जबलपुर18 घंटे पहले
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- सब्सिडी वाले 601 रुपए के सिलेंडर में 300 से 400 किमी तक चलती हैं कारें
- 43 रुपए लीटर वाली एलपीजी गैस में मिलता है 7-10 किलोमीटर का एवरेज
- यही वजह है कि लोग गैरकानूनी ढँग से रीफिल कराते हैं ऑटो और अन्य वाहन
ऑटो एलपीजी के गोरखधंधे पर रोक लगाने में प्रशासन के अब तक के सारे प्रयास विफल ही रहे हैं। एक समय तक शहर में 10-12 हजार लीटर प्रतिदिन तक की खपत रही है, लेकिन जैसे ही सब्सिडी वाले सिलेंडरों की संख्या बढ़ी ऑटो एलपीजी का कारोबार गिरता चला गया। साल में 6 की जगह जब 12 सिलेंडर हुए तो फ्यूल स्टेशनों में एलपीजी की बिक्री 2 हजार से 22 सौ लीटर प्रतिदिन तक पहुँच गई।
कोविड पीरियड में हाल फिलहाल ऑटो एलपीजी की सैलिंग हजार-बारह सौ लीटर तक लुढ़क आई है। इस पूरे केल्कुलेशन से साफ है कि सब्सिडी सिलेंडरों की संख्या जब तक सीमित रही, फ्यूल स्टेशनों में खपत नजर आई, लेकिन जैसे ही सिलेंडरों की तादाद बढ़ी, पंपों पर सैलिंग घटकर 20-25 प्रतिशत तक से भी कम रह गई।
पेट्रोल की अपेक्षा एलपीजी को बढ़ावा दिया ही इसलिए गया क्योंकि यह काफी किफायती मानी गई, लेकिन कालाबाजारी के फेर में ऑटो एलपीजी का सैटअप ही बदल गया। अब गली-मोहल्लों में ऐसे गैरेज हैं जहाँ कार की गैस टैंक में एलपीजी और ज्यादा किफायती दाम में भरी जा रही है। जानकारों का कहना है कि जबलपुर में तकरीबन 8 हजार लीटर घरेलू गैस को कारों और अन्य दूसरे व्यावसायिक कामों में उपयोग में लिया जा रहा है।
डिस्काउंट का भी फायदा नहीं
कुछ पंप संचालकों ने एलपीजी के लिए डिस्काउंट भी दिए तिलवारा स्थित पंप की ओर से वाहनों को आने-जाने के बदले एक ली गैस फ्री भी दी गई इसके बावजूद ग्राहकों को आकर्षित करने में ऑफर कामयाब नहीं रहा। आखिरकार एलपीजी स्टेशन बंद हो गया।
तीन स्टेशन, तीनों बेहाल
रतन चंद अग्रवाल फ्यूल स्टेशन (आईओसी)
स्थान- विजय नगर
शुरूआती दिनों में इस फ्यूल स्टेशन में काफी वाहनों की फ्यूलिंग की जाती थी लेकिन विजय नगर, करमेता, आईटीआई और दमोहनाका जैसे क्षेत्रों में घरेलू गैस को ऑटो एलपीजी में बदलने वाले गैरेज की संख्या बढ़ी। लिहाजा, पंप की सैल लगातार गिरने लगी। हाल फिलहाल तकरीबन 4 सौ लीटर प्रतिदिन की बिक्री रह गई है।
गोल्डन हाई-वे, (आईओसी)
स्थान- सुहागी
शहर से कुछ दूरी होने के कारण यहाँ सामान्य दिनों में भी बिक्री कम ही रही। आमतौर पर 6-7 सौ लीटर प्रतिदिन की सैलिंग हाल फिलहाल घटकर 2 से 3 सौ लीटर तक आ गई है। व्यावसायिक गतिविधियों में तेजी आने के बावजूद बाजार में मनी फ्लो पहले जैसा नहीं रहा यही वजह है कि वाहन मालिक गोरखधंधे के जरिए गैसों की रिफिलिंग करवा लेते हैं।
साहनी फ्यूल स्टेशन (एचपी)
स्थान-शारदा चौक
मुख्य मार्ग पर होने के बावजूद हिन्दुस्तान पेट्रोलियम का यह फ्यूल स्टेशन आॅटो एलपीजी के मामले में वीरान जैसा है। जानकारों का कहना है कि बाकी पंपों की अपेक्षा भले ही सैलिंग कुछ अधिक है, लेकिन शहर में एलपीजी वाहनों की संख्या के अनुपात में पर्याप्त नहीं कही जा सकती है। पंप में बमुश्किल से 4 से 5 सौ लीटर की खपत बची है।
घरेलू गैस से वाहनों को नुकसान, हादसे का खतरा
फायदे और नुकसान के गणित में उलझने वाले कम ही वाहन चालकों को यह पता होगा कि घरेलू गैस का वाहन में इस्तेमाल के क्या-क्या नुकसान हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ऑटो एलपीजी फुल रिफाइंड गैस होती है, जिसमें अशुद्धता का प्रतिशत न के बराबर रहा है, जबकि घरेलू गैस में कुछ अशुद्धियाँ होती हैं। कार्बन उत्सर्जन भी ऑटो एलपीजी के मुकाबले ज्यादा होता है। इससे वाहनों काे उतनी ताकत हासिल नहीं हो पाती जिसका आगे चलकर इंजन की कार्यक्षमता पर खासा असर दिखाई देता है। सबसे बडा खतरा है हादसे का। प्रेममंदिर के समीप पिछले दिनों एक हादसे में गैरेज संचालक झुलस गया था।