Madhya Pradesh School Tuition Fee Update; Here’s Latest News Updates From High Court Hearing | स्कूल सिर्फ ट्यूशन फीस ले सकते हैं; एक सितबंर की अंतरिम राहत को अगली सुनवाई तक बढ़ाया, अब अगले महीने होगा फैसला

Madhya Pradesh School Tuition Fee Update; Here’s Latest News Updates From High Court Hearing | स्कूल सिर्फ ट्यूशन फीस ले सकते हैं; एक सितबंर की अंतरिम राहत को अगली सुनवाई तक बढ़ाया, अब अगले महीने होगा फैसला


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भोपाल17 मिनट पहले

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सोमवार से स्कूलों में बच्चों को डाउट क्लियर करने के लिए आने की अनुमति मिल गई है। हालांकि बच्चों को पूरी गाइडलाइन का पालन करने के बाद ही प्रवेश दिया जा रहा है।

  • स्कूल प्रबंधन का पक्ष- स्कूल शुरू होने के बाद ही अन्य फीस लेने पर निर्णय होगा
  • कोर्ट ने कहा सभी पक्ष आपस में बीच का रास्ता निकालें, यही सभी के लिए अच्छा

मध्यप्रदेश में ट्यूशन फीस को लेकर कोर्ट ने अगली तारीख दे दी है। हालांकि एक सितंबर को जारी अंतरिम आदेश को अगली सुनवाई तक के लिए बढ़ा दिया है। ऐसे में फिलहाल की स्थिति में पालकों को अभी स्कूल के अनुसार तय ट्यूशन फीस देना होगा। दोनों पक्षों को 6 अक्टूबर के पहले अपना पक्ष रखना होगा। इसके बाद ही अगला निर्णय लिया जाएगा। सभी पक्षों को बीच का रास्ता निकालने को कहा गया है।

सहोदया ग्रुप के वाइस प्रेसिडेंट विनय राय मोदी ने बताया कि स्कूल फीस मामले में उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति संजय यादव एवं न्यायमूर्ति बीके श्रीवास्तव की युगल पीठ के समक्ष सुनवाई हुई। न्यायालय द्वारा सभी पक्षकारों को एक ऐसा प्रस्ताव रखने को कहा, जिसमें स्कूल शिक्षा के जुड़े सभी हितग्राहियों जैसे पालक, विद्यार्थी, शिक्षक/अन्य गैर शैक्षणिक स्टाफ तथा स्कूल प्रबंधन सभी का हित सुरक्षित रहे।

बच्चों को स्कूल आने के पहले पालक और फिर शिक्षक की अनुमति लेना अनिवार्य है।

बच्चों को स्कूल आने के पहले पालक और फिर शिक्षक की अनुमति लेना अनिवार्य है।

किसी पर भी अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ना चाहिए

कहा गया कि किसी पर भी अतिरिक्त आर्थिक बोझ ना पड़े। प्राइवेट स्कूल्ज एसोसिएशन का पक्ष रखते हुए, अधिवक्ता सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता ने स्पष्ट किया कि एसोसिएशन से सम्बद्ध सभी निजी विद्यालय अभी केवल शिक्षण शुल्क ही ले रहे हैं। सभी अन्य शुल्क नियमित स्कूल शुरू होने पर ही लिए जाएंगे। उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया की महामारी के इस दौर में सभी पक्षों को कुछ समझौता करना आवश्यक है और यदि सभी पक्ष अगली सुनवाई तक कोई ऐसा प्रस्ताव नहीं दे पाते हैं, तो न्यायालय अपना फैसला सुनाएगा। न्यायालय ने 1 सितंबर को मामले में दी गई अंतरिम राहत को अगली सुनवाई तक के लिए बढ़ाया है। मामले की अगली सुनवाई 6 अक्टूबर को होगी।

शरीर के तापमान की जांच की व्यवस्था हर स्कूल में की गई है।

शरीर के तापमान की जांच की व्यवस्था हर स्कूल में की गई है।

पहले की घोषणा के अनुसार ही फीस ली जाएगी

स्कूल शिक्षा विभाग के अनुसार मार्च तक कई स्कूलों ने सत्र 2020-21 की फीस को लेकर घोषणा कर दी थी। इसकी जानकारी भी जिला शिक्षा अधिकारी को दे दी थी। इसमें सिर्फ ट्यूशन फीस ही स्कूलों को लेना होगी। जिन स्कूलों ने फीस की घोषणा नहीं की, वह स्कूल पिछले साल के आधार पर घोषित ट्यूशन फीस लेंगे। इसके अतिरिक्त कोई भी चार्ज या अन्य तरह के शुल्क नहीं लिए जा सकते हैं।

एक क्लास में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए ही विद्यार्थियों को बैठाया जाने के निर्देश हैं।

एक क्लास में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए ही विद्यार्थियों को बैठाया जाने के निर्देश हैं।

इसलिए अभिभावकों का विरोध है

अभिभावकों का आरोप है कि कई स्कूलों ने सालभर की फीस को ही ट्यूशन फीस में जोड़ दिया। यह फीस लेने पर स्कूल संचालक दबाव बना रहे है। इस संबंध में स्कूल शिक्षा विभाग का साफ कहना है कि ऐसा करने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।

अब तक यह हुआ इस मामले में

फीस को लेकर सबसे पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने निजी स्कूलों को लॉकडाउन की अवधि में सिर्फ ट्यूशन फीस लेने के आदेश जारी किए थे। बावजूद इसके कई स्कूल पूरी फीस वसूलने पर अड़े थे। इसको लेकर कुछ स्कूलों ने हाईकोर्ट बेंच इंदौर में याचिका लगाई थी। जिस पर कोर्ट ने सरकार के आदेश पर स्थगन दिया था।

इसी बीच हाईकोर्ट जबलपुर की बेंच में एक स्कूल के मामले में हाईकोर्ट ने सरकार के आदेश को सही बताते हुए सिर्फ ट्यूशन फीस लेने के आदेश दिए। दो आदेश होने से मामला जबलपुर हाईकोर्ट की डबल बेंच में चला गया था। इस पर कोर्ट ने 1 सितंबर को सिर्फ ट्यूशन फीस लिए जाने के आदेश जारी किए।

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