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बड़वानी41 मिनट पहले
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- इंदिरा सागर परियोजना की नहर से बोवनी के लिए अब तक नहीं छोड़ा पानी
किसानों को फसल पर्याप्त पानी देने व बोवनी के लिए गांवों तक नहर के माध्यम से पानी पहुंचाया गया है लेकिन अफसरों की लापरवाही के कारण किसानों को नहरों के माध्यम से पानी नहीं मिल पा रहा है। कई स्थानों पर घटिया निर्माण होने से नहर क्षतिग्रस्त हो गई है तो कई पर सालों से सफाई नहीं होने से नहरों में ही झाड़ियां उग गई है। इससे किसानों को बोवनी करने के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है। किसानों को पानी नहीं मिलने पर किसान पाइप से खेतों तक पानी ला रहे हैं। किसानों ने नहरों में पानी छोड़ने की मांग की है।
शहर से करीब 8 किमी दूर चित्रमोड़ गांव में इंदिरा सागर परियोजना की नहर से किसानों को पानी पहुंचाया जा रहा है। खंगवाड़ा इकाई के तहत 5 गांवों में नहरों का पानी सप्लाय होता है। जिसमें खुडगांव, खंगवाड़ा, अजरुद, चित्रमोड़ व राजपुरा शामिल है। इन गांवों से गुजर रही नहरों में इस साल बोवनी के लिए अब तक पानी नहीं छोड़ा गया है। इससे किसान गेहूं व चने की फसलों को बोवनी कर व पानी नहीं मिल दे पा रहे हैं। इससे किसानों के सामने चिंता बनी हुई है। किसानों ने बताया खंगवाड़ा इकाई की नहरों में गुणवत्ताहीन काम किया गया है। लापरवाही के कारण जगह-जगह नहर क्षतिग्रस्त हो गई है। जिससे किसानों को पानी नहीं मिल पा रहा है।
पाइप से लाते हैं पानी, रबी की फसल के दौरान जमा हो जाता
किसान अनिल शर्मा व शिवकरण पूनाजी ने बताया नहरों की सफाई नहीं होेने से पानी नहीं पहुंच पाता है। नहरों के निर्माण के दौरान लापरवाही करने से नहर ऊंची नीची बनी है। जिससे पानी एक ही स्थान पर रुक जाता है। इस बार तो पानी भी नहीं छोड़ा गया है। किसानों को पानी के लिए स्वयं ही मुख्य नहर जाकर पानी छोड़ना पड़ता है। अनिल शर्मा ने बताया खेतों तक पानी नहीं पहुंचने पर नहर में पाइप लगाकर पानी खेतों तक ला रहे हैं। उन्होंने बताया रबी की फसल के दौरान अधिक पानी छोड़ने पर खेत में पानी जमा हो जाता है। कुछ साल पहले खेत के आगे गड्ढा खोदकर पानी को खेत में आने से बचाया था। इसके बाद भी इसका विभाग स्थाई निराकरण नहीं कर पाया है।
हर साल एक हैक्टेयर खेत के लेते हैं 500 रुपए
किसान अशोक गुप्ता ने बताया नहरों से पानी लेने के लिए एनवीडीए विभाग द्वारा हर साल 1 हैक्टेयर के 500 रुपए लिए जाते हैं। जिसकी रसीद भी हमें दी जाती है। किसानों से हर साल रुपए की वसूली तो की जाती है लेकिन किसानों को समय पर पानी नहीं मिलता है। इससे किसानों को स्वयं ही जुगाड़ करना पड़ता है। पानी के लिए हर बार अफसरों को फोन लगाना पड़ता है ताकि पानी छोड़ा जा सके। विजय गुप्ता ने बताया पानी छोड़ने व नहरों की सफाई के लिए अफसरों को फोन लगाया था लेकिन अब तक नहरों की सफाई नहीं की है। जिससे बोवनी के बाद फसलों को पानी देने में परेशानी आएगी।
तीन साल से नहीं हुई मरम्मत, नहीं हुई सफाई
महेश व तिलोकचंद्र ने बताया खंगवाड़ा इकाई की नहरों की ओर अफसर ध्यान नहीं दे रहे हैं। जिसके कारण नहर क्षतिग्रस्त हो गई है। उन्होंने बताया इस क्षेत्र की नहरों की करीब तीन साल से मरम्मत नहीं हुई है। न ही सफाई हो रही है। जिससे नहरों में झाड़ियां उग गई है। क्षतिग्रस्त नहरों से पानी बाहर ही बह जाता है। नहरों की सफाई न होने से कचरा के कारण बीच में ही पानी रुक जाता है। आगे के किसानों को पानी नहीं मिल पाता है। जिसके लिए किसान स्वयं ही नहरों से कचरा हटाते हैं ताकि वहां तक पानी पहुंच सके।