मांग: अदालतों में नियमित सुनवाई शुरू कराने अधिवक्ता आंदोलन की तैयारी में, कहा कई वकील हो गए कर्जदार

मांग: अदालतों में नियमित सुनवाई शुरू कराने अधिवक्ता आंदोलन की तैयारी में, कहा कई वकील हो गए कर्जदार


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जबलपुर15 मिनट पहले

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जिला अदालत की बिल्डिंग की प्रतीकात्मक फोटो

  • जिला अधिवक्ता संघ, जबलपुर ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल और जिला एवं सत्र न्यायाधीश को पत्र भेज

अदालतों में नियमित सुनवाई शुरू कराने अधिवक्ता आंदोलन की तैयारी में हैं। जिला अधिवक्ता संघ ने इस मामले में हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल और जिला एवं सत्र न्यायाधीश को पत्र भेजे हैं। मांग की है कि अदालतों में जल्द नियमित सुनवाई शुरू कराई जाए। कोर्ट में सिर्फ चुनिंदा और बड़े मामलों की सुनवाई हो रही है। तहसील और जिला अदालतों में सुनवाई नहीं होने से छोटे अधिवक्ता आर्थिक रूप से टूट गए हैं। कई तो कर्जदार बन गए हैं। 17 नवम्बर तक अल्टीमेटम को गंभीरता से नहीं लेने की स्थिति में 18 नवम्बर से अधिवक्ता आमरण अनशन पर बैठेंगे।

संयुक्त प्रस्ताव शीघ्र तैयार होगा
जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सुधीर नायक व सचिव राजेश तिवारी ने बताया कि एक संयुक्त प्रस्ताव शीघ्र तैयार होगा। स्टेट बार को विश्वास में लेकर आंदोलन को गति दी जाएगी। प्रारम्भिक चरण में जिला अधिवक्ता संघ ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल और जिला एवं सत्र न्यायाधीश को पत्र लिखकर अपनी मांग से अवगत कराया है। अगले चरण में 17 नवम्बर तक मांग पूरी नहीं होने पर 18 से पूर्व सचिव मनीष मिश्रा गेट नम्बर चार के सामने आमरण अनशन पर बैठेंगे। उनका साथ अन्य अधिवक्ता भी देंगे।

छोटे वकीलों की आय पूरी तरह बाधित हो गई

छोटे वकीलों की आय पूरी तरह बाधित हो गई। जिला अधिवक्ता संघ, जबलपुर के पूर्व सचिव मनीष मिश्रा ने जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष व सचिव को पत्र भेजकर अपनी मांग से अवगत कराया है। पत्र के माध्यम से उन्होंने बताया कि जबलपुर सहित राज्य के विभिन्न जिलों और तहसीलों में कोरोना काल के चलते नियमित सुनवाई बंद है। इसके चलते यहां प्रेक्टिस करने वाले अधिवक्ता आर्थिक रूप से टूट गए हैं। अदालतों में सिर्फ महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हो पाती हैं। इससे मझौले और छोटे वकीलों की आय पूरी तरह बाधित हो गई है।

अधिवक्ता कर्जदार हो गए हैं
अधिवक्ता मिश्रा ने सवाल उठाया है कि जब देश-प्रदेश में लगभग सभी आवश्यक सेवाएं प्रारंभ कर दी गई हैं, तो फिर न्यायालय क्यों शुरू नहीं किए जा रहे? देश की कुछ अदालतों ने भी नियमित कामकाज शुरू कर दिया है। ऐसे में मध्य प्रदेश की अदालतों को पूरी तरह शुरू करने में क्या परेशानी है? अधिवक्ता कर्जदार हो गए हैं। पक्षकार भी मामलों की सुनवाई न होने से बार-बार फोन करते हैं। उन्हें जवाब देना मुश्किल हो गया है।



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