ट्रायल की उम्मीद बढ़ी: भोपाल के GMC में कोवैक्सीन के ट्रायल के लिए नई साइट तय; अब कंपनी की सहमति का इंतजार

ट्रायल की उम्मीद बढ़ी: भोपाल के GMC में कोवैक्सीन के ट्रायल के लिए नई साइट तय; अब कंपनी की सहमति का इंतजार


  • Hindi News
  • Local
  • Mp
  • Bhopal
  • New Site Set Up For Trial Of Covaxine At Bhopal’s GMC; Now Waiting For The Company’s Consent

Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप

भोपाल16 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

गांधी मेडिकल कॉलेज की नई साइट तय हो गई है और अब यहां पर कोवैक्सीन के ट्रायल शुरू करने की संभावनाएं बढ़ गई हैं।

  • कमिश्नर कविंद्र कियावत सुबह जीएमसी में ट्रायल के लिए नई बिल्डिंग देखने पहुंचे

गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल में कोवैक्सीन के ट्रायल के लिए नई साइट तय कर ली है। ये कॉलेज की नई बिल्डिंग में रखी गई है। इसकी रिपोर्ट भी भारत बॉयोटेक इंटरनेशनल और आईसीएमआर को भेजी जा रही है। अगर कंपनी की सहमति मिल गई तो अगले तीन दिन के अंदर जीएमसी में कोवैक्सीन का ट्रायल शुरू हो जाएगा।

दैनिक भास्कर ने जीएमसी में ट्रायल न होने की वजहों पर लगातार रिपोर्टिंग की, जिसके बाद कमिश्नर कविंद्र कियावत रविवार को सुबह गांधी मेडिकल कॉलेज पहुंच गए। उन्होंने नई बिल्डिंग का निरीक्षण किया। जहां पर उन्हें जीएमसी की डीन डॉ. अरुणा कुमार ने ट्रायल न होने के कारण और नई साइट के बारे में जानकारी दी। कमिश्नर कियावत ने कहा कि मेडिकल कॉलेज की दूसरी साइट वैक्सीन के ट्रायल के लिए तैयार है। पहले जो बिल्डिंग कंपनी ने देखी थी, वहां पर कंस्ट्रक्शन की वजह से डिस्टरबेंस की बात सामने आई थी। इसके बाद जीएमसी ने नई साइट को लेकर कंपनी से डिस्कशन शुरू कर दिया था।

बता दें कि भोपाल के दो मेडिकल कॉलेजों में कोरोना के टीके कोवैक्सीन का ट्रायल होना था, लेकिन गांधी मेडिकल कॉलेज में साइट की परेशानी के चलते ट्रायल शुरू नहीं हो पाया, इसके उलट पीपुल्स मेडिकल कॉलेज में वैक्सीन के टीके आ गए और 27 नवंबर से ट्रायल भी शुरू हो गया। जीएमसी में ट्रायल रुकने की सबसे बड़ी वजह एथिकल कमेटी की क्लीयरेंस में देरी और हमीदिया अस्पताल में चल रहा कंस्ट्रक्शन था। वैक्सीन का ट्रायल कराने के लिए सरकारी तैयारियां को यह बड़ा झटका था।

इसलिए रुका था जीएमसी में ट्रायल
भारत बॉयोटेक ने 20 नवंबर को भोपाल के सरकारी गांधी मेडिकल कॉलेज को लेटर जारी कर कहा कि हमें अभी एथिकल कमेटी का क्लीयरेंस नहीं मिला है। इसलिए आपके यहां ट्रायल नहीं कर सकते हैं। इधर जीएमसी ने उसी दिन एथिकल क्लीयरेंस का लेटर कंपनी को भेज दिया था। लेकिन भारत बॉयोटेक कंपनी ने अब तक ट्रायल के लिए जीएमसी को मंजूरी नहीं दी थी। हमीदिया अस्पताल की नई बिल्डिंग बन रही है, जिसकी वजह से धूल-मिटटी फैली हुई है। ये भारत बॉयोटेक की टीम को पसंद नहीं आया।

कैटेगरी 2 में है गांधी मेडिकल कॉलेज
गांधी मेडिकल कॉलेज की डीन डॉ. अरुणा कुमार ने कहा कि हमारे कॉलेज को कैटेगरी 2 में रखा गया है, जबकि पीपुल्स को कैटेगरी 1 में रखा गया है। कैटेगरी 2 हायर है, क्योंकि इसमें वॉलंटियर्स को दो डोज देने के बाद लगातार फॉलोअप किया जाएगा और इसके रिजल्ट को लगातार कंपनी को भेजने होंगे।

पीपुल्स में शुरू हुआ ट्रायल
भोपाल के निजी अस्पताल पीपुल्स मेडिकल कॉलेज ने सब कुछ तय समय में ही पूरा करके भारत बायोटेक को ट्रायल की अनुमति दे दी। बायोटेक इंटरनेशनल ने 27 नवंबर से अपने वैक्सीन का ट्रायल शुरू कर दिया है। यहां पर दो दिन में 20 लोगों को टीके डोज दिए जा चुके हैं। यहां पर 1 हजार वालंटियर्स को टीके के डोज दिए जाएंगे, ये प्रक्रिया 2 महीने चलेगी।

टीका लगवाने वालों में एयरफोर्स से लेकर भेल के रिटायर्ड अफसर तक
80 साल के भेल से रिटायर्ड इंजीनियर ने अपने ऊपर को-वैक्सीन का ट्रायल करवाया। उन्होंने कहा मुझे लगा कि मेरा हिस्सा भी समाज सेवा में जुड़ सकता है। इसलिए यहां आया। मानवता के लिए जो भी करना चाहिए वह सब को करना चाहिए। मेरी पारिवारिक जिम्मेदारी पूरी हो गई है, इसलिए मुझे किसी चीज का डर नहीं है। वहीं 64 साल के एयरफोर्स के रिटायर्ड अधिकारी ने कहा सामाजिक सेवा करना मेरी हॉबी है। अब बोनस की जिंदगी है.मुझे कुछ होता है और मेरे कुछ करने से किसी को बेनिफिट होता है तो यह मेरे लिए सबसे अच्छा है।



Source link