफड़ों के फाइबर टिशु में हार्डनेस आ रही है। विशेषज्ञों का कहना है नार्मल मरीज की तुलना में पॉजिटिव मरीज खासकर जिनके फेफड़ों में निमोनिया पूरी तरह से फैल गया है, उनके फेफड़ों की वॉल कड़क हो जाती है।
कोविड-19 के नोडल अधिकारी डॉ.एचपी सोनानिया ने बताया गंभीर मरीजों में फाइब्रोसिस की समस्या आ रही है। उनके फेफड़ों की वॉल में हार्डनेस आ रही है। जिन मरीजों की रिपोर्ट निगेटिव आ चुकी है, उनमें भी इस तरह की परेशानी आ रही है।
पहले पैचेस बनते हैं, फिर सिकुड़ते हैं फेफड़े
सामान्य व्यक्ति का एक्स-रे :
एयर की छाया काली दिखाई देती है।
सांस लेने की क्षमता सामान्य रहती है।
ऑक्सीजन सामान्यत: मिलती रहती है।
फेफड़े पूरी तरह से फूलते हैं।
संक्रमित व्यक्ति का एक्स-रे :
निमोनिया होने पर एयर की छाया सफेद हो जाती है।
छोटे-छोटे पैचेज बनते हैं।
सांस लेने की क्षमता कम हो जाती है।
फेफड़े सिकुड़ने लगते हैं।
शुरुआत के दिनों में कोई लक्षण नहीं, 10 दिन बाद दिखने लगते हैं स्पष्ट लक्षण
पॉजिटिव मरीज के प्रकरणों की जांच में पाया कि खांसी और बुखार के शुरुआती पहले तीन दिनों के भीतर एक्स-रे में बीमारी के कोई लक्षण दिखाई नहीं दिए लेकिन 10 से 12 दिनों के बाद स्पष्ट दिखाई दिए। बीमारी के शुरुआती चरण में ग्राउंड ग्लास एक यूनीफोकल लेसन के रूप में प्रजेंट कर सकता है, जो आमतौर पर दाहिने फेफड़े के लॉवर लोब में स्थित होता है।
1000 एक्टिव केस संभालने की तैयारी शुरू, चरक में बनेगा 100 मरीजों का कोविड सेंटर
उज्जैन/इंदौर | कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण अस्पताल फुल होने लगे हैं। इंदौर में स्थिति ज्यादा खराब है। ज्यादातर अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए वेटिंग लिस्ट बनाई जा रही है। कोरोना के इलाज के लिए इंदौर के 28 निजी अस्पताल आरक्षित किए गए हैं। इनमें 1100 बेड हैं। बावजूद इसके नए मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। उज्जैन में भी अब स्थिति और बुरी हो रही है। हर दिन मरीजों का आंकड़ा बढ़ रहा है। सोमवार को मिले 31 नए मरीजों को मिलाकर 10 दिन में ही 385 कोरोना संक्रमित सामने आ चुके हैं। एक्टिव मरीजों की संख्या बढ़कर 453 हो गई है। अस्पतालों में बेड फुल होने लगे हैं। इसलिए प्रशासन विकल्प की तलाश में जुट गया है। अब चरक हॉस्पिटल की पांचवीं मंजिल पर 100 बेड का कोविड केयर सेंटर बनाया जाएगा।
नए सेंटर में हर बेड पर 24 घंटे ऑक्सीजन दें
सेंटर के प्रत्येक बेड पर ऑक्सीजन देने की सुविधा होगी। कलेक्टर आशीष सिंह ने सोमवार को चरक भवन जाकर तीनों वार्डों में बेड लगाने, ऑक्सीजन की सप्लाई चौबीस घंटे सुनिश्चित करने, आवश्यक उपकरणों की व्यवस्था करने एवं डॉक्टर व स्टाफ की आवश्यकताओें का आंकलन कर उनकी पदस्थापना के आदेश दिए हैं। सारी व्यवस्था सात दिन में पूरी कर हॉस्पिटल शुरू करना होगा। उज्जैन में पहली बार एक्टिव मरीज 400 पार हो गए हैं। जिस रफ्तार से मरीज बढ़ रहे हैं, उसे देखते हुए प्रशासन ने 1000 एक्टिव केस संभालने की तैयारी शुरू कर दी है।
भैरवगढ़ टीआई सहित आरक्षक भी पॉजिटिव
लगातार फील्ड में ड्यूटी, थानों पर लोगों की आवाजाही होने से पुलिसकर्मी अधिक संक्रमित हो रहे हैं। अब भैरवगढ़ टीआई जयसी बरडे पॉजिटिव हो गए हैं। 3 दिन पहले लगातार दो दिन तक बुखार आया, जिसके बाद उन्होंने जांच कराई तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई। सोमवार को भैरवगढ़ थाने का ही आरक्षक और पत्नी, पुलिस लाइन निवासी आरक्षक व पत्नी, पुलिस लाइन की शस्त्र शाखा के आरक्षक की पत्नी भी पॉजिटिव आई। आरआई जेपी आर्य ने पुष्टि की है।
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