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- The Millers Had Packed Unrefined Rice In Three year old Gunny Bags With New Paddy, Jabalpur EOW Filed FIR
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जबलपुर29 मिनट पहले
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जबलपुर ईओडब्ल्यू
- मिलरों, गुणवत्ता निरीक्षकों, जिला प्रबंधक और क्षेत्रीय प्रबंधक की लापरवाही आई सामने
- मंडला और बालाघाट जिले में मिलावट वाले खाद्यान्न प्रकरण की जांच ईओडब्ल्यू कर रही
कोरोना काल में गरीबों को पीडीएस के तहत वितरित किए गए घटिया चावल मामले में ईओडब्ल्यू ने शनिवार को एफआईआर दर्ज कर लिया। प्रदेश सरकार के आदेश पर जबलपुर ईओडब्ल्यू मामले की जांच कर रही थी। जांच में सामने आया कि फरवरी 2020 में समर्थन मूल्य पर जो धान खरीद कर राज्य सरकार ने कस्टम मिलिंग के लिए राइस मिलों को दिया गया था। उन मिलरों से मिलीभगत कर मप्र स्टेट सिविल सप्लाई कार्पोरेशन के अधिकारियों ने बड़ा खेल किया। यहां तक कि दूसरे राज्यों से भी घटिया चावल लाकर मिश्रण किया गया। ईओडब्ल्यू ने मामले में धारा 420, 272, 120बी भादवि, और आवश्यक वस्तु अधिनियम का प्रकरण दर्ज किया है।

इस तरह घटिया चावल बांटा गया था
एसपी ईओडब्ल्यू जबलपुर देवेंद्र प्रताप सिंह राजपूत ने बताया कि मंडला व बालाघाट में फरवरी 2020 में मप्र शासन द्वारा समर्थन मूल्य पर किसानों से धान की खरीदी हुई थी। इस धान को कस्टम मिलिंग के लिए दोनों जिलों के पंजीकृत राइस मिलों को दिया गया था। संबंधित मिलरों को उक्त धान मिलिंग के बाद मप्र स्टेट सिविल सप्लाई कार्पोरेशन के माध्यम से पंजीकृत गोदामों में जमा किया गया था।
अगस्त में दोनों जिलों में वितरित हुआ था चावल
राज्य शासन के आदेश पर अगस्त में मंडला व बालाघाट जिले में आदिवासी परिवारों को खाद्यान्न वितरण के तहत चावल दिए गए थे। इन चावलों की गुणवत्ता इतनी घटिया थी की जानवर तक नहीं खा सकते थे। पोल्ट्री ग्रेड का चावल बांट दिया गया था। मामला तूल प्रकरण तो कांग्रेस ने प्रदेश सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की। इसे लेकर दोनों तरफ से आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला था। इसके बाद केंद्रीय समिति गोदामों का निरीक्षण करने पहुंची थी।
केंद्रीय समिति के निरीक्षण में ये मिला था
केंद्रीय समिति द्वारा गोदामों का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण में केंद्रीय समिति ने चावल के सेम्पल लेकर दिल्ली स्थित लैब में जांच कराई थी। जांच में पता चला कि चावल अपमिश्रित है। ये भी सामने आया था कि चावल को रखने वाले वारदाने दो से तीन वर्ष पुराने हैं। वहीं जांच में ये तथ्य भी सामने आया कि कुछ मिलर्स अपनी क्षमता से अधिक धान प्राप्त किए थे। वे अपने नाम पर धान लेकर अन्य मिलर्स से कस्टम मिलिंग कराई थी। कस्टम मिलिंग के दौरान मिलर्स द्वारा अन्य प्रदेशों से भी धान व चावल प्राप्त कर मिलिंग की गई है, जो संदिग्ध है।

केंद्रीय समिति की इस रिपोर्ट के बाद कार्रवाई
पहरेदार ही मिल गए थे भ्रष्टाचार में
कस्टम मिलिंग का धान जमा करते समय गुणवत्ता निरीक्षकों द्वारा गुणवत्ता की जांच की जाती है। पर यहां बिना जांच किए चावल गोदामों में जमा करा दिया गया। चावल की जांच नियमानुसार जिला प्रबंधक और क्षेत्रीय प्रबंधक द्वारा भी नहीं की गई है। पूरी जांच में सामने आया कि मंडला, बालाघाट जिले के मप्र स्टेट सिविल सप्लाई कार्पोरेशन के अधिकारियों और मिलिंग से संबंधित लोगों ने आपराधिक षड्यंत्र रचकर शासन को अच्छे गुणवत्ता वाले चावल के स्थान पर अपमिश्रित और निम्न गुणवत्ता का चावल जमा करा दिया था।
मंडला-बालाघाट जिलों से 32 सैंपल लिए गए थे
घटिया चावल बांटे जाने की शिकायतों के बाद केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय के डिप्टी कमिश्नर की अगुवाई में एक टीम ने बालाघाट और मंडला जिले में गोदामों और राइस मिल्स का निरीक्षण कर 32 सैंपल लिए थे। इसकी जांच दिल्ली के कृषि भवन की ग्रेन एनालिसिस प्रयोगशाला में हुई। जांच में ये सैंपल अनफिट और फीड कैटेगरी के पाए गए। केंद्रीय मंत्रालय की रिपोर्ट में बताया गया था कि जो चावल गोदामों से पीडीएस के जरिए बांटा गया,वह जानवरों और कुक्कुट को खिलाने लायक भर है।

मप्र स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन लि बालाघाट
सफेद चावल का काला कारनामा
बालाघाट प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश भर में चावल की खास किस्मों, जायके और खुशबू के लिए खास पहचान रखता है। यही वजह है कि यहां के चावल की भारी डिमांड रहती है। बालाघाट बड़ा धान उत्पादक जिला है। 2019-20 में लगभग 40 लाख क्विंटल धान की खरीदी विपणन संघ ने की थी। जिले में अनुबंध के तहत राइस मिलर्स को 30 लाख क्विंटल धान चावल की मिलिंग के लिए दी गई थी। इसका 67 फीसदी राइस मिलर्स को वापस सरकारी गोदामों में जमा करना था। लेकिन अधिकारियों और राइस मिलर्स की साठगांठ से मिलिंग से पहले ही धान को दूसरे राज्यों में बेच दिया गया। बिहार-यूपी जैसे राज्यों से घटिया चावल मंगवाकर सरकारी गोदाम में जमा करने की बात सामने आई है।
इस तरह फर्जीवाड़ा किया गया
बालाघाट जिले में करीब 150 राइस मिलों को मिलिंग के लिए विपणन संघ की ओर से धान दिया गया था। मिलिंग के बाद इन मिल्स को सरकारी गोदाम में चावल जमा किए थे। नागरिक आपूर्ति निगम इस चावल की गुणवत्ता जांच गोदाम में जमा करवाता है और फिर इसे पीडीएस के जरिए बांटा जाता है। एक लाट में 580 बोरियां होती हैं। इस लाट में किसी भी एक बोरी की जांच की जाती है। पर जांच के लिए तो अच्छे चावल भेज दिए गए और गोदामों में घटिया चावल जमा करा दिया गया।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान
मुख्यमंत्री शिवराज ने दिखाई थी सख्ती
केंद्रीय मंत्रालय की सितंबर में रिपोर्ट आने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बड़ा एक्शन लेते हुए दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए थे। सीएम के निर्देश के बाद बालाघाट और मंडला जिले में चावल में गुणवत्ता की जांच कराई जा रही है। पूरे मामले की जांच ईओडब्ल्यू से कराई जा रही है। मंडला के साथ बालाघाट के जिला प्रबंधक को पहले ही निलंबित किया जा चुका है।