विक्रम विवि का आधारशीला दिवस आज: खुद सातवीं तक सरकारी स्कूल में पढ़े, विवि के लिए जमीन की जरूरत पड़ी तो दान दे दी

विक्रम विवि का आधारशीला दिवस आज: खुद सातवीं तक सरकारी स्कूल में पढ़े, विवि के लिए जमीन की जरूरत पड़ी तो दान दे दी


उज्जैनएक दिन पहले

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  • विक्रमादित्य की प्रतिमा का अभिषेक होगा

बड़नगर के रणछोड़लाल धबाई, ऐसे व्यक्ति हैं जो खुद सरकारी स्कूल में पढ़े वह भी कक्षा 7वीं तक। उसके बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी। वे जब मंडल पंचायत (वर्तमान में जिला पंचायत) के सदस्य थे तब उन्हें सरकार की ओर से प्लॉट आवंटित हुए थे।

यह वही जमीन है जिस पर वर्तमान में विक्रम विश्वविद्यालय खड़ा है। जब 1956 में विक्रम विश्वविद्यालय के लिए जमीन की जरूरत पड़ी तो धबाईजी ने एक पल भी सोच विचार किए बगैर वह पूरा प्लॉट दान में दे दिया। वे बड़नगर के पूर्व विधायक शांतिलाल धबाई के पिताजी थे।

शांतिलाल बताते हैं कि उन्होंने बचपन में यह किस्सा सुना था। उनके पिताजी के सहयोगियों ने यह बात बताई थी। पिताजी शालीन और अनुशासित थे। उन्होंने कभी भी इस बात का प्रचार नहीं किया।

आज यह कार्यकम

बुधवार को विक्रम विवि का 77वां आधारशीला दिवस मनाया जाएगा। कुलानुशासक प्रो. शैलेंद्र शर्मा ने बताया इस दौरान विक्रम विवि परिसर स्थित सम्राट विक्रमादित्य की प्रतिमा का जलाभिषेक व स्वस्ति वाचन किया जाएगा। साथ ही छह नए कार्यपरिषद सदस्यों का सम्मान किया जाएगा।

विवि की आधारशिला 23 अक्टूबर 1956 को तत्कालीन गृह मंत्री गोविंदवल्लभ पंत ने रखी थी।

विक्रम विवि क्रमांक 13, 1957 का संशोधित अधिनियम 16 ​​अगस्त 1957 को मध्यप्रदेश राजपत्र में प्रकाशित हुआ था।

20 अप्रैल 1973 को राज्यपाल ने मप्र विश्वविद्यालयों के संगठन और प्रशासन में समरूपता लाने की अनुमति दी।

9-10 मई 1951 को विक्रम कीर्ति मंदिर के शिलान्यास के लिए राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद आए थे।

16 सितंबर 1952 को उज्जैन प्रवास पर प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा था- मैं इस ऐतिहासिक नगर में एक ऐसे विवि का निर्माण चाहता हूं जो साहित्य, कला एवं संस्कृति का प्रधान एवं मुख्य केंद्र बने।

वि्वि के दीक्षांत समारोह में पं. जवाहरलाल नेहरू, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, सर सीपी रामास्वामी अय्यर, पं. द्वारिकाप्रसाद मिश्र, बाबू जगजीवनराम, इंदिरा गांधी, डॉ. सरोजिनी महिषी, डॉ हरगोविंद खुराना जैसी विभूतियों ने भागीदारी की। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का आगमन भी हुआ।



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