सुमित्रा कास्डेकर कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी में गयी हैं.
बीजेपी (BJP) ने सुमित्रा कास्डेकर का बचाव करते हुए कांग्रेस (Congress) को नसीहत दी कि उन्हें चुनाव के समय ही ससुर क्यों याद आए. इससे पहले कांग्रेस ने ससुर की खैरखबर क्यों नहीं ली. बीजेपी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला.
2018 के विधान सभा चुनाव में बुरहानपुर की नेपानगर सीट से कांग्रेस की सुमित्रा कास्डेकर चुनकर विधानसभा पहुंची थीं. लेकिन मार्च में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिराने के कुछ समय बाद सुमित्रा कास्डेकर ने भी पार्टी बदल ली. वो कांग्रेस छोड़ बीजेपी में चली गयीं और इस तरह विधायकी से इस्तीफे के बाद नेपानगर सीट खाली हो गयी. अब यहां उपचुनाव है और सुमित्रा कास्डेकर बीजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं.उपचुनाव में प्रचार के दौरान कास्डेकर के घर का घमासान भी सड़क पर आ गया है. उनके ससुर मोती राम कास्डेकर पुराने कांग्रेसी हैं. वो अपनी बहू सुमित्रा और बेटे का चुनाव में साथ नहीं दे रहे हैं. मोतीराम कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार कर रहे हैं. वो कांग्रेस की नुक्कड़ सभाओं और जनसंपर्क कार्यक्रमों में बढ़चढ़ कर शामिल हो रहे हैं.
जो मेरा ख्याल न रख सकी…
बीच में उनके ससुर ने यह भी आरोप लगाया था कि उनकी बहू सुमित्रा कास्डेकर के इशारे पर कुछ लोगों ने उन्हें पूर्व सीएम कमलनाथ की जनसभा में जाने रोका. अब वो आरोप लगा रहे हैं कि उनके बेटे-बहू ने उनसे खराब व्यवहार रखा. मोतीराम सार्वजनिक सभाओं में यह कह रहे हैं जो मेरा नहीं हो सका वह नेपानगर की जनता का क्या होगा.अपना परिवार ही नहीं संभाल सकीं…
कांग्रेस ने सुमित्रा कास्डेकर पर चुटकी लेते हुए कहा कांग्रेस छोड़ कर जब वह बीजेपी में शामिल हुईं तो ऐसा लग रहा था बड़ी संख्या में कार्यकर्ता उनके साथ बीजेपी में शामिल होंगे. लेकिन कार्यकर्ता तो दूर सुमित्रा कास्डेकर अपने परिवार को भी बीजेपी में नहीं ले जा सकीं. उनके ससुर उनके साथ किए गए व्यवहार को सार्वजनिक कर रहे हैं जिससे यह कहा जा सकता है जो अपने परिवार की न हो सकीं वह क्षेत्र की जनता की क्या होंगी. हालांकि कांग्रेस सुमित्रा कास्डेकर के ससुर का सियासी लाभ लेने की बात से इंकार कर रही है. लेकिन कांग्रेस अपनी नुक्कड़ सभाओं और जनसंपर्क कार्यक्रम में मोतीराम कास्डेकर को ले जाकर उनका महिमा मंडन कर रही है.
अब क्यों याद आए ससुर
बीजेपी ने सुमित्रा कास्डेकर का बचाव करते हुए कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा आखिर चुनाव के समय ही कांग्रेस को सुमित्रा कास्डेकर के ससुर और परिवार की याद क्यों आई. इससे पहले कांग्रेस ने उनके परिवार और बुजुर्ग ससुर की सुध क्यों नहीं ली. एक परिवार में अलग अलग सदस्यों के अलग अलग विचार धारा वाले दलों में होना कोई नई बात नहीं है,सुमित्रा कास्डेकर के ससुर के कांग्रेस का प्रचार प्रसार करने से बीजेपी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा.