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- When Admitted Positive, Admitted After Treatment, But Not Healthy Antibodies, Arrived When Donating Plasma
इंदौर25 मिनट पहले
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संक्रमण से ठीक हुए एक मरीज प्लाज्मा देते हुए।
- 10% लोगों में दोबारा संक्रमण का खतरा, अकेले अरबिंदो में ऐसे 12 केस सामने आए
- बीमारी से ठीक होने के 14 दिन बाद किसी व्यक्ति के शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है
(नीता सिसौदिया) कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमण से मुक्त होने वाले मरीज प्लाज्मा डोनेट करने के लिए मेडिकल कॉलेज आ रहे हैं लेकिन उनमें एंटीबॉडी नहीं बनी। अकेले अरबिंदो कोविड अस्पताल में ही ऐसे 12 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें एंटीबॉडी ही नहीं बनी।
बीमारी से ठीक होने के 14 दिन बाद किसी व्यक्ति के शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है लेकिन इन मामलों में मध्यम लक्षणों (माइल्ड) के चलते भर्ती होने के बावजूद मरीज में एंटीबॉडी टेस्ट निगेटिव आया है। इससे इस आशंका को भी बल मिल रहा है कि पॉजिटिव होने के बाद भी एंटीबॉडी क्यों नहीं बन रही? कहीं मरीज में एंटीबॉडी जल्द ही गायब तो नहीं हो रही।
एक्सपर्ट… एंटीबॉडी नहीं मतलब इम्युनिटी कमजोर
अरबिंदो कोविड अस्पताल के पैथोलॉजी विभाग प्रमुख डॉ. कमल मलुकानी कहते हैं प्लाज्मा में दो तरह के लिंफोसाइट होते हैं। बी-सेल यानी बोनमैरो सेल और टी-सेल यानी थाइमस सेल। बी-सेल एक तरह का प्रोटीन होता है जो एंटीबॉडी बनाता है।
जिन लोगों में एंटीबॉडी नहीं बनी है, उनकी बी-सेल इम्युनिटी अच्छी नहीं थी। इसका मतलब यह है कि सी-सेल इम्युनिटी के कारण वे ठीक हो गए। अब उनमें यह डर बन रहा है कि कहीं वे दोबारा संक्रमित न हो जाएं। एमजीएम मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक डायरेक्टर डॉ. अशोक यादव कहते हैं कि बीमारी से मुक्त होने वाले करीब 10 प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडी नहीं मिल रही है।
1) 49 वर्षीय मरीज मध्यम लक्षणों के चलते अस्पताल में भर्ती हुआ था। 12 मई को रिपोर्ट पॉजिटिव आई। 23 मई को दूसरी रिपोर्ट निगेटिव आई थी। 16 जुलाई को जब वह प्लाज्मा देने के लिए दोबारा अस्पताल पहुंचा तो पता लगा एंटीबॉडी बनी ही नहीं है।
2) 25 वर्षीय युवक भी कोरोना बीमारी के मध्यम लक्षणों के चलते 25 मई को भर्ती हुआ। 30 मई को रिपोर्ट पॉजिटिव आई। मरीज ठीक होकर घर चला गया, लेकिन 28 अगस्त को जब वह प्लाज्मा देने अस्पताल आया तो पता चला कि एंटीबॉडी बनी ही नहीं।
3) 33 वर्षीय मरीज में 6 अगस्त को बीमारी के लक्षण आए। वह भर्ती हुआ। 7 अगस्त को वह पॉजिटिव आया। दस दिन बाद रिपोर्ट निगेटिव भी आ गई। 8 सितंबर को जब संक्रमण से मुक्त हो चुके मरीज ने प्लाज्मा देना चाहा तो डॉक्टरों को एंटीबॉडी नहीं मिली।
4) 33 वर्षीय मरीज 15 अगस्त को बीमारी के संक्रमण से मुक्त हुआ। मध्यम लक्षणों के चलते वह बाकायदा दस दिन भर्ती रहा। एक जुलाई को जब वह प्लाज्मा देने के लिए गया तो पैथोलॉजी ने उसका प्लाज्मा नहीं लिया, क्योंकि एंटीबॉडी नहीं मिली।