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- After The Death Of The Patient, A Private Hospital Demanded 2.80 Lakh Rupees From The Family; Deadbody Did Not Give 22 Hours For Money
भोपालएक दिन पहले
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एम्स में सोमवार को ओपीडी में रजिस्ट्रेशन न होने से नाराज मरीजों एवं परिजनों को संभालने के लिए पुलिस बुलानी पड़ी।
- सफाई: परिजन गायब थे, हमने उन्हें बुलाया
- परिजन बोले- इलाज में 8 लाख खर्च किए, नहीं मिला आयुष्मान कार्ड का लाभ
इलाज का बकाया 2 लाख 80 हजार नहीं चुकाने पर सिद्धांता रेडक्रॉस अस्पताल की ओर से 22 घंटे तक डेडबॉडी रोकने के आरोप परिजनों ने लगाए हैं। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि बकाया भुगतान के लिए डेडबॉडी नहीं रोकी गई। औबेदुल्लागंज निवासी 34 वर्षीय अनिल वर्मा को पेट में पानी भरने की समस्या थी उनको 30 सितंबर सिद्धांता अस्पताल में भर्ती किया गया था।
अनिल के भांजे सोनू ठाकुर ने बताया कि एक अक्टूबर को 95 हजार रुपए जमा किए। दो अक्टूबर को ऑपरेशन किया गया था। हफ्तेभर तक तो वो ठीक थे। लेकिन रविवार को डॉक्टरों ने शाम 5 बजे बताया कि उनकी हार्ट बीट कम हो रही है, हालत गंभीर है कुछ भी हो सकता है। इसके बाद शाम को करीब 6 बजे मृत घोषित कर दिया।
कहा था…बिना पैसे दिए नहीं मिलेगा शव
सोनू ने बताया कि जब हमने डेडबॉडी मांगी तो चार लाख का बिल बताया गया। हम एक लाख 15 हजार रुपए पहले जमा करा चुके थे। ऐसे में तीन लाख और मांगे गए। पैसे नहीं हैं इस संबंध में डॉक्टरों से मिन्नतें की लेकिन उन्होंने बिना भुगतान डेडबॉडी देने से इनकार कर दिया। रात 12 बजे सिद्धांता अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. सुबोध वार्ष्णेय से बात की उन्होंने 2 लाख 80 हजार रुपए जमा करके डेडबॉडी ले जाने की बात कही।
सीएम हाउस से फोन कराया तब मिली डेडबॉडी : सोनू ने बताया कि हमने अपने परिचित के माध्यम से सीएम हाउस और मंत्री विश्वास सारंग के यहां से फोन लगवाए, इसके बाद डॉक्टर ने ब्लैंक चैक पर हस्ताक्षर कराए और पहचान पत्र लेकर सोमवार शाम करीब 6 बजे डेडबॉडी दी।
ब्लैंक चेक लेकर दी बॉडी
ब्लैंक चैक देने पर अस्पताल से डेडबॉडी दी गई है। साथ ही कहा है कि तीन-चार दिन में पैसे जमा नहीं किए तो चैक लगा देंगे।
सोनू ठाकुर, अनिल का भांजा
पैसों के लिए नहीं रोकी डेडबॉडी
पैसे के लिए डेडबॉडी रोकने की बात गलत है। अनिल के परिजन तो गायब थे, हमने फोन लगाकर बुलाया और डेडबॉडी दी। उन्हें हफ्तेभर से हमीदिया और एम्स जाने के लिए बोल रहे थे। – डॉ. सुबोध वार्ष्णेय, डायरेक्टर, सिद्धांता रेडक्रॉस अस्पताल
हमीदिया… मर्चूरी के बजाय कैजुअल्टी में रखवाया कोरोना संदिग्ध का शव
कोरोना मरीज या संदिग्ध का शव मर्चूरी में रखा जाता है, लेकिन सोमवार को संदिग्ध के शव को हमीदिया की कैजुअल्टी में रखा गया। इससे स्टाफ व मरीज परेशान हुए। इटारसी निवासी 85 वर्षीय रफीक खान को परिजन शाम 5 बजे हमीदिया लेकर पहुंचे थे। इलाज शुरू होने से पहले उनकी मौत हो गई। सैंपल लेकर शव को कोविड प्रोटोकॉल के तहत पैक किया गया। लेकिन, काफी देर बाद रात में साढ़े नौ बजे शव को मर्चूरी में शिफ्ट किया गया।