ग्वालियर19 घंटे पहले
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शहर में सितंबर के मुकाबले अक्टूबर में कोरोना संक्रमित मरीज कम मिल रहे हैं लेकिन इससे हाेने वालीं माैतें नहीं थमीं हैं। पिछले 35 दिन में कोरोना से 101 लाेगाें की जान जा चुकी है। राेज तीन या इससे अधिक लाेग काेराेना के कारण जान गंवा रहे हैं। पिछले 11 दिन में ही जिन लाेगाें ने जान गंवाई, उनमें 16 की आयु 60 से अधिक थी। जबकि एक 47 और दूसरा 55 साल का था।
सवाल ये है कि संक्रमण का ग्राफ गिर रहा है ताे माैताें का क्याें नहीं? गाैरतलब है कि गत 24 मार्च को शहर में काेराेना का पहला पॉजिटिव केस मिला था। इसके बाद 6 सितंबर तक यानी 166 दिन में 100 लोगों की मौत हो गई। 7 सितंबर से 11 अक्टूबर तक 101 नए लोग काेरोना के चलते इलाज के दौरान जान गंवा बैठे।
जिला अस्पताल के आईसीयू की नर्स, सब इंजीनियर निकला पॉजिटिव
ग्वालियर. रविवार काे जिले में 60 नए संक्रमित मिले। जिला अस्पताल मुरार के आईसीयू में पदस्थ नर्स को जांच में कोरोना होने की पुष्टि हुई है। रिपोर्ट में 13 बटालियन में पदस्थ 26 वर्षीय आरक्षक, महाराज बाड़ा स्थित एसबीआई शाखा का 45 वर्षीय सुरक्षाकर्मी और गोविंदपुरी निवासी सिंचाई विभाग के 55 वर्षीय सब इंजीनियर में कोरोना होने की पुष्टि हुई है। वन विभाग में पदस्थ 34 वर्षीय वन रक्षक सहित गांधी नगर निवासी 38 वर्षीय अधिवक्ता की रिपाेर्ट भी पाॅजिटिव आई है।
केंद्रीय जेल में बंद 4 कैदी भी संक्रमित निकले हैं। कंपू स्थित जूस की दुकान का संचालक, उनकी पत्नी और 16 वर्षीय बेटी को भी कोरोना संक्रमण होने की पुष्टि हुई है। समाधिया कॉलोनी निवासी बिजली विभाग से सेवानिवृत्त 59 वर्षीय एकांउटेंट व उनकी दो बहू भी संक्रमित निकली हैं।
सितंबर में ज्यादा घातक रहा संक्रमण इसलिए माैतें बढ़ीं
पिछले माह काेरोना संक्रमण चरम पर होने के साथ-साथ अधिक घातक था। अक्टूबर के पखवाड़े में जो मौतें हुई हैं, वे सितंबर में ही संक्रमित हुए होंगे। इसलिए गंभीर हालत में अस्पतालाें में आए। इनमें से अधिकांश मरीज डायबिटीज व अन्य किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित थे। -डॉ. विजय गर्ग, असिस्टेंट प्रोफेसर, मेडिसिन, जीआरएमसी
संक्रमितों के फेफड़ों में वायरस का इन्फेक्शन अधिक हो रहा है
मैंने अब तक कोविड-19 के 300 मरीजों का इलाज किया है। हमारे पास जितने भी मरीज आए उनके फेफड़ों में वायरस का इन्फेक्शन अधिक पाया गया। इलाज तभी कारगर होता है जब मरीज लक्षण आने के शुरुआती 10 दिन में अपना ट्रीटमेंट शुरू करवा दे। इससे अधिक समय बीत गया तो फिर रिकवरी को लेकर बहुत कुछ विभिन्न परिस्थितियों पर निर्भर होता जाता है। -डॉ अरुण तिवारी, केडीजे ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल