रायसेन20 घंटे पहले
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- पिछले साल दो माह पहले से बनने लगे थे दुर्गा पंडाल, वहां पर इस बार है सन्नाटा
कोरोना महामारी का असर इस बार नवरात्र में देखने को मिलेगा, क्योंकि दुर्गा उत्सव में झांकी के आयोजकों को कोविड की गाइड लाइन को पालन करना अनिवार्य कर दिया गया है। यही कारण है कि जहां पर दो महीने पहले से विशाल दुर्गा पंडाल बनने लगते थे, वहां पर इस बार सन्नाटा पसरा हुआ है। झांकी के आयोजकों का कहना है कि वे कोविड की गाइड लाइन को पालन करते हुए ही दुर्गा प्रतिमा की स्थापना करेंगे। प्रतिमा भी 6 फीट से ज्यादा बड़ी नहीं होगी। झांकी स्थल पर भीड़ भाड़ न हो, इसका भी पूरा ख्याल रखा जाएगा।
बस स्टैंड की झांकी में हर दिखता था नया दरबार
शहर के नए बस स्टैंड पर मंडी के व्यापारियों और उनकी मित्र मंडली द्वारा हर साल बड़े स्तर पर अलग ढंग से माता रानी का दरबार सजाया जाता था। यहां पर दर्शन करने के लिए भक्तों को घंटों लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता था मां वैष्णो देवी दरबार सहित कई प्रसिद्घ प्राचीन मंदिरों वाला पंडाल यहां पर भक्तों को देखने को मिलता था। इसके लिए दुर्गा उत्सव से दो माह पहले कलकत्ता से कारीगारों को दरबार बनाने के लिए बुलाया जाता था। जो बास और अन्य साधनों से विशाल पंडाल का निर्माण करते थे, जिस पर मां वैष्णो रानी दरबार समिति के सदस्य हर साल 8 से 10 लाख रुपए तक खर्च करते थे, लेकिन इस बार यहां पर ऐसी भव्यता दिखाई नहीं देगी। समिति के सदस्य और मंडी व्यापारी मनोज सोनी ने बताया कि कोरोना के कारण सीमित दायरे में ही मां का दरबार सजेगा।
महामाया चौक पर इस बार छोटे रूप में करेंगे मां अंबे की स्थापना
महामाया चौक पर पिछले 9 साल से युवाओं द्वारा भव्य प्रतिमा की स्थापना की जाती रही है, लेकिन इस बार यहां पर भी छोटी प्रतिमा को ही विराजमान किया जाएगा। समिति के हेमंत पवार ने बताया कि कोरोना महामारी के बाद भी दुर्गा उत्सव को सीमित दायरे में रहकर मनाने की छूट मिल गई है, नहीं तो कई त्योहार तो इस बार मन ही नहीं पाए है। उनकी समिति द्वारा भी कोविड के नियमों को पालन करते हुए छोटी प्रतिमा का आर्डर दिया है।