अनदेखी: खार नाला, वीआईपी रोड तो छोड़िए, 25 लाख के पार्क का भी पूरा निर्माण नहीं करा सकी नपा

अनदेखी: खार नाला, वीआईपी रोड तो छोड़िए, 25 लाख के पार्क का भी पूरा निर्माण नहीं करा सकी नपा


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सबलगढ़2 घंटे पहले

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  • नपा का जल कर, संपत्ति कर वसूली पर फोकस नहीं, खजाना खाली होने से अधूरे हैं प्रोजेक्ट
  • खार नाले के सीमेंटीकरण से शहर होता गंदगीमुक्त, वीआईपी रोड से सुगम होता ट्रैफिक

(गोपाल सोनी) सबलगढ़ को जिला बनाने की मांग लंबे समय से चल रही है। लेकिन नगरपालिका की अनदेखी के चलते यहां सालों से कई ऐसे बड़े प्रोजेक्ट अधूरे पड़े हैं, जिनके पूरा होने से न सिर्फ शहर गंदगीमुक्त होता बल्कि ट्रैफिक भी सुगम होता और शहर की सुंदरता भी बढ़ती।

तकरीबन 10 करोड़ लागत के चार प्रोजेक्ट पर नपा 50 प्रतिशत से अधिक राशि खर्च कर चुकी है लेकिन अब खजाना खाली होने की वजह से ठेकेदार का भुगतान नहीं हुआ, इसकी वजह से ठेकेदार चार-चार सालों से इन कामों को अटकाए हुए हैं।

यहां बता दें कि नगरपालिका सबलगढ़ में पदस्थ कर्मचारियों के वेतन हर हर महीने लाखों रुपए खर्च हो रहे हैं लेकिन राजस्व वसूली तो छोड़िए संपत्तिकर, समेकितकर, जलकर, बाजार वसूली जैसे जरूरी कार्यों को करने में भी यह कर्मचारी रुचि नहीं लेते।

सबलगढ़ कस्बे में बाजार वसूली से नपा को तकरीबन 30 लाख रुपए साल की आय होती थी यानि 6 से 8 हजार रुपए हर रोज। लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते ठेका न होने की वजह से यह काम अब कर्मचारियों के जिम्मे है। लेकिन कर्मचारी बाजार वसूली के रूप में रोज सिर्फ 500 से 600 रुपए वसूल पा रहे हैं। ऐसे में अधूरे प्रोजेक्ट के लिए राशि जुटाना नगरपालिका के बूते की बात नजर नहीं आती।

इस संबंध में नपा सबलगढ़ सीएमओ विजय बहादुर सिंह ने बताया कि नगरपालिका में कर्मचारियों की मनमानी चल रही है। शहर में कई निर्माण कार्य अधूरे पड़े हैं। खार नाला सीमेंटीकरण का काम 3 साल से अधूरा पड़ा है। भोपाल से बजट मिले तब यह प्रोजेक्ट पूरे होंगे।

प्रशासक बैठने के बाद अटके हुए हैं सभी विकास कार्य
1994 से सबलगढ़ नगरपालिका में अध्यक्ष पद के चुनाव हो रहे हैं। 50 हजार की आबादी वाले कस्बे में करीब 7 हजार मकान बने हुए हैं, लेकिन इनसे संपत्तिकर की वसूली सालों से नहीं हुई है। अब तक जितने भी अध्यक्ष-सीएमओ आए वे यहां पदस्थ कर्मचारियों से काम तक नहीं करा पा रहे।

जबकि नपा अगर संपत्तिकर, समेकितकर, जलकर जैसी वसूली को नियमित करे तो उससे प्राप्त होने वाले राजस्व से यह अधूरे प्रोजेक्ट पूरे हो सकते है। बिडंबना यह है कि मार्च-अप्रैल में नपा का कार्यकाल खत्म होने के अब यहां एसडीएम प्रशासक के रूप में पदस्थ हैं। लेकिन अभी तक अफसर भी कोई ऐसी रणनीति नहीं बना सके, जिससे रेवेन्यू बढ़ाया जा सके।

10 करोड़ के यह प्रोजेक्ट पूरे हों तो बदल जाएगी शहर की सूरत
1. शहर के बीच से गुजरा खार नाला गंदगी का सबसे बड़ा केंद्र है। 3 साल पहले इस नाले को सीमेंटेड करने के लिए 5 करोड़ रुपए में ठेका दिया गया था। ठेकेदार ने नाले का 70 प्रतिशत काम पूरा भी कर दिया लेकिन 3 साल पहले उसने 2 करोड़ का भुगतान मांगा तो नपा ने हाथ खड़े कर दिए। ठेकेदार ने भी काम अधूरा छोड़ दिया।
2. शहर की बीटी रोड राम मंदिर चौराहे से सुनहरा हेड तक एक किलोमीटर वीआईपी रोड बनाने का टेंडर 5 साल पहले हुआ था। 4 करोड़ की इस आलीशान रोड का काम 80 प्रतिशत पूरा हुआ लेकिन नपा ने ठेकेदार का एक करोड़ का भुगतान अटका दिया। गुस्से में ठेकेदार ने भी इस रोड का काम अधूरा छोड़ दिया। इस रोड से हजारों की संख्या में वाहन गुजरते हैं लेकिन सड़क के अधूरे निर्माण से नपा द्वारा खर्च की गई राशि का सदुपयोग नहीं हो पा रहा है।
3. शहर की सिचाई विभाग कॉलोनी में नगरपालिका ने 25 लाख रुपए की लागत से शहरवाासियों के लिए एक पार्क बनाने का टेंडर जारी किया था। नपा ने इस काम के लिए ठेकेदार को 16 लाख का भुगतान भी कर दिया लेकिन ठेकेदार ने सिर्फ 20 प्रतिशत काम पूरा किया। पार्क की सिर्फ बाउंड्रीवाल ही हो पाई हैं, बावजूद इसके नपा अधिकारी ठेकेदार से काम को आगे बढ़ाने के लिए दबाव नहीं बना पा रहे हैं।



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