- Hindi News
- Local
- Mp
- Bhopal
- 14 Mothers Lost Their Lap In Shahdol, Neither The Leaders Nor The Officials Arrived Knowing The Pain, Locks Are Hanging At Health Centers
Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
भोपाल19 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
जयसिंह नगर
- आरोप है कि स्वास्थ्य केंद्र में शूटिंग की तैयारी चल रही थी तो डॉक्टर इलाज भूल गए
शहडोल के जिला अस्पताल में 10 दिन में 14 मासूमों की मौत हो चुकी है, लेकिन सिस्टम अब भी लापरवाह है। स्वास्थ्य केंद्रों पर ताले लटके हैं। इमरजेंसी सेवाएं बंद हैं। भास्कर गांवों में जाकर उन परिवार वालों से मिला, जिन्होंने अपने बच्चों को खोया। पता चला उनका दर्द जानने न कोई अफसर पहुंचा न नेता। इन गांवों में डॉक्टर-नर्स तो पहले से नहीं है, आंगनबाड़ी की टीम भी गायब मिली। कलेक्टर सत्येंद्र सिंह भी वहां नहीं पहुंचे। बुढ़ार सीएससी बीएमओ को खानापूर्ति के लिए हटाया गया।
मांओं की गोद उजड़ी, स्वास्थ्य केंद्र बेपरवाह

बुढ़ार।

सोहागपुर।

खन्नोदी
केस-1 : साबो बस्ती
डॉक्टर ने पत्नी को एक घंटे बाद देखा, ऑटो से ले गए तो रास्ते में पेट से बाहर आ गया बच्चा

साबो बस्ती के लाचार शमसुद्दीन आंखों के सामने अपने बच्चे को मरता देखते रहे। वे पत्नी रहमतून को पेट में दर्द उठने पर बुढ़ार सीएससी लेकर गए थे, लेकिन एक स्वास्थ्य विभाग की किसी योजना की शूटिंग की तैयारी चल रही थी। एक घंटे तक डॉक्टर ने रहमतून को हाथ नहीं लगाया। काफी हाथ जोड़े तब लेबर रूम में लिया। डॉक्टरों ने लापरवाही से यूट्रस की थैली फोड़ दी। बताया कि बच्चा तो उल्टा है, शहडोल ले जाओ। एंबुलेंस नहीं आई। मजबूरी में ऑटो रिक्शा किया। रास्ते में ही पत्नी की हालत बिगड़ गई और आधा बच्चा पेट से बाहर आ गया। 10 मिनट तक गर्दन फंसी रही। जैसे-तैसे 36 किमी दूर शहडोल जिला अस्पताल पहुंचे। डॉक्टरों ने मरा बता दिया।
केस-2 : बुढ़ार
पोते को सिर्फ सांस लेने में तकलीफ थी, सही इलाज मिलता तो बच जाता
शहडोल से 32 किमी दूर बुढ़ार की पुष्पराज के 4 महीने के बच्चे को उलटी ओर सांस लेने में तकलीफ थी। उसे बुढ़ार से रैफर कर दिया। वहां से 26 नवंबर को शहडोल जिला अस्पताल में भर्ती कराया। 24 घंटे में उसने दम तोड़ दिया था। सास नामवती ने बताया कि पोते को सही इलाज मिल जाता तो वह बच जाता।
केस-3 : सोहागपुर
रात 10 बजे एम्बुलेंस बुलाई, सुबह 4 बजे पहुंची, बच्चा तड़पता रहा
सोहागपुर के गांव बोडरी में नरेश कोल की पत्नी राज बताती है उनका 3 महीने का बेटा था। अचानक उसे तेज बुखार आया। रात 10 बजे फोन कर जननी एक्सप्रेस को बुलाया। लेकिन वह सुबह 4 बजे पहुंची। बच्चा रात मेरी गोद में तड़पता रहा। ज्यादा रात होने से आसपास कहीं इलाज नहीं मिला।
गोहपारू में नहीं मिला इलाज…आखिर निजी अस्पताल में करानी पड़ी डिलीवरी
शहडोल के जिला अस्पताल से केवल 22 किलोमीटर दूर गोहपारू सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ऑपरेशन थियेटर पर ताले लगे होने से परेशान प्रसूता रानी पति संतोष प्रजापति को उसके परिजन बिना मंजूरी के लेकर चले गए। सरकारी व्यवस्था से भरोसा उठने के बाद रानी की प्रसूति 22 किलोमीटर दूर शहडोल में निजी श्रीराम अस्पताल में हुई। जच्चा बच्चा दोनों स्वस्थ है।