श्योपुर किला: अब हर पर्यटक को देना होगा 20 रुपए प्रवेश शुल्क

श्योपुर किला: अब हर पर्यटक को देना होगा 20 रुपए प्रवेश शुल्क


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श्योपुर18 घंटे पहले

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सीप नदी किनारे पर बने 11वीं शताब्दी पुराने श्योपुर किले की यह विहंगम तस्वीर ऐतिहासिक रामजानकी मंदिर से करीब 150 फीट ऊंचाई से ड्रोन के द्वारा ले गई हैं। यह तस्वीर श्योपुर किले की खूबसूरती बढ़ा रही है। लेकिन वर्तमान में किले में प्रवेश कोविड-19 के तहत प्रतिबंधित है। इसमें भी आगामी दिनों में प्रवेश को लेकर लगाए गए प्रतिबंध को हटाया जा सकता है। लेकिन कोरोना काल में बंद पड़े इस किले प्रवेश अनुमति मुफ्त में नहीं मिलेगी। क्योंकि प्रशासन ने इसकी एंट्री पर टिकट काउंटर खोलने का प्रस्ताव स्वीकृत करा लिया है। आगामी दिनों में किला घूमने के लिए पर्यटकों को प्रतिव्यक्ति 20 रुपए शुल्क चुकाना पड़ेगा।

किले का इतिहास: श्योपुर किले का निर्माण कब और किसने कराया इसका ऐतिहासिक प्रमाण नहींं है। किला स्थित जैन मंदिर के स्तंभ पर विक्रम संवत 1083 (सन्1026 ईस्वी) का एक लेख है। जिससे स्पष्ट है कि 11वीं शताब्दी में श्योपुर किले का अस्तित्व था। ग्वालियर के प्रसिद्ध कवि खड़गराय ने गोपांचल आख्यान नामक पुस्तक में श्योपुर किले का उल्लेख किया है। जिसमें बताया है कि नरेसर के राजा अजयपाल ने सन् 1194 से 1219 ईस्वी में श्योपुर को अपनी राजधानी बनाया था।

सन् 1489 ईस्वी में मालवा के सुल्तान मेहमूद खिलजी ने इसे जीतकर मालवा सल्तनत का हिस्सा बना लिया था। सन् 1542 ईस्वी में शेरशाह सूरी ने इस किले पर अधिकार कर लिया था। इसके बाद ग्वालियर के शासकों और गौड़ राजाओं ने इस पर शासन किया।



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