The tribals latched on three officers, after 3 hours the collector sat and listened to the problems | आदिवासियों ने तीन अफसरों काे लाैटाया, 3 घंटे बाद कलेक्टर ने बैठाकर सुनी समस्याएं

The tribals latched on three officers, after 3 hours the collector sat and listened to the problems | आदिवासियों ने तीन अफसरों काे लाैटाया, 3 घंटे बाद कलेक्टर ने बैठाकर सुनी समस्याएं


होशंगाबाद14 घंटे पहले

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होशंगाबाद। नाराज आदिवासियों की कलेक्टोरेट सभाकक्ष में समस्या सुनते कलेक्टर।

  • कलेक्टोरेट में पहली बार प्रदर्शनकारियों के साथ अधिकारियों ने की ऐसी बैठक
  • प्रमुख 19 मांगाें काे लेकर सैकड़ाें आदिवासियों ने नेहरू पार्क से निकाली रैली, कलेक्टर से मिलकर, ज्ञापन सौंपकर ही लौटे

मर गए ताे जलाने की जगह नहीं, मवेशियाें काे चराने की जगह नहीं, नीचे साेना पड़ता है भजनी (खटिया बुनने की रस्सी) लाने के जंगल जाने की अनुमति नहीं… हम 25 बार आवेदन दे चुके हैं काेई सुनवाई नहीं हाेती। अब केवल कलेक्टर से ही बात करेंगे। वे आएं ताे ठीक नहीं ताे हम यहीं कलेक्टाेरेट गेट पर शांति से बैठेंगे। यह बात कलेक्टाेरेट पहुंचे सैकड़ाें आदिवासियाें ने मंगलवार काे तहसीलदार निधि चाैकसे, एसडीएम आदित्य रिछारिया और एडीएम जीपी माली से कही।

अपनी प्रमुख 19 मांगाें काे लेकर जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) के नेतृत्व में परिवार सहित प्रदर्शन करने पहुंचे आदिवासियाें ने तीनाें अधिकारियाें काे लाैटा दिया। प्रशासन ने पहले कलेक्टाेरेट में धारा-144 हाेने की बात कहकर 5 लाेगाें के दल काे मिलने बुलाया जब आदिवासी नहीं माने ताे सभी प्रदर्शनकारियों को कलेक्टोरेट सभाकक्ष के अंदर बुलाया। कलेक्टर धनंजय सिंह ने डीएफओ लालजी मिश्रा सहित पूरे प्रशासनिक अमले की माैजूदगी में समस्याएं सुनी।

आदिवासी बोले- 25 बार आवेदन दे चुके हैं अब तक नहीं हुई कोई भी सुनवाई

करीब 4 घंटे चला प्रदर्शन

दाेपहर 2 बजे से शाम 6 बजे तक चले प्रदर्शन में आदिवासी विकास परिषद, जयस, आदिवासी छात्र संगठन, मप्र आदिवासी विकास परिषद युवा प्रभाग, गोंडवाना संगठन के पदाधिकारी माैजूद रहे। इस दाैरान जगदीप नर्रे, गौरव, आकाश, गिरधारी धुर्वे, सचिन, पवन मर्सकोले, अभिषेक, रजत मर्सकोले, राहुल प्रधान, विजय कावरे, शुभम, सुमित मालवीय, लक्ष्मण परस्ते ने ज्ञापन सौंपा।

इधर, सैनिक की ड्रेस में पहुंचे आदिवासी

इधर, आजाद हिंद फौज के समर्थक आदिवासी मंगलवार को वर्दी में पहुंचे। सभी विस्थापित झालई गांव को बसाने की मांग कर रह थे। मांझी अंतरराष्ट्रीय समाजवाद सैनिक आदिवासी संगठन के जिलाध्यक्ष बालासिंह परते ने बताया नया झालई बसाने की कार्यवाही 2008 में हुई थी। अब भी वहां समस्या है।

आदिवासी बोले- 25 बार आवेदन दे चुके हैं अब तक नहीं हुई कोई भी सुनवाई

जयश प्रभारी कैलाश ने कलेक्टाेरेट में बताया आदिवासी परिवाराें के दाह संस्कार के लिए श्मशान तक नहीं है। आदिवासियाें काे विस्थापित ताे कर दिया लेकिन मवेशी चराने के लिए जगह नहीं है। बच्चे, महिलाओं तक काे जमीन साेना पड़ता है। भजनी (खटिया बुनने की रस्सी) लेने के लिए जंगल जाने पर राेक लगा रखी है।

आदिवासी महिलाओं पर दर्ज केस वापस लें

वनग्राम डांगपुरा, खखरापुरा में 2009 में आदिवासी समाज की 30 महिलाओं पर जंगली जानवर मारने और इमारती लकड़ी काटने के आराेप में मुकदमा दर्ज किया गया। मुकदमा रद्द कर झूठा प्रकरण बनाने वाले वन विभाग के कर्मचारियाें, अधिकारियाें पर कार्रवाई की मांग की। आदिवासियाें ने नेहरू पार्क से रैली निकालकर प्रशासन काे ज्ञापन साैंपा।

रात को वनकर्मी महिलाओं काे बुलाते हैं

जयस जिलाध्यक्ष लक्ष्मण सिंह परते ने कहा वनग्राम की महिलाओं से वनकर्मी मारपीट करते हैं, आदिवासी महिलाओं काे रात 2 बजे वन चाैकी बुलाते हैं। आदिवासियाें ने संबंधित डिप्टी रेंजर, नाकेदार और चाैकीदार के नाम भी कलेक्टाेरेट में सार्वजनिक किए। नाराज आदिवासियाें ने दोषी कर्मचारियों काे बर्खास्त करने की मांग की।



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