शाजापुर12 घंटे पहले
- कॉपी लिंक
- किसानों की बर्बादी बयां करती तस्वीर…खेतों में डूबी किसानों की उम्मीद
किसानों की बर्बादी बयां करती तस्वीरें कई गांवों में देखने को मिली। पानी से भरे खेतों में कटी फसल के ढेर तैरते हुए सड़ने लगे हैं। जिले में 95 फीसदी हिस्से में सिर्फ सोयाबीन बोई जाती है। 2 लाख 75 हजार हेक्टेयर की फसल पर पीला मोजेक व स्टेन फ्लाई का डबल अटैक हुआ। 60% रकबे में खड़ी फसल को खराब कर दी। शेष बची फसल में से 20% फसल को मंगलवार व बुधवार को दो दिन हुई बारिश से बर्बाद कर दिया। यानी जिले की कुल 80% फसल खराब हो चुकी है।
एक बीघा में 80 किलो उपज निकल रही
सेतखेड़ी के रामचंद्र गुर्जर की 10 बीघा फसल खराब हो गई। रामचंद्र ने बताया एक बीघा में 70 से 80 किलो उपज निकल रही है। इसकी कटाई चल ही रही थी कि अचानक बारिश हो गई और कटी पड़ी उपज पानी में डूब गई। पानी भरा होने से फसल सड़ने लगी है। सेतखेड़ी के प्रभुलाल गुर्जर ने 800 रुपए बीघा के हिसाब से हार्वेस्टर से 10 बीघा की फसल कटवाई। 7-8 क्विंटल जो उपज मिली उसके दाने ठंडे थे। इन्हें धूप में सुखाने के लिए छत पर डाल दिया और वे खेत पर चले गए। इसी दौरान तेज बारिश ने उपज को खराब कर दिया।
हजारों खर्च किए, लागत भी नहीं निकलेगी
ये तस्वीर गांव सिमरोल के शु. के ब्रजेश परमार के खेत की है। किसान ने बताया 70 हजार खर्च कर 20 बीघा में सोयाबीन बोए थे। अगस्त तक फसल अच्छी थी। लेकिन बीमारी व बारिश से बर्बाद हो गई। वजीरपुरखेड़ा के देवीसिंह राजपूत ने बताया उन्होंने 53 हजार खर्च कर 15 बीघा में सोयाबीन बोए थे। लेकिन अब 50 किलो बीघा अनाज निकल रहा है। बोलाई के शक्ति सिंह जादौन ने 40 बीघा में बुआई के लिए 1 लाख 40 हजार खर्च किए। कटाई कराने पर 60 किलो बीघा उत्पादन मिला। कटाई महंगी पड़ने से 15 बीघा फसल कटाई ही नहीं।
बीमारी से बची फसल बारिश की भेंट चढ़ी
सीजन के अंतिम दिनों में 22 व 23 सितंबर को सारंगपुर तहसील में लगभग 100 एमएम बारिश हुई। इससे खेतों में कटी हुई फसल पानी में डूब गई। अनेक स्थानों की फसल पानी में बह गई। खलिहान में रखी फसल भी खराब हो गई। राधेश्याम पाटीदार, जोरावर सिंह, गोकुल सिंह, घनश्याम, कमल सिंह सहित क्षेत्र के अन्य किसानों ने बताया क्षेत्र में अफलन बची हुई फसल भी बारिश की भेंट चढ़ गई। किसानों ने हजारों रुपए खर्च कर फसल बोई थी, लेकिन अब लागत भी नहीं निकल पा रही है।
इस बार कर्ज लेकर निकालना पड़ेगा साल
खरसौदा के रोशन मेवाड़ा ने बताया कि हार्वेस्टर व मजदूर के पैसे तो दूर, इस साल तो लागत भी नहीं निकल सकी। मालीखेड़ी के भागीरथ तोमर ने बताया कि खेतों में अभी तो दिन की बारिश से खेतों में पानी भर गया। इस कारण कटी फसल फसल के साथ अब खड़ी फसल भी बर्बाद हो गई। बुडलाय के किसान शिव नारायण परमार ने बताया कि 300 बीघा जमीन में बोवनी पर ही 3 लाख से ज्यादा लागत आई। लेकिन फसल पूरी बर्बाद हो गई। ऐसे में अब पूरे साल कर्ज लेकर ही काम चलाना पड़ेगा।