बैतूल18 घंटे पहले
- कॉपी लिंक
- गंज रामलीला मैदान पर चल रही श्रीरामकथा में अयोध्या कांड का किया वर्णन
भगवान राम ने रावण को मार दिया, लेकिन आज भी समाज में कई रुपों में मंथरा घूम रही है। मंथरा से हमें बचना चाहिए। दीवार में दरार पड़े तो तुरंत मसाला लगा लिया जाएगा, लेकिन रिश्ते में दरार पड़े तो रिश्ते जलते देर नहीं लगेगी। उन्होंने कहा मंथरा के कहने पर कैकयी ने संस्कृति के वस्त्र उतारकर विकृति के वस्त्र पहन लिए थे। आपके पास राज्य, पद, संपत्ति, शान और भक्ति है, लेकिन इसका दुरुपयोग मत करो यह बात गंज रामलीला मैदान में चल रही रामकथा में पं. सुखदेव शर्मा ने कही। पं. शर्मा ने कहा बचपन में अगर किसी से मनमुटाव हो जाए उसे टाल दें, बचपन चंद्रमा की तरह होता है, जिसमें दाग नहीं होना चाहिए। शिवजी माथे पर चंद्रमा, गंगा धारण करते हैं। जवानी में माथा ठंडा रखो, कथा गंगा है यहां आओगे तो चिंता से मुक्ति मिलेगी। जब श्रीराम विवाह करके आए नित्य नया आनंद होने लगा। रामकथा तो अपनी कथा है, जीवन वही है। आज जीव संतुष्ट नहीं है लेकिन जो पास है उसे भी गंवा दिया, सुख होकर भी दुख ले लिया। पहले तीन प्रकार की हट होती थी राज हट, बाल हट और नारी लेकिन एक हट और हो गई जिसका नाम है पद, पैसा, रूप, जवानी, जब यह जाती तो एक आती जिसका नाम घबराहट है। तब केवल भगवान, गुरु, परिवार एवं हमारे संस्कार ही याद आते हैं। जहां वेद, वेदांत, देवता नहीं पहुंच सकते वहां पवित्र हृदय वाला प्रेमी पहुंच जाता है। अयोध्या कांड के दौरान पं. शर्मा ने कहा तुलसी जी श्री गुरु चरण की वंदना करते हैं। गुरुदेव के चरण रज मन रूपी दर्पण को साफ करती है। गुरु जगत से बचाकर जगदीश से जोड़ देते हैं। अयोध्या कांड में युद्ध की तैयारी है लेकिन युद्ध नहीं है। पंडित शर्मा ने बताया कि जब राजा जनक दशरथ जी के चरणों में अपना सर्वत्र रखना चाहते हैं तो राजा दशरथ कहते हैं कि आप धन्य है कि आप बेटी के पिता हैं क्योंकि बेटी पीढ़ियों को तारने का काम करती है।
सपने से जागे तो नींद खुलती है और संसार से जागे तो आंख बंद होती है
पंडित शर्मा ने बताया 5 कामेंद्रियां, पांच ज्ञानेंद्रियां, मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार पर काबू पाएं तभी रावण मर सकता और राम राज्य आ सकता। संसार एक सपना है, फर्क इतना सपने से जागे तो नींद खुलती है और संसार से जागे तो आंख बंद होती है। भक्ति सकाम एवं निष्काम होती है, निष्काम भक्ति के तट पर भक्त केवट खड़ा है। ब्रह्मा शिव जिनसे मांगते वह ब्रह्मा केवट से मांगते हैं। नाव अर्थात सहारा संसार में सभी के प्रेम के सहारे की आवश्यकता है, उसी से पार हो सकते हैं।