मध्य प्रदेश के प्रोफेसर का दावा, मंडला में मिले 6 करोड़ साल पुराने डायनासोर के 7 अंडे

मध्य प्रदेश के प्रोफेसर का दावा, मंडला में मिले 6 करोड़ साल पुराने डायनासोर के 7 अंडे


मध्य प्रदेश के प्रोफेसर ने डायनासोर के अंडे मिलने का दावा किया है.

सागर के केन्द्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पीके कटहल ने मंडला जिले के मोहनटोला इलाके में करोड़ों साल पुराने डायनासोर (Dinosaurs Egg) के 7 अंडों का जिवाश्म मिलने का दावा किया है.

मंडला: मध्य प्रदेश के मंडला जिले के मोहनटोला इलाके में करोड़ों साल पुराने जिवाश्म के होने का दावा किया गया है. सागर के केन्द्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पीके कटहल ने कुछ जिवाश्म पर शोध भी किया जिसमें डायनासोर के 7 अंडों (Dinosaurs Egg) का जिवाश्म मिलने का उन्होंने दावा किया है. ये जीवाश्म करीब 6.5 करोड़ साल पुराने बताए जा रहे है. ये भी दावे किया जा रहा है कि ये एक नई प्रजाति के है, जो कि अब एक अंतरराष्ट्रीय शोध का केंद्र है. प्रोफेसर का कहना है कि देख रेख ना होने के चलते ये किमती धरोहर नष्ट होने की कगार पर है. लेकिन इस शोध के बाद जिला कलेक्टर ने जिवाश्मों को सहजने की बात कही है.

मंडला जिले के मोहनटोला इलाके में डायनासोर के 7 अंडें का जीवाश्म मिलने का दावा किया जा रहा है जिनका वजन 2 किलो 600 ग्राम बताया गया है. ये अंडे फुटबॉल जैसे गोला है. डॉ. हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर के व्यवहारिक भूविज्ञान विभाग के जीवाश्म विज्ञानी प्रो. पीके कठल ने अपनी रिसर्च रिपोर्ट के आधार पर यह पुष्टि की है कि यह जिवाश्म डायनासोर के अंडे है. दरअसल मंडला जिले के मोहनटोला इलाके में रहने वाले पुनित राय सुबह- सुबह घूम रहे थे. इसी दौरान कुछ बच्चे इन ‘अंडों’ को फूटबॉल समझकर उनके साथ खेल रहे थे. तभी पुनीत राय की नजर इस पर पड़ी. इसकी जानकारी उन्होंने तुरंत पुरात्तव विभाग को दी.

मंडला जिले के मोहनटोला इलाके में डायनासोर के 7 अंडें का जीवाश्म मिलने का दावा किया जा रहा है जिनका वजन 2 किलो 600 ग्राम बताया गया है.

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इसके बाद इन जीवाश्मों के अध्ययन के लिए सागर से प्रोफेसर प्रदीप कठल को बुलाया गया. प्रोफेसर कठल 30 अक्टूबर को मंडला आए. फिर उन्होंने जीवाश्म को स्केन इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोप से अध्ययन किया जिससे पता चला है कि ये जीवाश्म अपर क्रिटेशियस काल के डायनासोर के हैं. ये शाकाहारी थे और दूर से अंडे देने के लिए नर्मदा घाटी आते थे.  प्रोफेसर प्रदीप कठल ने बताया कि अंडों की परिधि 40 सेमी है, जबकि वजन 2.6 किलो है. इनकी लंबी गर्दन और छोटे-सिर वाले वृहदाकार (15 मीटर तक लंबाई वाले) डायनासोर तृणभक्षी (हरबीवोरस) थे. इनका जीवन-काल जुरासिक (21.5 करोड वर्ष) से शुरू होकर क्रिटेशियस (6.5 करोड़ वर्ष) था..यह अंडे डायनासोर की किसी नई प्रजाति के लग रहे हैं. यह अभी तक मिले डायनासोर के जीवाश्म से सबसे अलग जिवाश्म है और इनसे नई प्रजाति के होने की संभावना हो सकती है. उन्होंने बताया कि आगे की रिसर्च में और भी कई तथ्य सामने आ सकते हैं. तो वहीं कलेक्टर हर्षिका सिंह का कहना है कि जीवाश्म को सहेजने का काम किया जाएगा.





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