Attachment done in the name of work facility if not transferred to desired place | मनचाही जगह पर तबादले नहीं हुए तो कार्य सुविधा के नाम पर कर दिया अटैचमेंट

Attachment done in the name of work facility if not transferred to desired place | मनचाही जगह पर तबादले नहीं हुए तो कार्य सुविधा के नाम पर कर दिया अटैचमेंट


राजगढ़13 मिनट पहले

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  • बीएमओ का मुख्यालय है भदौरा, लेकिन जिला अस्पताल परिसर में शासकीय आवास किया आवंटित

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर बेहद गंभीर हैं, हर व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवा पहुंचे, इसके लिए हर माह करोड़ों रुपए का बजट भी जारी किया जा रहा है लेकिन स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को कोई परवाह नहीं है। मनचाही जगह पर तबादले कराने की कोशिश करने वाले नाकाम हुए तो उन्होंने दूसरे रास्ते से कार्य सुविधा के नाम पर अटैचमेंट करा लिया और हर सुविधा का लाभ ले रहे हैं। ऐसे ही मामले बमोरी, भदौरा, जिला अस्पताल, मलेरिया विभाग और जिले के अन्य अंचल में सामने आए हैं। जिस स्वास्थ्य अमले को गांव में सेवाएं देना चाहिए, वह शहर में मजे कर रहे हैं या फिर अपने निवास से नजदीक गांव और कस्बे में कार्यरत है। इन लोगों को यह सुविधा कैसे दी, अधिकारियों का सीधा-सादा जबाव है कि कार्य सुविधा की दृष्टि से ऐसा किया गया है।
कार्य सुविधा के नाम पर मनचाही जगह पर अटैच: जिले भर में बड़े पैमाने पर अटैचमेंट किए हुए हैं। फील्ड में मलेरिया सर्वे करने वाले 5 पुरुष स्वास्थ्य कार्यकर्ता को जिला मुख्यालय स्थित मलेरिया ऑफिस में कार्य कराया जा रहा है। जिला अस्पताल में भी ग्रामीण अंचल में टीकाकरण, सर्वे आदि का कार्य करने वाली 8 से 10 एएनएम को अटैच कर रखा है। विकासखंड स्तरीय स्वास्थ्य केंद्र के तहत भी विशनवाड़ा से ऊमरी, मारकीमहू से म्याना, ऊमरी से भदौरा, म्याना से भदौरा स्वास्थ्य अमले को अटैच कर दिया है। इसी तरह अटैचमेंट जिले भर में सीएमएचओ ने किए हैं। एनएचएम के अमले को भी इधर से उधर पदस्थ कर लाभ पहुंचाया जा रहा है।
मुख्यालय भदौरा, शासकीय आवास दिया अस्पताल परिसर में: बीएमओ भदौरा का मुख्यालय भदौरा है। उन्हें कायदे से इसी जगह रहना चाहिए। बीएमओ एसजे बेक को जिला अस्पताल परिसर में ही शासकीय आवास आवंटित कर दिया है। इसी तरह कई आवासों की बंदरबांट अपने नजदीकी लोगों को की जाती है। राष्ट्रीय कार्यक्रम के नोडल अधिकारी बनाने के दौरान भी सिद्धांतों का पालन नहीं किया गया है। ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों पर पदस्थ डॉक्टरों को इनका प्रभारी बनाया है।

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