Karanasagar in the grip of hyacinth for 4 years, cleanliness now starts, will return to its old form in a month | 4 साल से जलकुंभी की चपेट में करनसागर, अब सफाई शुरू, एक महीने में पुराने स्वरूप में लौटेगा

Karanasagar in the grip of hyacinth for 4 years, cleanliness now starts, will return to its old form in a month | 4 साल से जलकुंभी की चपेट में करनसागर, अब सफाई शुरू, एक महीने में पुराने स्वरूप में लौटेगा


दतिया19 मिनट पहले

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  • लंबे समय से चल रही थी तालाब की सफाई कराने की मांग, 20-30 मजदूर कर रहे सफाई

नगर पालिका ने आखिरकार शहर के प्राचीन करनसागर तालाब की सफाई का कार्य शुरू करा दिया है। तीन दिन से लगातार कभी 20 तो कभी 30 मजदूर तालाब से जलकुंभी निकालने में सुबह से शाम तक जुटे रहते हैं। जहां सफाई हो चुकी है वहां तालाब का पानी स्पष्ट नजर आने लगा है। हरे भरे पार्क के रूप में दिखने वाला करनसागर एक महीने के अंदर ही पुराने स्वरूप में लौटेगा। तालाब से जलकुंभी की सफाई होने के बाद सैलानियों की संख्या भी बढ़ेगी साथ ही पूर्व में यहां स्नान आदि के लिए जाने वाले लोगों की आवाजाही भी बढ़ेगी।

बता दें कि करन सागर तालाब का निर्माण दतिया के तत्कालीन राजा शुभकरण ने सन 1680 में कराया था। उन्हीं के नाम पर इसका नाम करण सागर तालाब पड़ा। तालाब सीतासागर तालाब से साइफन पद्धति उसे जुड़ा है इसलिए बरसात में जब सीतासागर तालाब ओवरफ्लो हो जाता है तो उसका पानी बस स्टैंड बायपास पर बनी पुलिया से बापा साहब के बाग के अंदर से, गंजी हनुमान मंदिर, हमीर सिंह नगर होते हुए उनाव रोड बस बॉडी से निकलता है और यहां से सीधे करनसागर में पहुंचता है। यही नहीं जब करनसागर ओवरफ्लो हो जाता है तो इसका पानी राजसी छतरियों के पास बनी पुलिया से निकलकर नए ताल में पहुंचता है। लेकिन इस साल कम बारिश के कारण शहर के किसी भी तालाब का पानी एक से दूसरे में नहीं पहुंचा।

इस तालाब की खासियत यह भी है कि गर्मियों के मौसम में ज्यादातर तालाब खाली हो जाता है लेकिन इस तालाब में पानी कम तो होता है लेकिन तलहटी 20 साल से नहीं दिखी। 20 साल पहले जब सबसे ज्यादा सूखा पड़ा था तब ही तालाब में गड्‌ढे नजर आए थे। तालाब में परशुराम मंदिर और शनिदेव मंदिर की तरफ सीढ़ियां बनी हैं। चार साल पहले तक हर सीजन में लोग सुबह यहां स्नान आदि के लिए जाते थे। सुबह और शाम के समय चहल पहल रहती थी लेकिन तालाब के जलकुंभी की चपेट में आने से लोगों का मोह भंग हो गया। अब लोग मुंडन कराने ही तालाब पर जाते हैं और स्नान नगर पालिका के पानी के टैंकर से करते हैं।

ज्योति स्नान से लेकर प्रतिमाओं का होता है विसर्जन

इस तालाब में जहां शारदीय नवरात्र में सैकड़ों की संख्या में दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन होता है तो वहीं सिंधी समाज द्वारा ज्योति स्नान महोत्सव में इसी तालाब में पवित्र ज्योति को स्नान कराया जाता है। तालाब में श्राद्ध पक्ष में लोग यहां पूर्वजों को तर्पण करने के लिए पहुंचते हैं। अधिक माह के बाद आने वाले कार्तिक माह में महिलाएं कार्तिक स्नान के लिए यहां पहुंचती हैं। मोर छठ पर यहां नव दंपत्तियों के मोर विसर्जन होते हैं। दिवंगतों के परिवार के लोग यहां मुंडन कराकर स्नान आदि के लिए पहुंचते हैं। तालाब के सौंदर्यीकरण से फिर से यहां लोगों की चहल पहल बढ़ेगी।

लोगों द्वारा लगातार की जा रही थी करन सागर की सफाई की मांग

चार साल से तालाब जलकुंभी की चपेट में है और इन चार सालों में हाल यह हो गया कि तालाब हरे भरे पार्क के रूप में दिखने लगा। एक सप्ताह पहले तक पितृपक्ष में लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। शहर के लोग तालाब की सफाई की मांग कर रहे थे। लोगों की मांग पर नगर पालिका ने कलेक्टर रेट पर मजदूरों को सफाई करने में लगाया। तीन दिन से लगातार 20-30 मजदूर, इनमें महिलाएं भी शामिल हैं, तालाब की सफाई कर रहे हैं। एक महीने अंदर तालाब फिर से पुराने स्वरूप में लौटकर आएगा।



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